गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग तो दूर, 35 फीसदी घरों से कूड़ा नहीं उठता
ईकोग्रीन के संसाधन
1800 के करीब कर्मचारी 300 कुल ई-रिक्शा 478 हाथ रिक्शा 48 जीप 152 पीआईजिओ 90 मिनी टिपर 22 ट्रैक्टर ट्रॉली - डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था दे गई रैंकिंग को झटका - निगम के अफसर भी व्यवस्था को पटरी पर लाने में हुए विफल abhishekmishra@inext.co.inLUCKNOW: नगर निगम प्रशासन की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण 19 को लेकर दावा किया गया था कि इस बार शहर की रैंकिंग टॉप थ्री में जरूर आएगी। सर्वेक्षण समाप्त होने से तीन दिन पहले शहर ने सर्वेक्षण में शामिल पब्लिक फीडबैक बिंदु में इंदौर को पीछे कर नंबर एक रैंकिंग हासिल कर ली, इसके बाद पूरी उम्मीद जताई जाने लगी कि शहर टॉप थ्री में आएगा लेकिन जब परिणाम सामने आया तो शहर की रैंकिंग पिछले साल की रैंकिंग के मुकाबले छह स्थान नीचे खिसक गई, जिससे स्पष्ट हो गया कि निगम प्रशासन ने सिर्फ पब्लिक फीडबैक पर ध्यान दिया, जिसका नतीजा यह रहा है कि अन्य बिंदुओं पर शहर खासा पिछड़ गया और रैंकिंग में झटका लगा।
इंदौर से मुकाबलापब्लिक फीडबैक में नंबर वन आने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि पिछले दो स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर एक पर आने वाला इंदौर शहर इस बार पीछे हो जाएगा। हालांकि एक कड़वी सच्चाई यह रही कि इंदौर में हो रहे कूड़ा निस्तारण से कोई सबक नहीं लिया गया, जिसकी वजह से झटका लगा।
गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग इंदौर को निश्चित रूप से नंबर वन ही आना चाहिए था और ऐसा हुआ भी। इसकी वजह यह है कि इंदौर में घरों से निकलने वाले गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग का काम किया जाता है। जिसकी वजह से सड़क पर कचरा नजर नहीं आता है। अब अगर अपने लखनऊ की बात की जाए तो स्थिति यह है कि शत प्रतिशत घरों से कूड़ा कलेक्शन ही नहीं होता है। महज 65 फीसदी घरों से ही कूड़ा कलेक्ट किया जाता है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग दूर का सपना है। योजना बनी सिर्फ कागजों में निगम प्रशासन की ओर से दावा किया गया था कि जल्द ही शहर में भी गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग संबंधी कदम उठाया जाएगा। यह भी आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही योजना शुरू होगी, लेकिन हकीकत यह है कि दो माह बाद भी ये योजना कागजों में है। ईकोग्रीन कंपनी का दावा - 65 फीसद घरों से उठ रहा कूड़ा - 35 फीसद घरों से ही नहीं उठ रहा कूड़ापुराने इलाके प्रभावित
शहर के पुराने इलाकों में अभी यह व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो सकी है। इसके साथ ही शहर के बाहरी इलाके भी इस सुविधा से कटे हुए हैं। यहां के लोगों ने कई बार निगम प्रशासन से इस संबंध में गुहार भी लगाई लेकिन स्थिति में कोई खास सुधार होता नजर नहीं आया। कई बार हुए प्रयास निगम प्रशासन की ओर से एक अप्रैल 2018 से घरों से कूड़ा कलेक्शन की नई व्यवस्था लागू की गई। जिसमें प्रत्येक जोन के 5 वार्ड चिन्हित किए गए। पहले इन वार्डो में शत प्रतिशत घरों से कूड़ा उठान की व्यवस्था को मजबूत करना था। इसके बाद दूसरे चरण में फिर पांच से सात वार्ड लिए जाने थे। नई व्यवस्था तो लागू हुई, लेकिन चयनित पांच वार्डो में से शत प्रतिशत कूड़ा कलेक्शन नहीं हो सका। जिसके बाद पार्षदों ने निगम प्रशासन से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। यूजर चार्ज पर एक नजर - 2 करोड़ हर माह अनुमानित यूजर चार्ज वसूली - 1 करोड़ 15 लाख इस माह में चार्ज वसूलने का लक्ष्य - 50 से 100 रुपये करीब प्रति कंज्यूमर यूजर चार्ज वर्जननिश्चित रूप से कहीं न कहीं कमी जरूर रह गई, जिसकी वजह से शहर की रैंकिंग पहले से भी डाउन हो गई है। जनता ने हमारा साथ दिया, लेकिन हम नंबर वन नहीं आ सके। इसके लिए जनता को सॉरी।
डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त