श्रीलंका में संसद के स्पीकर ने साफ कर दिया कि बहुमत साबित करने तक राजपक्षे को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में जल्द ही राजपक्षे को संसद में बहुमत साबित करने की जरुरत है।

कोलंबो (रॉयटर्स)।  श्रीलंका में संसद के स्पीकर ने सोमवार को कहा कि वह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में तब तक स्वीकार नहीं करेंगे जब तक वे संसद में अपना बहुमत साबित नहीं कर देते। श्रीलंकाई संसद के स्पीकर करू जयसूर्या ने अपने एक बयान में कहा,  'अधिकांश सदस्यों का मानना ​​है कि संसद में किए गए परिवर्तन असंवैधानिक और परंपराओं के खिलाफ हैं।' उन्होंने कहा, 'इसलिए, मैं संसद के बहुसंख्यक सदस्यों से अनुरध करता हूं कि आप उन चीजों को स्वीकार करें जो संसद में हुए हालिया परिवर्तनों से पहले लागू थे। जब तक नई सरकार संसद में अपना बहुमत साबित नहीं कर देती है, तब तक पुराने नियम कानूनों के तहत ही काम किया जायेगा।'

विपक्षियों पर सांसदों को खरीदने का आरोप

बता दें कि श्रीलंका में जबरन हटाए गए प्रधानमंत्री रणिल विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को अपने विपक्षियों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व में बनी नई सरकार के सदस्य संसद में बहुमत जुटाने के लिए सांसदों को पैसे ऑफर कर रहे हैं और उन्हें हर तरह से खरीदने की कोशिश की जा रही है। 26 अक्टूबर को राष्ट्रपति मैत्रिपला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री रणिल विक्रमसिंघे को उनके पद से बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह महिंदा राजपक्षे को देश का नया पीएम बना दिया, जिसके बाद देश में तनाव का माहौल पैदा हो गया। हालांकि तब से, विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास को नहीं छोड़ा है, वे बार बार यही कह रहे हैं कि वह अभी भी वैध प्रधानमंत्री हैं और संसद में उनके पास ज्यादा बहुमत है। राजपक्षे 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे हैं। इन्होंने 25 वर्षों से चल रहे गृहयुद्ध को समाप्त कर दिया था।

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Posted By: Mukul Kumar