yasir.raza@inext.co.inइलेक्शन जैसे-जैसे करीब आ रहा है नफरत की आग फैलनी शुरू हो गयी है. सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट की भरमार हैं जहां न सिर्फ नफरत फैलाई जा रही है बल्कि एक-दूसरे को उसके लिए उकसाया भी जा रहा है. ऐसी पोस्ट्स साइबर सेल के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रही हैं.


नफरत का इस्तेमाल ज्यादा

फेसबुक पर ऐसी दर्जनों आईडी क्रिएट की गयी हैं जो सिर्फ नफरत फैलाने का काम कर रही हैं। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ एक ही ग्रुप या एक ही पक्ष की ओर से क्रिएट की गयी हैं। ऐसे पेज और आईडी के जवाब में भी पेज और आईडी क्रिएट की गयीं हैं। इन पेज पर दोनों ओर से गोधरा और गुजरात को लेकर भड़काऊ पोस्ट और कमेंट किये गये हैं.

व्हाट्स एप्प भी भरा पड़ा

ऐसा नहीं है कि इस तरह के पोस्ट सिर्फ फेसबुक के ही जरिये सर्कुलेट हो रहे हों। फेसबुक और ट्विटर के अलावा व्हाट्स एप्प पर भी ऐसे मैसेज खूब सर्कुलेट किये जा रहे हैं, जिसमें आपस में तू-तू, मैं-मैं भी हो रही है। मगर यह अभी शुरुआत है। अगर इस पर लगाम नहीं लगी तो यह इलेक्शन से पहले बड़ी प्रॉब्लम क्रिएट कर सकता है.

पुलिस के लिए भी है चुनौती

पुलिस के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती है। साइबर क्राइम से जुड़े अधिकारियों और साइबर क्राइम पर वर्क करने वाले पुलिसकर्मियों की प्रदेश में कमी भी है। ऐसे में इस क्राइम को रोक पाना पुलिस के लिए मुश्किल हो रहा है। यहां तक कि पुलिस एक साथ बल्क में फेसबुक में बनीं आईडी डिलीट नहीं हो पाती हैं। वहीं, व्हाट्स एप्प पर सर्कुलेट मैसेज के असली सेंडर को ट्रेस करना भी काफी मुश्किल होता है.

मुजफ्फरनगर दंगे में सोशल मीडिया का था अहम रोल

बीते सितम्बर महीने में मुजफ्फरनगर में हुए दंगे में सोशल मीडिया का रोल काफी अहम था। फेसबुक और यू-ट्यूब पर शेयर किया गया विडियो दंगे का कारण बताया गया था। इस मामले में दो विधायकों को जेल भी जाना पड़ा था। दरअसल, फेसबुक पर आज चौथी पोस्ट किसी न किरी सम्प्रदाय के खिलाफ होती है। ऐसे में इन पर लगाम लगाना काफी जरूरी है.

साइबर सेल के लिए चुनौती

यह क्राइम न सिर्फ पुलिस के लिए बल्कि प्रदेश के साइबर थानों के लिए भी सिरदर्द पैदा कर रहा है। फेसबुक के करोड़ों पेज में से ऐसे पेज को फिल्टर करना किसी भी एजेंसी के लिए मुश्किल होता है। वहीं, साइबर सेल या पुलिस तभी एक्शन लेती है जब कोई शिकायत उसके पास आती है.

Posted By: Inextlive