Sometimes it’s good to forget!
लाइफ इज नॉट अ बेड ऑफ रोजेस.’ यह तो लगभग हर किसी ने सुना ही होगा। जाहिर सी बात है कि हर किसी की कभी ना कभी तो अपनी जिन्दगी में रफ फेज का सामना करना ही पड़ता है। यह अनवांटेड जॉब चेंज भी हो सकता है, डायवोर्स या ब्रेकअप भी या किसी लव्ड वन से दूरी भी। इन सब उतार-चढ़ाव पर हमारा कंट्रोल नहीं है लेकिन इस मोड से जुड़ी यादों से बाहर आना तो हमारे ही बस में ही है।
अच्छा चलिए अपने आपसे एक सवाल पूछिए। सवाल यह कि क्या आप अपनी बीती कड़वी यादों को भूल जाना चाहते हैं? जवाब‘हां’में है ना! आपके पास्ट को भुलाने के लिए हमने साइकोलॉजिस्ट कृष्णकांत मिश्रा से मदद लेकर आपको गाइड करने की कोशिश की। उन्होंने हमें बताए भूल जाने के कुछ बेहतरीन फायदे
Why forgetting is good?
साइंटिफिकली बात करें तो अगर हम अपने हर पुराने एक्सपीरियंस को अपनी मेमोरी में थामकर रखेंगे तो एक स्टेज ऐसी आएगी जब ब्रेन में इंफॉर्मेशन ओवरलोड की सिचुएशन आ जाएगी। इससे हमारे ब्रेन में फीड पुरानी इंफॉर्मेशन नई इंफॉर्मेशन के रास्ते में रुकावट का काम करेगी और बीती बातें कभी भी हमें नई चीजों से कुछ सीखने नहीं देंगी। नतीजा!ओवरऑल डेवलपमेंट नहीं हो पाएगा और हम फ्रस्ट्रेशन में जीने लगेंगे।
जब किसी पुरानी याद को भूल जाने की बात होती है तो किसी भी इंडिविजुअल को ‘फॉरगेटिंग’ और ‘नॉट फॉरगेटिंग’ के बीच नहीं चुनना होता है, बल्कि ‘बुरी यादों का बोझ लेकर जीने’ और ‘सारी कड़वी यादों को डम्प करके जीने’के बीच चुनना होता है। लाइफ को आगे एंज्वॉय करना है तो दूसरा ऑप्शन पहले से कई गुना ज्यादा प्रोडक्टिव है।
कड़वी यादों का डायरेक्ट कनेक्शन माइंड पर चढ़ी निगेटिविटी की लेयर से होता है। यह निगेटिव बातें दरअसल किसी को भी लॉजिकल होने से रोकती हैं और अंजाने में बहुत कुछ गलत कराने में मजबूर करती हैं। जैसे ही आप इन यादों से बाहर आ जाते हैं, वैसे ही ये लेयर चूर-चूर हो जाती है और जिन्दगी को लेकर आपका दायरा बढ़ जाता है।
जिन्दगी को जीने में हमारा शेयर केवल 50% होता है बाकी 50% हमें दूसरे सप्लाई करते हैं। भले ही दूसरों के दिए गए 50% में हमारा बस ज्यादा ना चल सके लेकिन जो 50% हमारे खुद के हैं उन्हें तो हम अपने पॉजिटिव एटिट्यूड से चेंज कर ही सकते हैं। अगर आपका 50% ही निगेटिविटी से घिरा हुआ होगा, आप अंदर से कड़वे, निराश और थके हुए होंगे तो बाकी का 50% आपको कभी भी अच्छा नहीं लगेगा।
जो भी बुरा हुआ वह आपके बस में नहीं था और अब उसमें कुछ खास चेंजेस भी नहीं किए जा सकते, लेकिन आगे जो होगा वह आप पर डिपेंड करता है। अगर उन पुरानी यादों के इर्द-गिर्द ही रहेंगे जो आपको ऊपर से लेकर नीचे तक डिसअप्वॉइंट कर गईं तो फ्यूचर में जो भी पॉजिटिव चीजें हमारा इंतजार कर रही होंगी आप उन्हें भी गंवा बैठेंगे। अपनी लाइफ में आने वाली नई चीजों से एडजस्ट होने के लिए और उनका स्वागत करने के लिए पुरानी यादों को भूलना जरूरी है।
यह बात एक लेटेस्ट रिलीज होने वाली फिल्मम के एग्जांप्ल से आपको और अच्छे से समझ आ जाएगी। फिल्म है हैरी पॉटर अब सोचिए अगर हैरी अपनी पुरानी और बुरी यादों से बाहर ना आता तो क्या अपने अंदर की अच्छाई और प्यार को सेव करके रख पाता नहीं ना और तब उसे वोल्डेंमार्ट को फेस करने की ताकत कैसे मिलती। वैसे भी पुरानी यादों के बोझ ने उससे सीरियस जैसा गॉड फादर छीन लिया था ना। बस अब आप समझ सकते हैं कि बुरी मेमोरीज को भुला देना क्यों इंपॉर्टेंट है और यह कैसे करना है।