- 12 अक्टूबर, सोमवार को होगी सोमवती अमावस, सभी तिथियों का हो सकेगा तर्पण

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Meerut पितरों की पूजा का बहुत ही लाभ मिलता है। हमारे द्वारा हमारे पितरों को श्रद्धापूर्वक पूजित करने से काफी उत्तम लाभ मिलता है। पंडितों के मुताबिक हमारे लिए पितरों का श्राद्ध करना इसलिए उचित है ताकि वे आध्यात्मिक ऊर्जाओं से परिपूर्ण हो ऊंचे लोकों में जाने की अपनी ऊर्जा को हमारे श्रद्धा पूर्ण तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान की प्रक्रिया से बढ़ाकर हमें आशीर्वाद, वरदान देते हुए ऊंचे लोकों में प्रस्थान कर सकें।

पितरों का करें आदर

पंडित चिंतामणी जोशी बताते हैं कि जिनके पितृ अपने सूत्रों से अपने वंश को खोजते हुए पृथ्वी पर तो आ जाते हैं और उनके वंश उनका यथानुसार आदर, श्रद्धा से वो ऊर्जा अपने अनिवार्य संस्कार व कर्मो से नहीं दे पाते हैं वह इस पृथ्वी पर ही अतृप्त, असंतुष्ट रह कर अपने ही वंश को शापित कर देते हैं। इससे ही पितृ दोष उत्पन्न होता है, जिससे हमारे जीवन में बहुत समस्याएं महसूस होती हैं। साथ ही नकारात्मक ऊर्जाओं के बढ़ जाने के कारण कायरें में बाधा, निराशा और कामों में रुकावट आने लगती है। इसलिए हमें अपने पूर्वजों के प्रति कर्म कर्तव्य अनिवार्य रूप से कर लेना होता है, क्योंकि हम अपने पूर्वजों के ऋणी होते हैं। विरासत में हमने कुछ ना कुछ धन संपत्ति भी प्राप्त की होती है।

चतुर्दशी को न करें श्राद्ध

पंडित चिंतामणी जोशी कहते हैं कि अज्ञानता के कारण ही कष्ट आते हैं, इसलिए ज्ञान को अपनाकर स्वयं और पूर्वजों को और आगे की पीढ़ी को कष्टों से मुक्ति दिलाई जा सकती है। ध्यान रहे श्राद्ध के लिए चतुर्दशी तिथि केवल उन मृतकों के लिए आरक्षित है, जिनकी अकाल मृत्यु शस्त्र, अग्नि, जल अथवा दुर्घटना आदि से अपमृत्यु के रूप में हुई हो। इसलिए ऐसे पितरों का श्राद्ध केवल चतुर्दशी की तिथि में ही किया जाए, किसी अन्य तिथि में नहीं, लेकिन जिन पितरों की मृत्यु चतुर्दशी में हुई हो उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि में ही करना श्रेष्ठ रहेगा, अन्यथा हमारे पितृ पीडि़त हो सकते हैं।

पितृ विसर्जन मुहूर्त

पंडित अरुण शास्त्री के अनुसार वैसे तो सूर्योदय प्रात: 6 बजकर 24 मिनट से सोमवती अमावस्या प्रारम्भ हो जाएगी। तथा सूर्यास्त से पूर्व पितृ विसर्जन कर देना आवश्यक होता है, लेकिन पितृ विसर्जन का सर्वश्रेष्ठ समय कुतुप योग में दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक का है। इस अवधि में किया गया पितृ विसर्जन पितरों को पूर्ण तृप्ति प्रदान करता है।

सर्व पितर श्राद्ध

ज्योतिष भारत ज्ञान भूषण के अनुसार चाहे पूरे पितृ पक्ष में आप श्राद्ध न कर पाए हों पर अमावस्या का श्राद्ध सर्व पितर श्राद्ध कहलाता है, जिसमें सभी पितृ एकत्रित हो कर आपका प्रेम पूर्वक श्रद्धा रूप में तर्पण श्राद्ध भोजन, उपहार ग्रहण कर ऊर्जावान हो कर प्रसन्न व संतुष्ट होकर वरदान दे कर अपने लोकों में प्रस्थान कर पाते हैं। इस वर्ष की सोमवती अमावस्या देव पितरी कार्य अमावस्या भी है। इसलिए पितृ विसर्जन हेतु सबसे महत्वपूर्ण तिथि हो जाती है। पंडित राजेश शर्मा के अनुसार पितृविसर्जन आवश्यक करना चाहिए। उनके अनुसार पितृ विसर्जन का सर्वश्रेष्ठ समय कुतुप योग में दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक का है।

Posted By: Inextlive