क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : सिटी में लोगों को हाइजेनिक मीट उपलब्ध कराने की नगर निगम की योजना धरी की धरी रह गई. करोड़ों रुपए का स्लॉटर हाउस महीनों से बेकार पड़ा है. ऑपरेशन में नहीं रहने के कारण मशीनों का मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है. मशीनें धीरे-धीरे जंग खा रही है. अगर नगर निगम इसके संचालन को लेकर गंभीरता नहीं दिखाता है तो मशीनें स्क्रैप बन जाएगी. बताते चलें कि पिछले साल 18 करोड़ की लागत से बने स्लॉटर हाउस का उद्घाटन भी हो चुका है, लेकिन इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.

पूरी सिटी में हो सकती सप्लाई

कांके स्थित बीएयू कैंपस में तैयार स्लॉटर हाउस में हाइजेनिक मीट के लिए लेटेस्ट मशीनें इंस्टाल की गई है. लेकिन ये मशीनें कई महीने से बंद पड़ी. जबकि इस मशीन से एक हजार खस्सी का मीट तैयार किया जा सकता है. वहीं, पूरे शहर में मार्केट से लेकर होटलों के लिए मीट सप्लाई किया जा सकता है. इतना ही नहीं, स्लॉटर हाउस में हलाल और झटका से मटन काटने की व्यवस्था है. लेकिन नगर निगम खुले में मटन की बिक्री पर रोक लगा पाने में फेल हो गया है.

5 मॉडल मीट शॉप बने शोपीस

स्लॉटर हाउस में खस्सी काटने की पूरी प्रक्रिया का डेमो दिखाने के बाद काम शुरू किया गया था. जहां प्रोसेसिंग के बाद मीट को फ्रीजर वैन में डालकर मॉडल मीट शॉप में भी भेजा जा रहा था. लेकिन, कुछ दिनों के बाद ही यह व्यवस्था ठप हो गई. अब सिटी में खोले गए पांच मॉडल मीट शॉप भी शोपीस बनकर रह गए है. वहीं, रोड किनारे खुले में मटन काटकर धड़ल्ले से बिक्री हो रही है.

मृत जानवरों का भी डिस्पोजल ठंडे बस्ते में

स्लॉटर हाउस में बकरे और जानवरों के काटने का काम बंद हो गया है. जिससे कि संचालन करने वाली एजेंसी को नुकसान झेलना पड़ रहा था. ऐसे में एजेंसी ने मृत जानवरों के डिस्पोजल को लेकर योजना बनाई. वहीं डिस्पोजल के बाद मैटेरियल से मुर्गी का चारा और कॉस्मेटिक्स के लिए प्रोडक्ट तैयार किया जाना था. लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी मरे हुए जानवरों का डिस्पोजल शुरू नहीं हो पाया है. अब तो संचालक भी स्लॉटर हाउस चलाने में इंटरेस्ट नहीं दिखा रहे है.

Posted By: Prabhat Gopal Jha