-सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए मुस्कान ज्योति समिति लगायेगी प्लांट

-घरों से निकलने वाले कूड़े से प्लास्टिक और खाद बनकर आयेगा बाजार में

-नगर आयुक्त ने NGO के प्रोजेक्ट डायरेक्टर संग की बैठक

VARANASI

घरों से निकलने वाला सॉलिड वेस्ट अब डंपिंग ग्राउंड में नहीं बल्कि बाजार में बिकेगा। आप सोच रहे होंगे कि ये किस तरह का मजाक है। जरा ठहरिये, बाजार में पहुंचने से पहले यह कूड़ा अपना रंग-रूप बदल लेगा और इसको बदलने के लिए नगर निगम एक एनजीओ के साथ काम शुरू करने वाला है। कूड़े को बाजार में पहुंचाने से पहले इसके दो हिस्से हो जाएंगे। एक होगा प्लास्टिक बनाने का रॉ मैटीरियल और दूसरा होगा कम्पोस्ट खाद। फिलहाल इसे ट्रायल के तौर पर चलाया जाएगा। सक्सेस होने पर इसे बढ़ाया जाएगा।

रेवन्यू भी हो रहा जेनरेट

इस प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देगा एनजीओ मुस्कान ज्योति समिति। नगर आयुक्त श्रीहरि प्रताप शाही ने शुक्रवार को एनजीओ के डायरेक्टर आनंद सिंह खोसला से इस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी ली। यह प्रोजेक्ट सहारनपुर और झांसी में रन कर रहा है और इस प्रोजेक्ट से रेवेन्यू भी जेनरेट हो रहा है। इस प्रोजेक्ट से बनने वाली खाद बाजार में बेची जा रही है। साथ ही सॉलिड वेस्ट से निकलने वाले प्लास्टिक को भी बेचा जा रहा है।

चाहिए एक एकड़ जमीन

इस प्लांट के लिए एक लाख की आबादी वाला एरिया कवर किया जाएगा। यहां घरों से निकलने वाले सॉलिड वेस्ट के मैनेजमेंट की खातिर लगने वाले प्लांट के लिए एक एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी। एनजीओ के डायरेक्टर ने नगर आयुक्त को प्रेजेंटेशन देकर प्लांट की वर्किंग के बारे में बताया। नगर आयुक्त ने इसके लिए वरुणा पार इलाके में प्लांट बनाये जाने के लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिये हैं।

क्.8भ् करोड़ का खर्च

एनजीओ के डायरेक्टर ने बताया कि एक लाख लोगों के लिए बनने वाले इस प्रोजेक्ट पर क्.8भ् करोड़ रुपये का खर्च होता है। इसके लिए बनने वाले प्लांट पर फ्0 लाख रुपये का खर्च होगा। इसमें ट्रांसपोर्टेशन, मैन पावर और संसाधन आदि के नाम पर खर्च होगा। यह इनवेस्टमेंट नगर निगम को सिर्फ एक बार करना होगा। इसके बाद किसी तरह का खर्च नगर निगम से नहीं लिया जाएगा। खाद और प्लास्टिक बेचे जाने के बाद जो रेवेन्यू आयेगा उससे ही प्रोजेक्ट का खर्च चलेगा।

दो शहरों में है सफल

यह प्रोजेक्ट पहले से सहारनपुर और झांसी में चल रहा है। जो सफल भी है। नगर आयुक्त ने बताया कि सहारनपुर के नगर आयुक्त से उन्होंने बात की है। वहां पर यह प्रोजेक्ट पिछले सात साल से रन कर रहा है। जिससे इस प्रोजेक्ट के लिए रेवेन्यू भी जेनरेट किया जा रहा है। झांसी में पिछले एक साल से यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ है।

चाहिए फ्रेश कू ड़ा

खाद बनाने के लिए इस प्लांट को रोजाना निकलने वाला ही कूड़ा चाहिए। क्योंकि डंप किये गये कूड़े से न तो प्लास्टिक बनाया जा सकता है और न ही उससे खाद बन पायेगी। इसके लिए संस्था कूड़ा उठाने का काम खुद भी करायेगी या फिर इसमें नगर निगम भी मदद कर सकता है।

कैंटोन्मेंट में है एक प्रोजेक्ट

कैंटोन्मेंट में सॉलिड वेस्ट के लिए इस टेक्नीकपर पहले से काम चल रहा है। इस प्रोजेक्ट को दिल्ली की आकांक्षा नाम की संस्था चला रही है। इसके लिए कैंटोन्मेंट बोर्ड हर महीने दो लाख म्0 हजार रुपये संस्था को देता है। इस प्रोजेक्ट से बनने वाला प्लास्टिक कैंटोन्मेंट को मिलता है और खाद को बाजार में बेचा जाता है।

आयल कंपनी का भी प्रोजेक्ट

एक आयल कंपनी ने भी इसी तरह के प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए रमना में जमीन मांगी है। कचरा से मिथेन व ईट बनाने का प्रस्ताव दिया है। चूंकि जमीन सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए ली गई है। इसलिए भू-उपयोग बदलने के लिए नगर निगम ने शासन को पत्र भेजा है।

निगम की कचरा बाजार पर नजर

ठोस कचरा प्रबंधन में संस्थाओं से हाथ मिलाने के साथ ही नगर निगम खुद के दम पर भी प्रयास कर रहा है। इसलिए नगर आयुक्त की कचरा बाजार पर भी नजर है। उन्होंने मातहतों को निर्देशित किया कि नगर में इस कारोबार से जुड़े लोगों से संपर्क करें और आठ सितंबर को उनके साथ बैठक में शामिल होने के लिए बुलाएं।

प्रोजेक्ट से मिलेगी जॉब

इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से कई लोगों को रोजगार भी मिलेगी। पहले से कचरा बीनने के काम में लगे लोगों को रोजगार देने के साथ ही सिटी वेस्ट मैनेजमेंट में उनकी भूमिका भी तय की जाएगी। ताकि शहर में वेस्ट मैनेजमेंट बेहतर होने लगे।

Posted By: Inextlive