- उपयोग न होने के कारण एंटी टेरररिस्ट स्क्वॉयड को किया गया समाप्त

- स्पेशल वैपन एंड टैक्टिस टीम के नाम से बनेगा नया स्क्वॉयड

- आंतकी घटनाओं से निपटने के साथ जरूरत पड़ने पर हर जगह करेगी सहयोग

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ष्ठश्व॥क्त्रन्ष्ठहृ: एंटी टेरररिस्ट स्क्वॉयड (एटीएस) का नाम बदलकर स्पेशल वैपन एंड टैक्टिस टीम कर दिया गया है। खास बात यह है कि एंटी टेरररिस्ट स्क्वॉयड जहां मात्र आंतकी घटनाओं से निपटने के लिए आगे आता था, वहीं स्पेशल वैपन एंड टैक्टिस टीम हर उस घटना में फील्ड में दिखाई देगी, जहां उसकी जरूरत महसूस की जाएगी। इसके लिए डीजीपी ने प्रयास शुरू कर दिए हैं।

स्पेशल वैपन टैक्टिस टीम का गठन

दरअसल, आंतकवादी घटनाओं से निपटने के लिए फिलहाल स्टेट में एंटी टेरररिस्ट स्क्वॉयड की दो टीमें हैं। जिसमें एक देहरादून व दूसरी हरिद्वार में है। प्रत्येक टीम में 60 पुलिसकर्मी हैं। जिन्हें आतंकी घटनाओं से निपटने की स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है, लेकिन उत्तराखंड अभी तक एक-आध छोटे-छोटे बम विस्फोटों को छोड़ दिया जाए तो आंतकवादी घटनाओं से दूर ही रहा है। इस कारण यहां इस एंटी टेरररिस्ट दस्ते का उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसी को देखते हुए इस दस्ते को मल्टीपर्पज बनाने की कवायद शुरू की गई है। डीजीपी बीएस सिद्धू ने बताया कि दस्ते का उपयोग हो सके इसके लिए एंटी टेरररिस्ट दस्ते को स्पेशल वैपन एंड टैक्टिस टीम में बदला गया है। इसमें वे ही पुलिसकर्मी शामिल किए गए हैं, जो एंटी टेरास्टि दस्ते में थे। अभी तक यह दस्ता मात्र आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए उपयोग में लाया जा सकता था, लेकिन अब इसका नाम बदलकर स्पेशल वैपन एंड टैक्टिस टीम किए जाने का बाद इसका मल्टीपल यूज हो सकेगा।

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ज्यादा हाइटेक होगी नई टीम

एंटी टेरररिस्ट स्क्वॉयड से अधिक हाइटेक स्पेशल वैपन एंड टैक्टिस टीम होगी। डीजीपी ने बताया कि दस्ते को यूरोपियन कंट्री की तर्ज पर हाइटेक वैपन मुहैया कराए जाएंगे।

यह होगा टीम के पास

स्नाइपर राइफल : अमूमन इसका उपयोग स्पेशल ऑपरेशंस में उस कंडीशन में किया जाता है, जब आमने-सामने की फायरिंग संभव नहीं हो और चुपके से टारगेट को निशाना बनाना हो। यह राइफल सात किलोमीटर की दूरी तक सटीक निशाना लगाती है।

राउंड द क्रास गन : इस गन से दीवार की आड़ लेकर भी तिरछा निशाना लगाकर फायरिंग की जा सकती है। इस तरह की गन आपने कई हॉलीवुड एक्शन फिल्मों में देखी होगी।

स्टन ग्रेनेड : यह ग्रेनेड सामने मौजूद दुश्मन का ध्यान भटकाने और अंधेरे में फ्लैशगन की तरह रोशनी करने के लिए यूज किया जाता है। इसमें से बेहद तेज धमाके की आवाज के साथ बहुत तीखी रोशनी निकलती है। इसका उपयोग यूएसए में स्पेशल ऑपरेशंस में सुरक्षा दस्ते खूब करते हैं।

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इस बार दो नहीं रहेंगी छह टीम

- एंटी टेरररिस्ट दस्ते में अभी तक दो टीमों में 120 ही जवान थे, जो देहरादून और हरिद्वार में रहते थे।

- नए दस्ते में भी 120 ही जवान होंगे, लेकिन उन्हें छह स्थानों पर पोस्टिंग दी जाएगी।

- अब देहरादून व हरिद्वार में दो- दो टीमें रहेंगी, जबकि नैनीताल व ऊधमसिंह नगर में एक-एक टीम रहेगी।

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'एंटी टेरररिस्ट दस्ते का नाम बदलकर स्पेशल वैपन एंड टेक्टिस टीम कर दिया गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि स्टेट में आंतकी घटनाओं से निपटने के लिए दस्ता नहीं है। नया दस्ता ही आंतकी घटनाओं से भी निपटेगा। लेकिन दस्ते का अधिक उपयोग हो सके, इसके लिए यह बदलाव किया गया है, जो समय की भी मांग है.'

बीएस सिद्धू, डीजीपी, उत्तराखंड

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Posted By: Inextlive