Bareilly : स्पेशल पुलिस ऑफिसर एसपीओ यानी पुलिस मित्र की उतनी ही पॉवर होती है जितनी की पुलिस ऑफिसर की. हर जगह पुलिस नहीं हो सकती इसलिए वो पब्लिक के कुछ साफ-सुथरी छवि वाले लोगों को एसपीओ का दर्जा देती है लेकिन बरेली में इसकी पॉवर का खुला मिसयूज हो रहा है. एसपीओ लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने में हेल्प की बजाए रौब झाडऩे में लगे हैं. किला में थर्सडे लड़की के साथ हुई घटना में भी एसपीओ नन्हें पान वाले ने आरोपियों का साथ दिया. इससे पहले भी पुलिस मित्रों की भूमिका संदेह के घेरे में आ चुकी है.


इस बार police verificationपुलिस की मानें तो अभी बरेली में कोई एसपीओ नहीं है। सभी का कार्यकाल सितंबर में खत्म हो चुका है, लेकिन उन्हें दिया गया एसपीओ का कार्ड वापस नहीं लिया गया है। इसकी वजह लगातार चल रहे त्योहार बताए जा रहे हैं। पुलिस अधिकारी वाल्मीकि जयंती के बाद सभी के कार्ड वापस कराने की बात कह रहे हैं। इसके बाद से नए पुलिस मित्रों का चयन किया जाएगा। अगर सब ठीक रहा तो इस बार इनका पुलिस वैरीफिकेशन कराया जाएगा।ऐसे बनते हैं SPO


पुलिस एक्ट 1861 में स्पेशल पुलिस ऑफिसर बनाने और उनकी जिम्मेदारी के बारे में लिखा हुआ है। जब भी कहीं लॉ एंड ऑर्डर बिगडऩे की सिचुएशन हो और पुलिस फोर्स कम पड़े तो इंस्पेक्टर की रैंक से ऊपर का पुलिस अधिकारी नजदीकी मजिस्ट्रेट से परमीशन लेकर एसपीओ की नियुक्ति कर सकता है। कोई भी आम नागरिक जिसका क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है, पुलिस मित्र बन सकता है।पुलिस की तरह power

एसपीओ या पुलिस मित्र को एक पुलिस ऑफिसर की तरह पॉवर, अधिकार और सिक्योरिटी मिलती है। उसे पुलिस ऑफिसर की तरह ही ड्यूटी भी निभानी होती है। वहीं ड्यूटी ढंग से ना निभाने पर अधिकारी पुलिस मित्र को तुरंत हटा भी सकते हैं। यही नहीं उसके खिलाफ लीगल एक्शन तक ले सकते हैं। किया गया था suspendबरेली फिलहाल काफी सेंसिटिव शहर बना हुआ है। यहां लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। जितनी पुलिस फोर्स की जरूरत है, उतनी अवेलेबल नहीं है। इसलिए यहां भी स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स की हेल्प ली जा रही है। लास्ट ईयर दंगों के दौरान बारादरी में पुलिस मित्र की लापरवाही सामने आई थी, जिस पर सभी पुलिस मित्रों को हटा दिया गया था।600 को दिए आई कार्डदंगों के बाद सितंबर 2012 में फिर एसपीओ बनाए गए, लेकिन इसमें ज्यादा मेहनत नहीं की गई। सिर्फ नेताओं या किसी अधिकारी के जान पहचान वालों को पुलिस मित्र बना दिया गया। करीब 600 पुलिस मित्रों को आई कार्ड दिए गए थे। फेस्टिवल्स और जुलूस में इनकी ड्यूटी का चार्ट भी थानों में बनने लगा।बस उठाते हैं फायदा

वैसे तो पुलिस मित्रों को पुलिस की हेल्प करनी चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। सभी अपना धंधा चलाने के लिए जान पहचान से पुलिस मित्र बन जाते हैं। आई कार्ड मिलने से इनकी चांदी हो जाती है। पुलिस अधिकारियों से जान पहचान हो जाती है। इसका ये फायदा उठाते हैं। एरिया में अपनी हनक दिखाते हैं। पुलिस मित्र के कार्ड पर ट्रेन तक में फ्री जर्नी करते हैं। कई तो उगाही भी करने लगते हैं। आए दिन इनकी शिकायतें मिलती हैं, लेकिन सब अनदेखा कर दिया जाता है। Civil defence की helpपुलिस मित्र की तरह अन्य भी हैं, जो लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने में पुलिस की हेल्प करते हैं। सिविल डिफेंस की प्रशासन के जरिए हेल्प ली जाती है। इसके अलावा अक्सर कम्युनिटी पुलिसिंग को एक्टिव किया जाता है। इसके जरिए संभ्रात लोगों, सभासदों, प्रधानों, आशा बहुओं की मदद ली जाती है। हालांकि कई बार सामने आया है कि ये भी पुलिस से पहचान फायदा उठाकर पब्लिक को परेशान करते हैं। फिलहाल शहर में कोई भी स्पेशल पुलिस ऑफिसर नहीं है। वाल्मीकि जयंती के बाद सभी के कार्ड वापस लिए जाएंगे। नए एसपीओ पुलिस वैरीफिकेशन के बाद ही बनाए जाएंगे।अरुण कुमार, सीओ सिटी फस्र्ट

Posted By: Inextlive