Bareilly: मजबूरी से कहीं आगे निकल चुका भीख मांगने का प्रोफेशन. यह एक ऐसा रूप ले चुका है जिसमें परफेक्शन जरूरी है. भीख भी परफेक्ट तरीके से मांगी जाए इसके लिए प्रापरली ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग देने का काम इसी प्रोफेशन से जुड़े सीनियर देते हैं. आम आदमी की साइकोलॉजी को भी ये भिखारी खूब पढऩा जानते हैं. जरूरत के अनुसार अपने डायलॉग चेंज करते हैं. लोगों की धार्मिक आस्था को भुनाने के लिए इन्हें ट्रेंड किया जाता है.


बरेली में मिलती है ट्रेनिंगदूसरे शहरों की तरह बरेली में भी भीख मांगने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। रेलवे स्टेशन का बाहरी इलाका, भोजीपुरा का इलाका, डेलापीर के स्लम एरियाज, गिहार बस्ती में इस तरह की ट्रेनिंग देने का काम किया जाता है। ट्रेनिंग का सेशन मंथली चलता है। इसमें सुविधा के अनुसार सभी शामिल होते हैं और लोगो की साइकोलॉजी पढऩे और उसके अनुसार भीख मांगने की टेक्नीक समझते हैं। क्या होता है ट्रेनिंग में?


सात जोन में बंटे बरेली के भीख नेक्सस में ट्रेनिंग का मॉड्यूल डिफरेंट होता है। कॉलेज और इंस्टीट्यूशंस के बाहर यंगस्टर से भीख मांगने के लिए अलग तरह की ट्रेनिंग होती है। बताया जाता है कि कैसे उन बच्चों से भीख मांगो जो करियर बनाने के लिए भटक रहे हैं। उन्हें पढ़ाई में तरक्की और एग्जाम में अच्छे नंबर से पास करवाने की बात कही जाती है। उसी तरह अलग-अलग क्षेत्रों के लिए डिफरेंट तरह से ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान डायलॉग-अगर एग्जाम देने के लिए बच्चे जमा हैंआपकी परीक्षा अच्छी जाए। आप अच्छे नंबर से पास होंगे। आप अफसर बनेंगे।-किसी दुकान के सामने आप खा रहे हैंदो दिन से भूखा हूंएक कप चाय ही पिला दीजिएएक समोसा खिला देंगे तो आपका क्या चला जाएगा

-महिला से भीख मांगना हैबच्चे को दूध भी नहीं पिला पा रही हूं दो दिन से भूखी हूं खाली पेट दूध भी नहीं उतर रहा है। कुछ रुपए दे दोबच्चा भूख से तड़प रहा है-नए शादी शुदा जोड़ों से भीख मांगना हैऊपर वाला आपकी जोड़ी सलामत रखेआपके सुंदर बच्चे होंगे, आप सदा खुश रहेंगे एक रुपए दे दो,  दुआएं लगेंगी।-धार्मिक स्थलों पर भीख मांगना हैअगर हिंदू धर्म स्थल है तो भगवान के नाम परमुस्लिम धर्म स्थल है तो अल्लाह के नाम पर और अगर सिख धार्मिक स्थल है तो वाहे गुरु के नाम पर दुआ दो। -दिन और खास दिन की जानकारीट्रेनिंग के दौरान बताया जाता है कि आने वाले दिन की धार्मिक मान्यता क्या है? जैसे अगर गुरु पूर्णिमा है तो क्या कहेंगे, शिवरात्रि है तो क्या कहेंगे। मीटिंग में तय होता है प्लान-होती है मॉर्निंग मीटिंग से लेकर ईवनिंग मीटिंग-मीटिंग में शामिल हुआ आई नेक्स्ट

