लव रंजन धीरे धीरे एक नए ट्रेंड को चलन दे रहे हैं ऐसा चलन सत्तर के दशक में सिप्पी की फिल्मों में देखने को मिलता है...मेरा मतलब है 'ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे' टाइप की ब्रोनेक्शन से। दुनिया बदली और ब्रोनेक्शन के रूल भी बदले और इन बदले रूल्स के चलते एक ब्रो का दूसरे के प्रति प्यार भी बदला। पर नहीं कुछ बदला तो वो है लव रंजन का ब्रो-प्रेम और उनकी भावना 'प्राण जाए पर ब्रो न जाये'। लो जी आ गया ब्रो के ब्याह का पंचनामा।

कहानी : सोनू और टीटू ब्रोनेक्शन के बंधन में बंधे हुए है, और ये बंधन तोड़ना चाहती है स्वीटी, अब क्या करेगा सोनू ? यही है फ़िल्म की कहानी।
समीक्षा
युवा लड़कों की नब्ज को लव ने बड़े कस के पकड़ा है। मुद्दे वही हैं जो प्यार का पंचनामा के थे पर फ़र्क़ बस इतना है कि फोकस प्यार से शादी पे शिफ्ट हो गई है। फर्स्ट हाफ में फ़िल्म ज़बरदस्त वन लाइनर्स क्रूज़ शिप पे लद के अपने गंतव्य की तरफ चल देती है और लगता है कि पहुंच ही जाएगी पर... स्क्रीनप्ले इतना प्रेडिक्टेबल हो जाता है कि ज़रूरत ही नहीं होती कि आप डेस्टिनेशन तक पहुंचें। दूर से ही दिख जाता है कि फ़िल्म कहां लेके जा रही है और कहां पहुंचेगी, यही फ़िल्म का सबसे वीक पॉइंट है। फ़िल्म के डायलॉग फ़िल्म का हाइपोइंट हैं। करारे डायलॉग ही हैं जिनकी वजह से ये फ़िल्म शुरवात से अंत तक एंटरटेनिंग बनी रहती है और इसलिए स्क्रीनप्ले की खामियों को ढक लेती है। फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफी अच्छी है, और फ़िल्म का म्यूजिक भी फ़िल्म के फील को एनहान्स करता है खासकर 'दिल चोरी साड़ा हो गया' पिछले कुछ सालों में फिल्मों में इस्तेमाल हुए रीमिक्स गानों में से बेहतर गानों में से है। फ़िल्म की एडिटिंग क्रिस्प है और स्टाइलिंग भी बढ़िया है।
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वर्डिक्ट

जिस तरह की फ़िल्म लव आपको प्रोमिस करते हैं वो आपको मिल जाती है। हाँ, फ़िल्म प्रेडिक्टबल है और हर लव रंजन फ़िल्म की तरह जहां से शुरू हुई थी वहीं पे खत्म होती है पर ये फ़िल्म लव के फिक्स्ड फॉर्मूले के बावजूद भी मज़ेदार है और इसलिए अपने दर्शकों को खूब लुभाएगी। अपने ब्रोज़ के साथ इस हफ्ते जाके देख सकते हैं सोनू के टीटू की स्वीटी।

रेटिंग : 3.5 स्टार

 

Yohaann Bhargava
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Posted By: Vandana Sharma