City में tourism को बढ़ावा देने के लिए रेलवे प्लेटफार्म वेंडर्स कुली और टैक्सी ड्राइवर्स के लिए training programme की शुरुआत


Lucknow: इस देश में टूरिस्ट्स के लिए अतिथि देवो भव का मंत्र तो सालों से दिया जा रहा है पर जिनके कंधों पर इसे साकार करने का जिम्मा है उनके बारे में कोई नहीं सोचता। ऐसे में रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले वेंडर्स, कुली और टैक्सी ड्राइवर्स के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम कुछ उम्मीद तो जगाते ही हैं। नबाबों के इस शहर की तहजीब, नजाकत और नफासत को फिर से पहचान देने के लिए यूपी पर्यटन और पर्यटन प्रबंध संस्थान ने पर्यटन मंत्रालय की हेल्प से एक इनीशिएटिव लिया है. 
शुरु हुआ ट्रेनिंग प्रोग्राम
संडे को मान्यवर कांशीराम पर्यटन प्रबंध संस्थान की ओर से पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से सर्विस प्रोवाइडर्स की कैपासिटी इन्क्रीज करने के लिए चार दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम का उद्घाटन किया गया। प्रोग्राम को उत्तर रेलवे, लखनऊ स्टेशन के सहयोग से आर्गनाइज किया गया। प्रोग्राम में नवाब जफ़र मीर अब्दुल्ला ने कहा कि सबसे बड़ी जिम्मेदारी हम लोगों की है कि हम किस तरह अपने सिटी को पोट्रे करते हैं.
अमिताभ कुमार, स्टेशन प्रबंधक, लखनऊ रेलवे स्टेशन ने कुलीज और वेंडर्स को अपने आचरण का ख्याल रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वालों के लिए आप अपने मेहनताने न कम करें पर सर्विस देते समय आपकी बहुमूल्य मुस्कान उसी सर्विस की कीमत कई गुना बढ़ा देती है। इतना करके ही आप बाहर से आने वाले टूरिस्ट के दिल दिमाग में एक ऐसी पिक्चर प्रजेंट करते हैं कि वो दोबारा सिटी में आना पसंद करता है और दूसरों को भी प्रेरित करता है।
क्या है स्कीम?
हुनर को रोजगार थीम की यह योजना मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म, इंडियन गवर्नमेंट की ओर से सर्विस प्रोवाइडर्स की कैपासिटी बिल्डिंग के लिए लांच की गई है। जिसमें टैक्सी ड्राइवर्स, प्लेटफार्म वेंडर्स, कुलीज को बाहर से आने वाले टूरिस्ट को डील करने के बेसिक्स सिखाए जाएंगे ताकि वे अपनी सर्विस से उन पर अपना इम्पैक्ट डाल सकें और टूरिज्म को बढ़ावा मिले.
इस स्कीम को लेकर चारबाग स्टेशन पर ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरु करने वाले प्रो। मनोज दीक्षित बताते हैं कि सालों से लखनऊ की तहजीब की चर्चा होती रही है। ऐसे में बाहर से आने वाला कोई भी यहां के लोगों से पुरानी नफासत और नजाकत की उम्मीद करता है और जब उसे वह नहीं मिलता तो वह सारी बातों को किताबी मानकर सिटी के बारे में निगेटिव थाट्स डेवलप कर लेता है। हमें अपने सिटी की इस पहचान को बरकरार रखना होगा तभी इसे टूरिस्ट प्लेस के रूप में पहचान मिलेगी।
चारबाग ही क्यों?
यह ट्रेनिंग प्रोग्राम चारबाग रेलवे स्टेशन पर ही क्यों शुरु किया गया इस संबंध में पूछने पर पर्यटन प्रबंध संस्थान के प्रो। मनोज दीक्षित ने बताया के आज भी हमारी कंट्री में मैक्सिमम क्राउड ट्रेन के थ्रू ही ट्रैवेल करता है। ऐसे में बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स से पहला सामना रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुली, वेंडर्स और प्री पेड टैक्सी चलाने वालों का ही होता है.
अगर इन लोगों ने उसके सामने गलत बिहैवियर किया तो वहीं से उसके मन में सिटी की निगेटिव इमेज क्रिएट होने लगती है। कहते हैं कि फस्र्ट इम्प्रेशन इज लास्ट इम्प्रेशन। तो ऐसे में इन लोगों को ट्रेन करके ही अतिथि देवो भव की संकल्पना को साकार किया जा सकता है.
हालिया आए रेल बजट में रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण की बात कही गई है। उसे अमलीजामा पहनने में अभी वक्त है पर यहां काम शुरु हो चुका है। शायद टेक्नालोजी में एडवांस होने के साथ स्किल डेवलपमेंट का यह प्रयास आने वाले कल में लखनऊ के टूरिज्म की उम्मीदों को पंख दे सके.
Reported By: Kaushalendra Vikram

Posted By: Inextlive