भिखारियों के भीख तंत्र को समझने के लिए आई नेक्स्ट ने जब अपने अभियान की शुरुआत की तो कई अहम जानकारियां हासिल हुईं। इसी में से एक था भिखारियों की रूटीन मीटिंग। क्या होता है इस मीटिंग में? क्यों इकट्ठे होते हैं सब? बातचीत का विषय क्या होता है? तमाम ऐसे सवाल थे जिनका जवाब इसमें शामिल हुए बिना मिलना संभव नहीं था। आई नेक्स्ट ने तय किया ऐसी ही किसी मीटिंग को अटैंड करने का। मीटिंग के दौरान जो कुछ भी हुआ आप भी जानें।सुबह का समयसमय था सुबह के साढ़े छह बजे का। रेलवे स्टेशन के बाहरी परिसर में मौजूद थे करीब 30 लोग। इसमें महिलाओं से लेकर छोटे बच्चे तक शामिल थे। करीब 30 से 35 साल उम्र के दो शख्स भी मौजूद थे। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने वहां इंट्री पाई एनजीओ के नाम पर। बताया गया कि हम आपके लिए कुछ बेहतर करने आए हैं। आप अपनी बातचीत जारी रखिए हम बाद में आपसे बात करेंगे। मीटिंग के दौरान तय हुआ कि कौन कहां जाएगा। कुछ बच्चों को रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर भेजा गया। इनके साथ एक महिला को भेजा गया, जो उन पर नजर रखेगी। दूसरे ग्रुप को रेलवे कॉलोनी में भेजा गया। एक बूढ़ी औरत को इनके साथ भेजा गया। दो महिलाएं वहीं रुक गईं। दोनों शख्स भी कहीं नहीं गए। रूट प्लान तय हुआ
मीटिंग के दौरान ही यह तय हुआ कि किस रूट से आप जाएंगे और कहां से आएंगे। इसमें कितना समय लगेगा। अगर निश्चित भीख की रकम जमा नहीं हुई तो फिर किधर जाना है। दोपहर में कितने बजे लौटना है। खाना यहीं बन रहा है। दोपहर में किधर जाना है। स्टेशन पर कितनी देर तक डाउन लाइन पर और कितने बजे से कितने बजे तक अप लाइन पर अभियान चलाना है।क्या करें मजबूरी हैकरीब छह छोटे बच्चों के साथ दो शख्स और दो महिलाएं अपनी तयशुदा जगह पर रह गए। आई नेक्स्ट से बातचीत के क्रम में उन्होंने स्वीकार किया कि वे भीख मांगने का काम करते हैं। उनके बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य इसमें उनकी मदद करते हैं। यह पूछने पर कि आप जवान हैं, काम करके पेट पाल सकते हैं। वह शख्स कहता है कि दिन भर मजदूरी करने पर मिलते हैं सिर्फ 100 रुपए। वहीं भीख मांगने में दोपहर तक एक आदमी को करीब डेढ़ सौ रुपए तक मिल जाते हैं। शाम तक उनके पास करीब दो हजार रुपए तक जमा हो जाते हैं। ऐसे में भीख न मांगें तो क्या करें।छोटे बच्चों को भी भेजते हैं
मीटिंग में शामिल दोनों शख्स एक साथ बोलते हैं छोटे बच्चों को लोग अधिक देते हैं। उनपर न जर रखने के लिए बड़े भी साथ होते हैं जो उनके आस-पास ही मौजूद होते हैं। बड़ों का काम सिर्फ पैसे बटोरना होता है और नजर रखनी होती है।  यूथ है प्राइम टारगेटभिखारियों के प्राइम टारगेट पर यूथ होते हैं। कुछ देर तक यूथ ना-नुकुर करता है लेकिन बाद में जेब से रुपया निकाल ही देता है। सरेआम घूम रहे भिखारियों से वे भी परेशान आ चुके हैं। कॉलेज, स्कूल गेट व कोचिंग के सामने, टैम्पो व बस स्टैंड या फिर प्राइम चौराहों पर। जहां भी यूथ गुट बनाकर खड़े होते हैं भिखारी उनके पीछे पड़ जाते हैं। वे इनसे पीछा छुड़ाते हैं तो भिखारी कटोरा लेकर उनके सामने आ जाते हैं। जब तक वे जेब से पैसा निकाल कर नहीं देते तब तक पीछा नहीं छोड़ते। एडवर्स सिचुएशन तो तब होती है जब ब्वॉयज के साथ गल्र्स भी होती हैं। तब इन भिखारियों के तेवर और तेज हो जाते हैं। जहां भी खड़े होते हैं ये भिखारी टपक जाते हैं। काफी ऑड सिचुएशन हो जाती है। पीछा छुड़ाने की लाख कोशिश करते हैं लेकिन वे पीछा ही नहीं छोड़ते। मजबूरी में रुपए देकर पीछा छुड़ाना ही पड़ता है। साथ में फीमेल हो तो वे और जबरदस्ती पीछे पड़ जाते हैं।