हरियाणा के मीरपुर गांव निवासी 52 वर्षीय रामचंद्र यादव ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सैनिक पिता की हवाई हादसे में हुई मौत के 45 साल बाद वे चिता सजाकर उनको मुखाग्नि दे पाएंगे. लेकिन अब ऐसा होने जा रहा है. कुछ दिनों पहले सेना ने लेह के पास ग्लेशियर के नीचे दबे उनके पिता का शव बरामद किया.


1968 में छुट्टी काटकर गए थे ड्यूटी पररामचंद्र ने बताया कि उनके पिता हवलदार जगमाल सिंह वर्ष 1968 में छुट्टी काटकर मीरपुर से ड्यूटी पर गए थे. लेह के लिए जाते समय उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था लेकिन उस समय पिता का शव नहीं मिला था. तब वे मात्र छह-सात वर्ष के थे. सेना की ओर से उनकी मां को पेंशन मिलती रही थी, लेकिन उनके मन में यह मलाल अवश्य था कि वे पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए. अब रविवार को उनकी यह तमन्ना पूरी हो जाएगी. बर्फीले ग्लेशियर में दबे होने के कारण शव सुरक्षित है. शुक्रवार को सेना के कुछ अधिकारी रामचंद्र के पास इस संदर्भ में पूछताछ करने आए थे. उन्होंने ही शव ग्लेशियर के नीचे दबे होने की बात बताई.Report by: Krishna Kumar (Dainik Jagran)

Posted By: Satyendra Kumar Singh