DEHRADUN : फ्राइडे को शहर अपनी ही रफ्तार से दौड़ रहा था न कहीं पर बैरियर न किसी की रोक-टोक. सब कुछ पहले जैसा ही चलने लगा. सिटी के कई बिजी रोड पर परिवर्तन कर जनता की वाहवाही लूटने वाली राजधानी पुलिस की नई प्लानिंग आखिरकार फ्लॉप सिद्ध हो गई. माना जा रहा है इस ट्रायल से पहले ना तो किसी बड़े अधिकारी से सलाह ही गई और न ही सिटी के लोकल पब्लिक से ही कोई विचार-विमर्श किया गया. यही वजह थी कि खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को मीडिया के सामने आकर एसएसपी केवल खुराना को ट्रायल बंद करने का अल्टीमेटम देना पड़ा.


पहले हिट तो अब क्यों फ्लॉप चकराता रोड, बुद्धा चौक, रेलवे स्टेशन रोड, सहारनपुर रोड, प्रिंस चौक पर प्रयोग कर जनता की तारीफ पाने वाले पुलिस आखिर घंटाघर पर मात क्यों खा गई? क्या यह अति उत्साह में उठाया गया कदम था या फिर इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया। एसएसपी केवल खुराना ने अपने एक साल से अधिक के कार्यकाल में ट्रैफिक को लेकर सबसे अधिक तारीफ बटोरी। उनके प्रयास के फलस्वरूप कई स्थान पर जाम से निजात मिल गया। ये वह रोड थे, जहां से कभी निकल पाना तक दूभर था। आज वहीं गाडिय़ां फर्राटा भरती हैैं।जनता पर थोपा गया ट्रायल


पुलिस की इस नाकामी की सबसे बड़ी वजह जनता का इसे सिरे से खारिज करना माना जा रहा है। व्यापार मंडल ने भी पुलिस के ट्रायल पर विरोध दर्ज कराया। जानकारों की माने तो देश की राजधानी दिल्ली में भी पुलिस ट्रायल करती है, जहां केवल ट्रायल के लिए ही पुलिस द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी के सभी पदाधिकारी व सदस्य आपस में विचार-विमर्श के बाद ही प्लानिंग को फाइनल रूप देते हैं। पुलिस का मकसद निश्चित तौर पर जनता को राहत देना ही था लेकिन, अचानक किए गए बदलाव को पब्लिक एक्सेप्ट नहीं कर सकी।

रोड से हटाए फ्लैक्स बोर्ड पुलिस ने इस ट्रायल को सफल बनाने के लिए हजारों रुपए खर्च कर रूट डायवर्ट के फ्लैक्स बनवाए गए थे, जिनका दोबारा इस्तेमाल अब संभव नहीं है। ट्रैफिक ऑफिस में रखे गए ये फ्लैक्स पुलिस के नाकाम प्रयास को बयां कर रहे हैैं। सूत्रों की माने तो इन्हें तैयार कराने के लिए पुलिस ने आनन-फानन में निर्णय लिया था। ट्रैफिक पुलिस का कोई भी कर्मी इन फ्लैक्स को निर्मित कराने में लगी लागत के बाबत कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। सभी बुझे मन से कह रहे हैैं कि ट्रायल इस कदर फ्लॉप होगा ये नहीं सोचा था।

Posted By: Inextlive