-अभिनवफ्रेंड्स के साथ ऐसे ही खड़े हों या फिर कुछ खा रहे हों, ये भिखारी पहुंच  जाते हैं। उन्हें जाने के लिए कहो तो नहीं जाते। कभी टीशर्ट खींचते हैं तो कभी पैंट। आगे चलो तो काफी दूर तक पीछा करते रहते हैं। गुस्से में डांटो तो भी नहीं भागते। मजबूरन उन्हें रुपए देने ही पड़ते हैं।-सिद्धार्थबड़े बुजुर्ग भिखारियों को देखकर सिम्पैथी होती है। उन्हें देखकर ही रुपए दे देते हैं लेकिन बच्चे बड़े ढीठ होते हैं। साथ में भगवान की मूर्ति लेकर चलते हैं। इमोशनल ब्लैकमेल भी करते हैं। अच्छा नहीं लगता लेकिन क्या करें ये जबरदस्ती पर उतर आते हैं।-अजीतकभी-कभी बहुत ऑड लगने लगता है। फैमिली मेंबर्स साथ में हो तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। सभी मेंबर्स से बारी-बारी मांगने लगते हैं। उन्हें पता रहता है कि कोई न कोई तो रुपए दे ही देगा। तमाम तरह की बातें करने लगते हैं ये भिखारी।-अभिनव गुप्ताअब तो इनसे हद हो गई है। पीछा छुड़ाओ तो अटैक की मुद्रा में आ जाते हैं। जेब में हाथ डालने लगते हैं। पैंट की जेब को पकड़कर खींचने लगते हैं। यहां तक की पर्स भी पकड़ लेते हैं और रुपए निकालने के लिए मजबूर करते हैं। ज्यादा मना करो तो गुस्सा भी हो जाते हैं। जैसे मनमानी इन्हीं की चलेगी। काफी परेशानी होती है।-प्रतीकशनि को मनाओ-सदा सुख पाओछन-छन बली लोटे तली, शनि को मनाओ सदा सुख पाओ, ऊँ सम शनिश्चराय नम:, शनि का दान महादान- कुछ इसी तरह श्लोक शनि देवता के नाम पर वसूली करने के लिए बोले जाते हैं। बरेली सिटी में शनिवार के दिन तो ये श्लोक हर जगह सुनाई देते हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक के हाथ में एक कमंडल होता है। उस कमंडल में दिखावे के नाम पर थोड़ा सा तेल होता है और एक शनि देवता के रूप की एक मूर्ति लोहे के रूप में होती है। शनि देव के नाम पर लूट का यह खेल काफी बड़ा है जिसका सालाना टर्न ओवर करोड़ों तक पहुंच जाता है। इस खेल का हिस्सा इनके गिरोह को ऑपरेट करने वाले आकाओं के पास जाता है। करोड़ों का है टर्नओवर बरेली में करीब 3 हजार लोग हैं जो शनि देव के नाम पर वसूली करते हैं। ये सभी शनिवार के दिन का आने का इंतजार करते हैं और अपने-अपने धंधे में लग जाते हैं। एक शनिवार को एक व्यक्ति को कम से कम डेढ़ से दो सौ रुपए मिल ही जाते हैं। औसतन 175 रुपए के हिसाब से एक दिन का टर्नओवर करीब 5 लाख 35 हजार के आसपास पड़ता है। इसी तरह महीने में चार शनिवार पड़ते हैं, जिससे महीने का टर्नओवर करीब साढ़े 21 लाख के आसपास बनता है। इसी तरह साल में 12 महीने होते हैं जिसके हिसाब से करीब 48 शनिवार पड़ते हैं जिससे यह टर्नओवर ढ़ाई करोड़ के आस-पास पहुंच जाता है। इस कमाई का करीब 75 फीसदी पैसा तो मांगने वालों को उनकी मेहनत का मिल जाता है लेकिन 25 फीसदी पैसा आराम से मंदिर में बैठने वालों के पास पहुंच जाता है। पैसा मांगने की दी जाती है ट्रेनिंग शनि देव पर किस तरह से पैसा मांगा जाए इसकी बकायदा