- ढाई सौ साल पुराने यहियागंज बाजार में नहीं है आग से बचाव की कोई व्यवस्था

- मार्केट में दुकानों के ऊपर फैला हुआ है बिजली के तारों का मकड़जाल

- कई बार लग चुकी है आग, कई दुकानें हो चुकी हैं स्वाहा

LUCKNOW: यहियागंज बाजार में तारों का मकड़जाल बुरी तरह से फैला हुआ है। इन्हें देखकर ही लगता है कि कभी भी यहां पर कोई बड़ा हादसा हो सकता है। रोड से लेकर दुकानों के ऊपर भी तार लटक रहे हैं। कब कौन से तार से निकली चिंगारी यहां पर भीषण तबाही मचा देगी, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। इसके बावजूद ढाई सौ साल से अधिक पुरानी यहियागंज मार्केट में ना तो आग बुझाने के व्यापक इंतजाम है और ना ही कभी तारों के मकड़जाल को सुलझाने की कोशिश की गई। आग से कई दुकानें खाक होने के बावजूद यहां की मार्केट भगवान भरोसे ही चल रही हैं।

संकरी गलियां भी मुसीबत

होलसेल के लिए यहियागंज मार्केट की पहचान है। यहां पर लखनऊ के आस-पास क्षेत्रों के ही नहीं दूसरे शहरों की व्यापारी भी माल खरीदने के लिए आते हैं। प्लास्टिक हो या फिर बर्तन बाजार, किराना हो या फिर चाइनीज आइटम, बिजली के उपकरण, ड्राईफ्रूट्स, होजरी समेत यहां पर कई आइटम की दुकानें यहां मौजूद हैं। इन दुकानों में लाखों का माल भरा पड़ा है। सभी दुकानों के ऊपर बिजली के तारों का मकड़जाल फैला हुआ है। खास बात यह है कि इन तारों से आए दिन चिंगारी निकलती हुई देखने को मिलती है। इससे यहां के व्यापारी हमेशा चिंतित रहते हैं, कहीं कोई चिंगारी उनकी दुकान पर गिरी तो सबकुछ स्वाहा हो जाएगा। व्यापारियों ने बताया कई बार तो इन तारों पर बंदर उछलकूद करते हैं और तब जब चिंगारियां उठती है तो उस समय उनके तो दिल दहल जाते हैं, जिनकी दुकान उसके पास होती है। यहियागंज मार्केट में बनी मेन रोड की चौड़ाई बहुत कह है। एक ठेलिया और बाइक ही आमने-सामने आने पर निकल सकते हैं। लेकिन रोड तक लगी दुकानों के चलते दोपहिया वाहन भी आमने-सामने नहीं निकल पाते है। सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि दुकानों के सामने ही यहां के व्यापारी भी अपनी गाडि़यां खड़ी कर देते हैं। व्यापारियों ने बताया कि इन गाडि़यों के चलते और भी खतरा बढ़ जाता है.ऊपर खुले तारों से एक भी चिंगारी इन गाडि़यों पर गिरी तो पेट्रोल से आग फैलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।

सिर्फ दावे ही करता रहा प्रशासन

यहां के व्यापारियों का कहना है कि इन सभी बातों को लेकर कई बार प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक हुई, लेकिन आज तक कोई नतीजा नहीं निकल सका। जबकि इसके लिए फाइल चली थी कि यहां के खुले तारों को हटा कर अंडर ग्राउंड किया जाएगा। यहियागंज के निकट स्थित बने पार्क में मल्टीलेवल पार्किंग बनाई जाएगी। रकाबगंज पुल के पास जहां से ट्रेन गुजरती है, उसके साइड की जमीन पर पट्टी खींच कर डाले खड़े करने की व्यवस्था की जाएगी जिससे लोग यहियागंज में आसानी से आ जा सके। सबकुछ प्लान हुआ लेकिन आज तक एक्शन किसी पर नहीं हुआ।

यहां किसी वीआईपी का आना जाना तो है नहीं ऐसे में अधिकारियों को यह इलाका नजर नहीं आता है। जबकि थोड़ी सी मेहनत की जाए तो यहां पर आग की घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है।

- हरिश्चंद्र अग्रवाल, अध्यक्ष यहियागंज उद्योग व्यापार मंडल

सभी को यह पता है कि यहां पर भगदड़ भी मची लोग धक्का-मुक्की में घायल हो जाएंगे। फिर यहां पर जितनी दुकानें हैं उससे अधिक परिवार भी मौजूद हैं। ऐसे में यहां पर आग बुझाने के लिए व्यापक इंतजाम होने चाहिए।

- दिनेश अग्रवाल, व्यापारी

- यहियागंज मार्केट में इस समय 2000 से अधिक दुकानें मौजूद हैं जिनमें 1500 दुकानें यहिया गंज व्यापार मंडल में शामिल हैं

- यहिया गंज में हर समय 60000 से अधिक लोग मौजूद रहते हैं।

- यहां दुकानों के ऊपर बने घरों में 2000 से अधिक परिवार है जिसकी अनुमानित आबादी 10,000 के करीब है।

खराब पड़े हैं हाइड्रेंट

व्यापारी हरिश्चंद्र अग्रवाल ने बताया कि यहियागंज में हाइड्रेंट पड़े हुए हैं। जरूरत है कि इन हाइड्रेंट को तलाश कर सही करवाने की। ऐसे में नगर निगम से नक्शा निकाल कर प्रशासन यदि यहां के हाइड्रेंट ठीक करा दे तो आग की बड़ी समस्या पर काबू पाया जा सकता है। क्षेत्र में पड़े अधिकांश हाइड्रेंट या बंद पड़े हैं या फिर सड़क में ही दफन हो गए हैं। थोड़े से प्रयास से यहां पर बेहतर व्यवस्था हो सकती है।

Posted By: Inextlive