दम घोंटू हुई दिवाली
-आतिशबाजी से 17 गुना बढ़ा बनारस में वायु प्रदूषण
-हवा में घुला सैकड़ों टन बारूद, छाया स्मॉग -दिवाली की रात डीएलडब्ल्यू क्षेत्र रहा सबसे ज्यादा प्रदूषित, लंका दूसरे स्थान पर दिल्ली एनसीआर ही नहीं बनारस में भी स्मॉग के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया है। दिवाली पर हुई जबरदस्त आतिशबाजी के बाद शहर की आबोहवा में जहर घुल गया है। जिसकी वजह से पिछले दो दिनों से लगातार धूल और धुएं की परत छाई हुई है। डब्ल्यूएचओ के मानकों को तोड़ते हुए एयर पॉल्यूशन अब तक के सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसका खुलासा प्रदूषण की जांच करने वाली संस्था की रिपोर्ट में हुआ। संस्था ने दिवाली के दिन शहर के 20 अलग-अलग स्थानों पर वायु गुणवत्ता की जांच की। इसमें डीएलडब्ल्यू, लंका और रविन्द्रपुरी क्षेत्र समेत कई एरिया जबरदस्त प्रदूषण की गिरफ्त में रहे।मानक से 17 गुणा अधिक स्तर
सिगरा 198 364 मैदागिन 198 438 लहुराबीर 196 383 महमूरगंज 194 395 गोदोलिया 189 380 कबीरचौरा 185 383 आशापुर 178 324 सारनाथ 176 318 पंचकोशी 164 310संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक दिवाली के दिन डीएलडब्ल्यू क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा, यहां पीएम 2.5 का स्तर 504 व पीएम 10 का स्तर 711 यूनिट पाया गया। पीएम 2.5 और पीएम 10 का यह स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वच्छता मानकों की तुलना में 17 और 12 गुना अधिक प्रदूषित रहा। शहर में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र लंका रहा जहां पीएम 2.5 व पीएम 10 का स्तर क्रमश: 424 और 630 यूनिट रहा जो कि डब्ल्यूएचओ के मानकों की तुलना में 14 गुना और 10 गुना अधिक प्रदूषित रहा। वहीं रविन्द्रपुरी तीसरे स्थान पर, भोजूबीर चौथे और शिवपुर क्षेत्र पांचवें स्थान पर पाया गया।
जिला प्रशासन के पास नहीं कोई योजना अन्य परिस्थितियों की वजह से पहले ही बढ़ते स्मॉग को दिवाली पर हुई आतिशबाजी ने बढ़ा दिया। इससे शहर की आबोहवा खतरनाक हो गयी। सोचने वाली बात यह है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण विभाग की वाराणसी इकाई ने पॉल्यूशन की इस स्थिति की आशंका होते हुए भी कोई सलाह अथवा निर्देश नहीं जारी किया था। इससे यह साबित होता है कि वायु प्रदूषण के गंभीर खतरों से बचने के लिए जिला प्रशासन के पास अब तक कोई भी ठोस योजना तैयार नहीं है। सेहत के लिए खतरनाकएयर पॉल्यूशन का मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ। आरएन वाजपेयी का कहना है कि बारूद, कोयला, डीजल, पेट्रोल और कचरा आदि जलने से पीएम 2.5 कणों का निर्माण होता है, जबकि शहर में लगातार उड़ रही धुल से पीएम 10 कण बनते हैं। ये दोनों ही मानव स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव डालते हैं। पीएम 2.5 सांस की नली के माध्यम से हमारे फेफड़े पर सीधा हमला करता है, इससे हार्ट अटैक, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक आदि का खतरा पैदा होता है। वहीं पीएम 10 कणों से त्वचा की बीमारियां, एलर्जी आदि रोग बढ़ते हैं। यह पहले से बीमार लोगों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है।
बच्चों पर ज्यादा प्रभाव एयर पॉल्यूशन का यह स्तर बच्चों और बुजुर्गो को अत्यधिक प्रभावित करता है। परेशानी उन्हें ज्यादा होती है जो पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हों। दिवाली को हुई बेतहासा आतिशबाजी के बाद शहर के लगभग सभी अस्पतालों में सांस और दमा और एलर्जी के मरीज पहुचने लगे है। इस बार पिछले साल का भी रिकार्ड टूट गया है। 17 गुना पॉल्यूशन के बढ़ने से आपातकाल जैसे स्थिति पैदा हो गई है। पॉल्यूशन को रोकने में जिला प्रशासन एक बार फिर नाकाम साबित हो रही है। एकता शेखर, मुख्य अभियानकर्ता, द क्लाइमेट एजेंडा --------------- ये हैं दिवाली के आंकड़े स्थान पीएम 2.5 पीएम 10 डीएलडब्ल्यू 504 711लंका 424 630
रविन्द्रपुरी 372 584 भोजुबीर 342 487 शिवपुर 330 522 कचहरी 264 394 लहरतारा 242 511 नई सड़क 236 558 सोनारपुरा 224 318 पांडेयपुर 218 338 कैंट 211 486