पूरी ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग में बताया जाता है कि कलयुग में लोग कई बुरे कर्म करते हैं और इन बुरे कर्मों के पापों को मिटाने के लिए वह भगवान की स्तुति करते हैं। लोगों में शनि देव का काफी भय रहता है, जिससे लोग शनि देव के नाम पर आसानी से पैसा दे देते हैं। इस ट्रेनिंग के दौरान शनि देवता के नाम के कई श्लोक भी रटाए जाते हैं। शनि देवता के नाम पर लूटने वालों के अपने-अपने एरिया बंटे होते हैं। जैसे अगर किसी को एरिया चौकी चौराहा से लेकर पटेल चौक या फिर पटेल चौक से शहामतगंज तक का एरिया मिला है तो वो अपने एरिया में गुजर रहे लोगों से ही पैसा मांगते हैं। ये लोग इस बात की जरूर कोशिश करते हैं कि दूसरे के एरिया में वो गलती से न पहुंचे।मंदिरों में होती है मीटिंगशनिवार के दिन की वसूली के लिए स्पेशल प्लान होता है। इसके लिए सिटी के सभी बड़े मंदिरों में बकायदा सुबह शाम मीटिंग ऑर्गनाइज की जाती है। सुबह की मीटिंग में दिन भर की प्लानिंग के बारे में बताया जाता है। वहीं शाम की मीटिंग में डेली के कलेक्शन के बारे में जाना जाता है। गिरोह के मुखिया मांगने वालों का हिस्सा उनको वापस कर देते हैं और वह अपना हिस्सा अपने पास ले लेते हैं। पढऩे वाले बच्चे भी होते हैं शनि देव के नाम पर वसूली के इस खेल में छोटे-छोटे बच्चों को भी शामिल किया जाता है। इन बच्चों में स्कूली बच्चे भी शमिल होते हैं। कुछ बच्चे तो अपने मां-बाप के कहने पर यह काम करते हैं तो कुछ बच्चों से गिरोह के मुखिया द्वारा यह काम करवाया जाता है। स्कूली बच्चे स्कूल की छुट्टी होने पर सुबह ही मंदिर में आ जाते हैं और हाथ में कमंडल लेकर पैसा मांगने के लिए चल देते हैं। 12 साल के एक बच्चे ने बताया कि वो स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ता है लेकिन शनिवार को शनि देव के नाम पर पैसा मांगने आ जाता है। इसी तरह के कई बच्चे सड़क पर पैसा मांगते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं। नम्र व्यवहार रखने की दी जाती है सलाहशनि देवता के नाम पर पैसा मांगने वालों को उनके आकाओं द्वारा इस बात का खास ध्यान रखने की सलाह दी जाती है कि वो जिससे पैसा मांग रहे हैं तो उसके साथ नम्र व्यवहार रखें। अगर कोई व्यक्ति उन्हें पैसा देने से मना करता है तो उससे प्यार से ही बार-बार पैसा मांगा जाए। हां अगर उसके बाद भी कोई पैसा नहीं देता है और नाराजगी दिखाता है तो पैसे मांगने वाले को चुपचाप वहां से हट जाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा ये भी बताया जाता है कि पैसा देने वाली की उम्र क्या है उसी के हिसाब से उससे पैसा मांगने के लिए ट्रेंड किया जाता है। जैसे अगर किसी बुजुर्ग से पैसा मांगना है तो उसे शनि देवता के नाम के साथ-साथ अपनी दयनीय स्थिति के बारे में भी बताने के लिए कहा जाता है। हां अगर कोई कपल साथ है तो उसके प्यार की लंबी उम्र की दुआएं देने के लिए भी कहा जाता है। Report by: Kunal, Abhishek Singh, Anil Kumar & Amber ChaturvediPic by: Hardeep Singh Tony, Jagvendra Patel

Posted By: Inextlive