27नवंबर 1907 को इलाहाबाद में जन्‍मे हरिवंश राय बच्‍चन के बारे में कितने लोग ये जानते हैं कि उनका असल नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव 'बच्चन' था। हरिवंश राय बच्‍चन हिन्दी भाषा के एक महान कवि और लेखक थे। 'हालावाद' के प्रवर्तक हरिवंश राय हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक माने जाते रहे हैं। बात करें उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति की तो वह है 'मधुशाला'। यूं तो इनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो अपने आप में अनोखी हैं लेकिन कुछ ऐसी खास बातें भी हैं जिनको सुनकर कोई भी चौंक जाएगा। आइए जानें उनमें से ऐसी ही एक खास बात को।

एक शाम थी ऐसी
हरिवंश राय बच्चन के जीवन की एक शाम, जब वे एकाकी जीवन बिता रहे थे। उस दिन वह अपने एक दोस्त प्रकाश के यहां बरेली पहुंचे थे। यहां उनकी मुलाकात तेजी सूरी से हुई और यहीं से शुरू हो गई थीं हरिवंश राय बच्चन की प्रेम कहानी। इस मुलाकात का जिक्र खुद इन्होंने अपनी आत्मकथा में किया है।
31 दिसंबर की रात थी
ये 31 दिसंबर की रात थी। उस रात सबने इस बात की इच्छा जाहिर की कि नए साल की शुरुआत उनके किसी काव्य पाठ से हो। करीब आधी रात बीत चुकी थी। उन्होंने सिर्फ एक या दो कविताएं सुनाने का वादा किया। वहां मौजूद हर किसी ने 'क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी...' गीत सुनना चाहा, जिसे वह सुबह सुना चुके थे।
ऐसा था वो गाना
इस कविता को उन्होंने बेहद सिनिकल मूड में लिखा था। उन्होंने उसको सुनाना शुरू किया। उस समय एक पलंग पर वह बैठे थे,  उनके सामने प्रकाश बैठे थे और तेजी सूरी उनके पीछे खड़ी थीं। वह इंतजार में थीं कि गीत खत्म हो और वह अपने कमरे में चली जाएं। गीत सुनाते सुनाते उनके स्वर में वेदना भर आई। जैसे ही उन्होंने 'उस नयन से बह सकी कब इस नयन की अश्रु-धारा' पंक्ति को पढ़ा, वह देखते हैं सूरी की आंखें भर आईं हैं। टप टप करके उनके आंसू की बूंदें प्रकाश के कंधे पर गिरीं। यह देखकर उनका भी गला रुंध जाता है। उनके भी आंसू नहीं रुके। दोनों रोने लगे।
हो गए हमेशा-हमेशा के लिए एक
इतने में प्रकाश का परिवार कमरे से कब बाहर निकल गया उनको मालूम ही नहीं पड़ा और वे दोनों एक दूसरे से लिपटकर रोते रहे। उस लम्हे को कोई प्रेमी ही समझेगा। उस समय मन की भावनाओं का इजहार करते हुए उन्होंने लिखा कि कितना उन दोनों ने उस समय एक दूसरे को पा लिया, कितना वह दोनों एक दूसरे में खो गए। वे क्या थे और आंसुओं के चश्मे में नहा कर क्या हो गए। अब फिलहाल दोनों पहले से बिल्कुल बदल गए थे। यही वो दिन, वो लम्हा था जब दोनों हमेशा-हमेशा के लिए एक हो गए।

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Posted By: Ruchi D Sharma