-शातिर सबलू के कृपा पात्र पुलिस वाले हो रहे हैं चिन्हित

-सबूत जुटाने के लिए सर्विलांस और सीडीआर को खंगाला जा रहा है

-एसओ चमनगंज को सस्पेंड कर कार्रवाई की शुरुआत हुई

KANPUR :

हिस्ट्रीशीटर शानू बादशाह की हत्या की तफ्तीश में हत्यारोपी सबलू का पुलिस कनेक्शन निकलने से डिपार्टमेंट की किरकिरी हो गई है। वो पुलिस महकमे में 'विभीषण' तैयार करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाता था। उसकी कृपा से कई पुलिस कर्मियों ने अकूत सम्पत्ति बना ली है, लेकिन एसएसपी की नजर टेढ़ी होने से इन 'विभीषण' की मुश्किलें बढ़ गई है। उनको कार्रवाई के लिए चिन्हित किया जा रहा है। जिससे पुलिस महकमे में हड़कम्प मच गया है।

पुलिस वालों के लिए खरीदी थी एसयूवी कार

सबलू ने तमंचे बेचकर अपराध की शुरुआत की। उसने तेजी से आगे बढ़ने के लिए पुलिस वालों से दोस्त बनाना शुरू कर दिया। उसने पुलिस वालों के लिए एसयूवी कार खरीदी थी। व्हाइट कलर की इस लग्जरी कार का इस्तेमाल पुलिसकर्मी करते थे। पुलिस वालों के घूमने जाने पर वो ड्राइवर और डीजल समेत उनको कार देता था। वो पुलिस की मदद से विवादित प्रापर्टी को खाली करता था। वो सत्ता पक्ष के नेताओं के कनेक्शन के जरिए इन पुलिस कर्मियों की पोस्टिंग भी करवाता था।

सर्विलांस बताएगा, कौन है 'विभीषण'

हिस्ट्रीशीटर शानू की हत्या में शातिर सबलू का नाम उछलते ही उसका पुलिस कनेक्शन सामने आ गया था। पहले तो उसके एक दरोगा से करीबी संबंध होने की बात आई थी, लेकिन तफ्तीश के आगे बढ़ते ही और पुलिस कर्मियों के नाम सामने आ गए। सबलू फरारी के दौरान इन पुलिस कर्मियों के टच में था। जिसकी भनक लगते ही इन पुलिस कर्मियों के मोबाइल को सर्विलांस में लगा दिया गया, ताकि अगर उनकी सबलू से बात होती है, तो उसकी रिकार्डिग पुलिस को मिल जाए। इसके अलावा इन पुलिस वालों और सबलू के सीडीआर को भी खंगाला जा रहा है, ताकि यह भी पता चल सके कि अगर इन पुलिस कर्मियों की सबलू से कब-कब बात हुई है।

सम्पत्ति की जांच कराई जाएगी

शातिर सबलू ने अपने करीबी पुलिस कर्मियों पर क्या-क्या कृपा की है। इसका पता लगाने के लिए चिंहित पुलिस कर्मियों की सम्पत्ति की जांच कराई जा रही है। साथ ही एसएसपी ने एलआईयू जांच कराने की भी तैयारी की है। सोर्सेज के मुताबिक कुछ पुलिस कर्मियों को चिंहित कर उसकी सम्पत्ति की जांच शुरू कर दी गई है। अगर वो जांच में दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

चमनगंज एसओ के सस्पेंड होने से हुई शुरुआत

एसएसपी शलभ माथुर ने एसओ चमनगंज अलाउद्दीन अंसारी को सस्पेंड कर कार्रवाई की शुरुआत कर दी है। उन्होंने कहा कि किसी भी दोषी पुलिस कर्मी को बख्शा नहीं जाएगा। अगर किसी ने सबलू की मदद की है, तो उसको निलंबित कर दूसरे जिले भेजा जाएगा।

ये पुलिसकर्मी हैं शक के घेरे में

वैसे तो सबलू के कई पुलिसकर्मियों से संबंध है, लेकिन शुरुआती तफ्तीश में क्राइम ब्रांच के एक दरोगा और एक मुस्लिम सिपाही से उसकी नजदीकी की जानकारी मिली है। इसके अलावा क्राइम ब्रांच से हटाया गया एक सिपाही भी शक के घेरे में है। सोर्सेज के मुताबिक सबलू ने इन दोनों सिपाहियों की लोकसभा चुनाव के दौरान बहराइच में ड्यूटी लगी थी। दोनों सिपाहियों सबलू की एसयूवी कार से बहराइच गए थे। सबलू ने गाड़ी में उनके पीने की व्यवस्था के लिए एक कैरेट बीयर और बोतल की रखवाई थी। दोनों चार दिन बाद चुनाव ड्यूटी से लौटे थे।

नेताओं से संबंध की जांच कैसे होगी एसएसपी साहब

एजाजुद्दीन को सबलू बनाने में नेताओं का भी रोल है। सबलू की करतूतों पर सत्ता पक्ष के कई कथित नेता ही पर्दा डालते है। इन कथित नेताओं को शानू बादशाह की हत्या के बारे में भी सारी जानकारी थी, लेकिन वे चुप रहे। उन्होंने न तो पुलिस को जानकारी दी और न ही सबलू को रोका। एसएसपी सबलू के पुलिस कनेक्शन की तो जांच करा रहे हैं, लेकिन नेताओं की जांच कैसे होगी? यह यक्षप्रश्न बन गया है।

