- कैंट में सबसे कम दर्ज हुआ ध्वनि प्रदूषण

- वहीं कई इलाकों में सामान्य रहा नॉयज

Meerut : दीपावली के दिन सबसे अधिक नॉयज पॉल्यूशन फैलाने वालों में बेगमपुल और थापर नगर के लोग सबसे आगे रहे। अगर दोनों इलाकों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो पिछले हफ्ते के मुकाबले यहां पर करीब फ्0 डेसीबल तक अंतर देखने को मिला। कई ऐसे इलाके रहे जहां पर नॉयज पॉल्यूशन का स्तर 70 डेसीबल से अधिक देखा गया। अधिकारियों की मानें तो इस बार ये लेवल पिछले वर्ष के मुकाबले थोड़ा कम हुआ है।

ख्0 डेसीबल से अधिक का अंतर

ताज्जुब की बात तो ये है जहां पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का रीजनल ऑफिस है वहां पर भी बाकी दिनों के मुकाबले ख्0 डेसीबल अधिक था। जहां क्भ् अक्टूबर को पल्लवपुरम में नॉयज पॉल्यूशन लेवल ब्9.ख् डेसीबल था वहीं दीपावली के दिन 70.ब् डेबीसल के आंकड़े को छुआ। सबसे अधिक नॉयज पॉल्यूशन बेगमपुल और थापर नगर में आंका गया। बेगमपुल में सबसे अधिक 80.भ् डेबीसल रहा। जबकि क्भ् अक्टूबर को भ्ब्.8 डेबीसल था। वहीं थापर में दीपावली को 78.7 डेबीसल नॉयज पॉल्यूशन आंका गया। जबकि क्भ् को वहां पर ब्फ्.भ् डेबीसल था।

कैंट में रहा कम

वहीं अगर बात सबसे कम नॉयज पॉल्यूशन इलाकों की बात करें तो कैंट अस्पताल एवं आसपास के इलाकों में सबसे दर्ज की गई। यहां पर दीपावली के दिन भ्क्.8 डेसीबल का आंकड़ा छुआ। जबकि क्भ् अक्टूबर को ब्ख्.भ् डेसीबल दर्ज किया गया था। वहीं कैंटोनमेंट में भी बाकी इलाकों के मुकाबले कम ही नॉयज पॉल्यूशन हमला। जहां यहां पर क्भ् अक्टूबर को भ्ब्.क् डेसीबल दर्ज किया गया था, वहीं दीपावली के दिन म्म्.म् डेसीबल दर्ज हुआ।

कहां कितना रहा नॉयज पॉल्यूशन

स्थान क्भ् तारीख ख्फ् तारीख

कैंट अस्पताल ब्ख्.भ् डेसीबल भ्क्.8

रेलवे रोड भ्म्.8, म्7.म्,

थापर नगर ब्फ्.भ्,, 78.7,,

बेगमपुल भ्ब्.8,, 80.भ्,,

कलेक्ट्रेट ब्ख्.ख्,, म्9.भ्,,

शास्त्रीनगर ब्0,, 77.ख्,,

कैंटोनमेंट भ्ब्.क्,, म्म्.म्,,

पल्लवपुरम ब्9.ख्,, 70.ब्,,

कुछ इस तरह पड़ता है शोर का असर

डेसिबल

म्0 बेचैनी, मानसिक तनाव, अनिद्रा

80 सिर दर्द, थकान, कार्यक्षमता में कमी

90 कान के भीतरी भाग में क्षति

क्00 धड़कन का बढ़ना, रक्त वाहिनियों का सिकुड़ना, हाई ब्लड प्रेशर

क्ख्0 स्मृतिलोप, प्रसव पीड़ा का बढ़ना, गर्भस्थ शिशु में विकार

दीपावली से पहले और बाद में ध्वनि का स्तर मापा गया, किंतु स्वास्थ्य को नुकसान जैसी कोई विशेष स्थिति नहीं है। पटाखों के आसपास ध्वनि प्रदूषण की सीमा सामान्य ही रही।

- डॉ। बीबी अवस्थी, क्षेत्रीय नियंत्रक, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड

ध्वनि प्रदूषण से पेट में छाले, हृदय रोग, हार्मोन्स में असंतुलन, कान के पर्दे में विकार सहित मेमोरी लॉस जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं। गर्भस्थ शिशुओं में विकार भी आ सकता है।

- डॉ। तनुराज सिरोही, फिजीशियन

ध्वनि प्रदूषण से पक्षी अपना स्थान बदल लेते हैं, कई बार अंडा देना भी बंद कर देते हैं। जो पारिस्थितकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा है। किंतु बोर्ड की रिपोर्ट से प्रतीत होता है कि यह टेबल रिपोर्ट है।

- रजत भार्गव, वन्य जीव विशेषज्ञ

Posted By: Inextlive