क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ :जिसके सिर पर सेहरा बंधना था, घर में उल्लास और हंसी-ठिठोली का माहौल था उसने दोस्ती का फर्ज निभाया और दोस्त की जान बचाने के बाद कफन ओढ़कर गहरी नींद में सो गया. उल्लास और हंसी ठिठोली अब मातम में बदल चुकी है. शहीद अनुराग की अर्थी जब घर से श्मशान जाने के लिए उठी तो हर जुबान पर बस यही बात थी. शहीद अनुराग शुक्ला की एक सप्ताह पहले ही शादी फाइनल हुई थी और शादी की तारीख भी दिसंबर में रखी गई थी. शादी ठीक होने के बाद से ही घर में खुशी का माहौल था. इकलौते बेटे की शादी की धूमधाम से तैयारी हो रही थी. अनुराग ऐसे व्यक्तित्व वाले थे कि अपमान करने वाले को भी गले लगा लेते थे.

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

झारखंड के लाल लेफ्टिनेंट अनुराग शुक्ला (23) का सोमवार दोपहर उनके गांव सिंघार स्थित कोयल नदी के घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया. शहीद के पिता जीतेंद्र शुक्ला ने मुखाग्नि दी. आवास से श्मशान तक शहीद अनुराग शुक्ला अमर रहे का नारा लगता रहा. अनुराग राजस्थान के श्रीगंगानगर में अपने तीन दोस्तों को बचाने के दौरान डूब गए थे. रविवार शाम उनका पार्थिव शरीर रांची एयरपोर्ट पहुंचा था. एयरपोर्ट पर शहीद के परिजनों के साथ नगर विकास मंत्री सीपी सिंह, रांची डीसी राय महिमापत रे और एसएसपी अनीश गुप्ता समेत सेना के जवानों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

सेंट जेवियर्स कॉलेज से हुई थी पढ़ाई

अनुराग ने 10 वीं तक की पढ़ाई डीएवी डालटनगंज से की. इसके बाद रांची आ गए और सेंट जेवियर्स कॉलेज से इकॉनामिक्स में ग्रेजुएशन किया. फिर सीडीएस क्रैक करने के बाद भारतीय सेना में अफसर बने. अनुराग स्कूल के दौरान से ही पढ़ाई में अव्वल आते थे.

Posted By: Prabhat Gopal Jha