विधायक, पूर्व मंत्री और पूर्व नगर अध्यक्ष से है संबंध

हिस्ट्रीशीटर शानू को सरेआम गोली से छलनी करने वाले हत्यारोपी सबलू के सत्ता पक्ष के पूर्व मंत्री, विधायक और पूर्व नगर अध्यक्ष से करीबी संबंध हैं। पहले वो विधायक का करीबी थी, लेकिन सपा के सत्ता पर आने पर वो दर्जा प्राप्त मंत्री की चौखट में जाने लगा। वो पूर्व नगर अध्यक्ष के जरिए कुछ ही दिन में मंत्री का करीबी हो गया। जिससे सपा विधायक नाराज तो हुए, लेकिन उन्होंने उससे बातचीत खत्म नहीं की। इन्हीं मंत्री और नगर अध्यक्ष की सिफारिश में उसे सपा से पार्षद का टिकट मिल गया। उसके चुनाव में पूर्व मंत्री और पूर्व नगर अध्यक्ष ने चंदा देने के साथ कई सभाओं को सम्बोधित किया था।

पूर्व नगर अध्यक्ष और फिरोज के लिए करता था प्रापर्टी का काम

जरायम की दुनिया में सबलू के रसूख को देख पूर्व नगर अध्यक्ष ने उसे अपने साथ जोड़ा था। पूर्व नगर अध्यक्ष ने ही उसको विवादित प्रापर्टी के धंधे में डाला। पूर्व नगर अध्यक्ष विवादित प्रापर्टी खरीदते थे और वो उसको खाली करता था। इसके एवज में उसको मोटा कट (कमीशन) मिलता था। इसके अलावा वो बिल्डर फिरोज भइया के लिए भी विवादित प्रापर्टी को खाली करवाता था। पूर्व मंत्री ने चुनाव में उसको बेकनगंज समेत अन्य क्षेत्रों में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके अलावा विधायक के चुनाव में भी वो काफी सक्रिय था।

तो नेता जी को बचाने के लिए नहीं की गई प्रेस कांफ्रेंस

पुलिस को शातिर सबलू के सत्ता पक्ष के नेताओं से कनेक्शन के बारे में मालूम था। उसको बचाने के लिए ये कथित नेता पैरवी कर रहे थे। वे सबलू के मुंबई में होने की कहानी का हवाला देकर उसका नाम हटाने के लिए आला अधिकारियों पर दबाव बना रहे थे, लेकिन एसएसपी के आगे उनकी दाल नहीं गली। ऐसे में बुधवार को एक नेता की मदद से सबलू ने सरेंडर कर दिया। मीडिया को भी उनके नेताओं से कनेक्शन की सुगबुगाहट लग गई। माना जा रहा था कि गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस में पुलिस उसको मीडिया के सामने लाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सोर्सेज के मुताबिक पुलिस को डर था कि मीडिया वाले सबलू से नेताओं के बारे में सवाल करेंगे, अगर ऐसे में सबलू ने सत्ता पक्ष के किसी नेता का नाम ले लिया तो पुलिस के लिए मुसीबत बढ़ जाएगी। इससे बचने के लिए पुलिस प्रेस कांफ्रेंस नहीं की।

परिजनों को छुड़ाने के लिए विधायक से की थी बात

पुलिस ने सबलू को पकड़ने के लिए उसके परिजनों को उठा लिया था। जिन्हें छुड़ाने के लिए हत्यारोपी ने सपा विधायक से बात की थी। उसके मुताबिक सपा विधायक ने पैरवी तो की थी, लेकिन एसएसपी के सख्त तेवर के आगे उनकी दाल नहीं गली। जब वो मेरे घरवालों को नहीं छुड़ा पाए तो मेरे क्या पैरवी करते।

फातिमा होटल में रुकने की कहानी की गढ़ी

हत्यारोपी सबलू खुद को बेकसूर बता रहा है। उसने जेल जाते हुए मीडिया वालों से बात करते हुए कहा कि वो वारदात के दिन मुंबई में था। आई नेक्स्ट पहले ही आपको सबलू के इस प्लान के बारे में बता चुका है। प्लान के तहत ही वो प्लेन से मुंबई गया और वहां पर अपना मोबाइल दोस्त के पास छोड़कर वापस आ गया। सबलू के मुताबिक वो क्9 मार्च को प्लेन से मुंबई और वहां से गोवा गया था। वो ख्म् मार्च को वापस मुंबई पहुंचा था। जहां से वो म् अप्रैल शहर आया।

पिच्चा और चूड़ी पर लगाया हत्या का आरोप

सबलू ने खुद को बचाने के लिए शाहिद पिच्चा और इमरान चूड़ी वाले पर बादशाह के कत्ल का आरोप लगाया है। सबलू के मुताबिक बादशाह तो उसका दोस्त था। वो अपराध से किनारा कर ब्याज का काम कर रहा था। बादशाह ने पिच्चा और चूड़ी वाले से रुपए लेने थे। जिसका तगादा करने पर दोनों ने बादशाह का कत्ल कर दिया। उसने खुद के साथ ही अपने साथी शानू कंटर, शानू ईगल और कालू कार्लोस को भी निर्दोष बताया। उसने कहा कि शानू कंटर ने पुलिस की पिटाई से जुर्म कबूला है। साथ ही उसका नाम लिया। उसने अशरफ, शुऐब और साजिद के बारे में कहा कि तीनों उसके गुर्गे नहीं, बल्कि उसके छोटे भाई जैसे है।

Posted By: Inextlive