- विभागीय उदासीनता के चलते नहीं हो सका आयोजन

- एडोप्ट कोच का करार खत्म होने से आई समस्या, विभाग आचार संहिता का दे रहा तर्क

बरेली : मार्च से अप्रैल के बीच स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में लगने वाले अलग-अलग खेलों के कैंप इस बार नहीं लगेंगे. अगर कैंप नहीं लगेगा तो स्टेट और नेशनल लेवल के ट्रायल के लिए प्लेयर्स की तैयारी नहीं हो पाएगी. खेल विभाग आचार संहिता का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ रहा है, लेकिन वजह कुछ और ही है. दरअसल स्टेडियम में कई प्रमुख खेलों के कोच ही नहीं हैं. चुनाव घोषित होने से पहले तक स्टेडियम प्रबंधन ने खेल निदेशालय को कोच न होने की कोई सूचना दी और न ही कोई प्रस्ताव. विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा अब प्लेयर्स को भुगतना पडे़गा.

स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में हर वर्ष अलग-अलग खेलों के लिए अंश कालिक कोचों की नियुक्ति की जाती है. इनका एक साल का करार होता है. एक साल बाद करार का रिन्यूवल कर दिया जाता है या फिर नए कोच की नियुक्ति कर दी जाती है. लेकिन इस वर्ष विभाग ने ऐसा कुछ नहीं किया. अब कोच न होने के कारण कैंप का आयोजन असंभव है.

बॉक्सिंग और क्रिकेट के हैं कोच

जनवरी महीने से स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में सिर्फ किक्रेट और बॉक्सिंग के ही कोच हैं. ऐसे में दूसरे खेलों की प्रैक्टिस नहीं हो पा रही है. खिलाडि़यों को मूलभूत सुविधाएं ही नहीं मिल पा रही हैं

तो चल रहे होते कैंप

अगर कोचों का करार खत्म होने से पहले ही विभाग निदेशालय को पत्र भेजकर कोचों के ट्रायल कराकर नियुक्ति कर लेता तो कैंप शुरू हो गए होते. अब जब खिलाड़ी जिम्मेदारों से कैंप आयोजित न होने की वजह पूछ रहे हैं तो उन्हें आचार संहिता का हवाला देकर पल्ला झाड़ा जा रहा है.

इन खेलों के कोच का है टोटा

बॉस्केटवाल

फुटबाल

बैडमिंटन

हॉकी

वॉलीबाल

-------------------

खिलाडि़यों की बात

हर वर्ष कैंप का आयोजन होता था लेकिन इस वर्ष नहीं हुआ, कार्यालय जाकर पता किया तो बताया गया कि आचार संहिता की वजह से कैंप नहीं लग रहे हैं.

मेहताब हुसैन, एथलीट

जब कोच ही नहीं है तो कैंप में खिलाडि़यों की तैयारी कौन कराएगा. अगर विभागीय अधिकारी पहले ही अंशकालिक कोचों का रिन्यूवल कर देते तो शायद कैंप आयोजित हो जाते.

सोनू, पूर्व बास्केटवाल कोच.

मेरी तैनाती को कुछ ही दिन हुए हैं. पूर्व आरएसओ को इस ओर ध्यान देना चाहिए था. इस समय आचार संहिता लागू है. मैं नीतिगत फैसले में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.

विजय कुमार, आरएसओ.

Posted By: Radhika Lala