- गंगा नदी की मिट्टी की जगह नाला पर बन रहे आरओबी की कंकड़-पत्थर मिली मिट्टी भर दी गई

- मनोज कमिलया स्टेडियम पटना सिटी में खेलने के दौरान चोटिल हो जाते हैं प्लेयर्स, कई बार की गई कंप्लेन पर नहीं सुनी किसी ने

PATNA CITY : स्टेडियम के नाम पर पटना सिटी की पब्लिक को गवर्नमेंट की ओर से धोखा मिला है। मनोज कमिलया स्टेडियम पटना सिटी के प्लेयर्स के खेलने के लिए एक मात्र स्टेडियम है। जहां खेलने के लिए न ग्राउंड सही है और न ही हाई मास्ट लाइट की व्यवस्था। वर्तमान टाइम स्टेडियम की हालत बद से बदतर है। साल ख्007 में नीतीश कुमार की स्टेट गवर्नमेंट ने इस स्टेडियम को लाखों रुपए खर्च कर बनाने का वर्क स्टार्ट किया था। करीब एक साल बाद साल ख्008 में स्टेडियम बन कर तैयार हो गया। इसके बाद से पटना सिटी के प्लेयर्स के खेलने के लिए गवर्नमेंट ने स्टेडियम को खोल दिया। शुरुआती कुछ महीने तक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। लेकिन जैसे-जैसे स्पोर्ट्स की गतिविधियां बढ़ती गई, वैसे-वैसे स्टेडियम की खामियां भी सामने आती गई। स्टेडियम के ग्राउंड में खेलने के दौरान प्लेयर्स गिरते गए और वो चोटिल होते गए। स्टेडियम में फुटबॉल और क्रिकेट खेले जाते हैं।

भर दी ईट और कंकड़ वाली मिट्टी

स्टेडियम के ग्राउंड को बनाने को केवाल और गंगा नदी की मिट्टी भर कर बनाया जाना था। लेकिन ग्राउंड में खेलने वाले प्लेयर्स का आरोप है कि केवाल और गंगा नदी की मिट्टी की जगह नाला पर बन रहे आरओबी की मिट्टी भर दी गई। दरअसल, फ्म् लाख रुपए की लागत से स्टेडियम की ग्राउंड में मिट्टी भरा जाना था। कांट्रैक्टर ने मिट्टी भरी भी। जिस साल ग्राउंड बन रहा था, उसी टाइम नाला पर आरओबी बनाने का वर्क शुरू हुआ था। प्लेयर्स का आरोप है कि आरओबी बनाने के लिए की गई खुदाई से निकली ईट और कंकड़ से भरी मिट्टी को ग्राउंड में भर दिया गया। जिस कारण खेलने के दौरान डेली एक-दो प्लेयर्स चाटिल हो जाते हैं।

नहीं होती कोई मेंटेनेंस

मनोज कमलिया स्टेडियम को बने हुए करीब म् साल हो गए हैं। जब से स्टेडियम बना है, तब से इसका कोई मेंटेनेंस भी नहीं हुआ है, जबकि स्टेडियम की देख-रेख के लिए एक कमेटी भी बनी है। लेकिन कमेटी के लोगों का स्टेडियम और ग्राउंड की मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं है। मेंटेनेंस नहीं होने की वजह से ग्राउंड का अधिकांश हिस्सा उबर-खाबड़ हो गया है। बारिश के कारण कई जगहों पर छोटे-बड़े गड्ढे भी हो गए हैं।

स्टेडियम में होता है रावण वध

स्टेडियम को बनाया गया था प्लेयर्स के स्पो‌र्ट्स खेलने के लिए। लेकिन हर साल दशहरा में रावण वध का प्रोग्राम स्टेडियम के ग्राउंड पर होता है। इससे प्लेयर्स भी नाराज रहते हैं। रावण वध के प्रोग्राम के कारण ग्राउंड की हालत लगातार खराब होती चली गई। ग्राउंड को बदहाल करने में जो कसर बची थी, उसे पिछले साल डिजनीलैंड ने पूरी कर दी। जगह-जगह ग्राउंड को खोदे गए थे। प्लेयर्स ने इसका जमकर विरोध किया था।

खेलने के दौरान ग्राउंड में काफी प्रॉब्लम होती है। कहीं भी मिट्टी बराबर नहीं है। अक्सर प्लेयर गिरकर चोटिल हो जाते हैं।

- राहुल

पैर मिट्टी में फंस जाता है। ईट और कंकड़ के साथ ही गड्ढों ने काफी परेशानी पैदा कर दी है। प्लेयर्स की प्रॉब्लम का सॉल्यूशन करने वाला कोई नहीं है।

- कुणाल

स्टेडियम में सिर्फ स्पो‌र्ट्स का ही आयोजन होना चाहिए था, लेकिन कभी रावण वध का प्रोग्राम तो कभी डिजनीलैंड ने स्टेडियम को बर्बाद कर दिया। जब प्लेयर्स को खेलने के लिए अच्छी जगह और बढि़या माहौल नहीं मिलेगा तो वो अच्छे स्पो‌र्ट्स पर्सन कैसे बनेंगे।

- प्रशांत कुमार, कोच, सिटी एथलेटिक क्लब

स्पो‌र्ट्स को छोड़ दूसरे प्रोग्राम के आयोजन के खिलाफ हाईकोर्ट में पीआईएल दायर किया गया था, जिसमें कोर्ट ने सिर्फ स्पो‌र्ट्स के आयोजन का ही डिसीजन दिया था।

- तपन कुमार साहा, प्रेसिडेंट, सिटी एथलेटिक क्लब

Posted By: Inextlive