GORAKHPUR : हर फिक्र को धुएं को उड़ाता चला गया... इस फिल्मी गाने को गोरखपुराइट्स के टीनएजर्स सच मान बैठे हैं. यही वजह है कि वे पढ़ाई से लेकर कॅरियर तक की टेंशन को कम करने के लिए स्मोकिंग और टौबेको का सहारा ले रहे हैं. उनका मानना है कि इससे उनकी टेंशन कम होती है. लेकिन वे यह नहींजानते कि किसी भी फिक्र को धुएं में नहींउड़ाया जा सकता है. दुनिया भर के देशों में इस बारे में हुई रिसर्च बताती है कि जो टीनएजर्स कम उम्र में ही टशन मारने के लिए सिगरेट के धुएं का छल्ला बनाते हैं उनके दिमाग के विकास पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है. यहां तक कि उनके दिमाग की ग्रोथ तक रुक जाती है. लेकिन इसे स्टेटस सिंबल और फैशन मान कर यूथ धीरे-धीरे सफेद धुएं के काले जहर को अपने सीने में उतार रहे है. इस बुरी लत के चलते सिटी के कई सुनसान जगहें स्मोकिंग का अड्डा बन चुकी हैं.


खुद को 'mature' दिखाते हैंस्मोकिंग की लत पर साइकोलॉजिस्ट डॉ। धनंजय कुमार बताते हं कि टीनएजर्स खुद को दूसरों की नजरों में मेच्योर दिखाने के लिए सिगरेट का सहारा लेते हैं। स्कूल लाइफ में अपने फ्रेंड्स के बीच धाक जमाने के लिए कई स्टूडेंट्स स्टूडेंट्स टौबेको प्रोडक्ट की लत में आ जाते हैं। यहां तक कुछ टीनएजर्स इनफिरियारिटी कॉम्पलेक्स से बाहर निकलने के लिए भी धुंए का छल्ला बनाते हैं।'Attention' के लिए smoking


एक्सपट्र्स की मानें तो कम उम्र में क्यूरोसिटी से स्टार्ट होकर ये आदत लत में तब्दील हो जाती है। शुरुआत में तो वे दूसरों को सिगरेट पीते देख आकर्षित होते हैं। कई बार बच्चे अपने घर में बड़ों को देख कर इस शौक को पाल लेते हैं। स्टूडेंट्स के केस में देखा गया है कि स्मोकिंग करने उन्हें लगता है कि उनका कॉन्संट्रेशन बढ़ जाता है। असल में स्मोकिंग के तुरंत बाद ब्लड सर्कुलेशन कुछ देर के लिए बढ़ता है, जिससे वो खुद को फ्रेश महसूस करते हैं, पर लांग टर्म में इसके खतरनाक असर सामने आते हैं। कई बार अटैंशन पाने के लिए भी स्टूडेंट्स स्मोकिंग करते हैं।तलाशते हैं 'स्पेशल अड्डे'

सिटी में यूथ स्कूल और कोचिंग से निकलने के बाद फ्रेंड्स के साथ स्मोकिंग के लिए नए-नए अड्डे तलाशते हैं। सुनसान गलियों और छिपे हुए ठिकानों को स्मोकिंग जोन बनाते हें। नाम न छापने की शर्त पर कई टीन एजर्स ने बताया कि स्कूल और कोचिंग में टेंशन को कम करने के लिए वे धुंआ उड़ाते हैं।तो नहीं बनेंगी मसल्स टौबेको प्रोडक्ट के इस्तेमाल से हमारी बॉडी पर कई साइड इफेक्ट पड़ते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि टौबेको प्रोडक्ट के यूज से कई बीमारियां पैदा हो जाती हैं। बच्चों की 16 साल की उम्र तक बॉडी डेवलपमेंट होती है। टौबेको प्रोडक्ट यूज करने से मसल्स का डेवपलमेंट रुक जाता हैGuardian समझें responsibilityस्कूली बच्चों में बढ़ रहे स्मोकिंग की लत के लिए गार्जियन भी कम जिम्मेदार नहीं है। ज्यादातर केसेज में बच्चे अपने पेरेंट्स को देखकर स्मोकिंग की हैबिट एडॉप्ट करते हैं। वर्किंग पेरेंट्स के केस में बच्चों में चोरी-छिपे स्मोकिंग और टौबेको प्रोडक्ट यूज करने का कल्चर सामने आया है। इसके लिए पेरेंट्स ही रिस्पॉन्सिबल हैं।Smoking और Tobacco का side effects

-निकोटीन जब सिगरेट के रूप में ली जाती है तो फेफड़ों पर बुरा असर छोड़ती है। गला खराब रहना, खांसी की शिकायत बनी रहना, सांस फूलना, कभी-कभी खांसी के साथ ब्लड का आना इसके शुरुआती लक्षण है। लंबे वक्त तक स्मोकिंग करना फेफड़ों का कैंसर दे सकता है।-तंबाकू से मुंह में सफेद छल्ली पैदा हो जाती है। ऐसे लोगों में मुंह का न खुल पाना, मुंह में जख्म, भूख का खत्म हो जाना जैसी प्रॉब्लम पैदा हो जाती है। तम्बाकू के रेगुलर यूज से पायरिया या दातों से ब्लड आना आम है। अगर टौबेको को लंबे समय से यूज किया जाए तो मुंह का कैंसर की आशंका बढ़ जाती हैं।क्या असर पड़ता है - टौबेको प्रोडक्ट का नर्वस सिस्टम पर भी असर पड़ता है। दिमाग के कई हिस्से निकोटीन के यूज से डेवलप नहीं होते।- मेमोरी पर भी इफेक्ट, ऐसे बच्चें अक्सर सामने वाले की बातों को समझने में वक्त लेते हैं।- सिर में दर्द के साथ चिड़चिड़ापन कॉमन हैकम उम्र में स्मोकिंग के खतरनाक असर सामने आते हैं। कई बार तो अटैंशन पाने और मेच्योरिटी दिखाने के लिए भी स्टूडेंट्स स्मोकिंग का सहारा लेते हैं.-डॉ। धनंजय कुमार, साइकोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive