क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: रिम्स में मरीजों का इलाज करने वाले स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का स्पेशल आशियाना होगा, जहां डॉक्टर्स को बिल्डिंग में ही रहने के अलावा सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. इतना ही नहीं, हास्पिटल कैंपस में ही बिल्डिंग होने से डॉक्टर्स को हॉस्पिटल पहुंचने में ज्यादा समय भी नहीं लगेगा. इससे इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों को तत्काल इलाज मिल सकेगा. वहीं मरीजों के डेथ रेशियो में भी कमी आएगी. चूंकि कई मरीज महज कुछ मिनट की देरी के कारण ही अपनी जान गंवा देते हैं.

ट्रामा, इमरजेंसी व सुपरस्पेशियलिटी के रहेंगे डॉक्टर्स

हॉस्पिटल कैंपस में ही ट्रामा सेंटर सह सेंट्रल इमरजेंसी की शुरुआत की जा रही है, जहां पर तीनों शिफ्ट में सैकड़ों डॉक्टर्स की जरूरत पड़ेगी. वहीं सुपरस्पेशियलिटी में भी नए डॉक्टर आएंगे. ऐसे में उन्हें रहने के लिए जगह चाहिए होगी. चूंकि पुरानी बिल्डिंग पहले से ही फुल है. इस समस्या से निपटने के लिए ही नई बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव दिया गया है. जिसमें ट्रामा, सेंट्रल इमरजेंसी और सुपरस्पेशियलिटी के डॉक्टर ही रहेंगे.

कैंपस में जगह नहीं, फ्लैट में रहने को मजबूर हैं डॉक्टर्स

कैंपस में जगह नहीं होने के कारण डॉक्टर्स को जगह नहीं मिल पा रही है. ऐसी स्थिति में सुपरस्पेशियलिटी की सर्विस देने के लिए आए डॉक्टर्स को भी क्वार्टर नहीं मिल पा रहा. वे लोग खुद से फ्लैट लेकर रह रहे है. इस चक्कर में हॉस्पिटल आने-जाने में ही उनका काफी समय निकल जाता है. वहीं कई बार इमरजेंसी में पहुंचने में भी देर हो जाती है. इसके अलावा उन्हें फ्लैट में काफी रेंट भी चुकाना पड़ रहा है. जबकि उसके आधे खर्च में ही रिम्स में उन्हें क्वार्टर मिल सकता है. अब नए बिल्डिंग में डॉक्टर्स के लिए पर्याप्त जगह होगी.

इमरजेंसी में डॉक्टर्स की ज्यादा जरूरत

हॉस्पिटल के इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या फिलहाल 400 से अधिक है. लेकिन नए भवन में ट्रामा सेंटर सह इमरजेंसी चालू होने के बाद मरीजों की संख्या में भी इजाफा होगा. चूंकि वहां पर 100 मरीजों के एक साथ इलाज करने की पूरी व्यवस्था है. वहीं इमरजेंसी से निपटने के लिए पूरी टीम भी तैनात रहेगी. वर्तमान इमरजेंसी में करीब 20 बेड हैं, जबकि ट्रामा सेंटर में दस बेड पर मरीजों का इलाज होता है.

Posted By: Prabhat Gopal Jha