- विंडरमेयर में मराठी नाटक आशी पखारे येति के हिंदी रूपांतरण पंक्षी ऐसे आते हैं का हुआ मंचन

BAREILLY:

विंडरमेयर में सैटरडे को विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित मराठी नाटक 'आशी पखारे येति' का हिंदी रूपांतरण 'पंक्षी ऐसे आते है' का मंचन हुआ। नाटक में एक ऐसे किरदार के बारे में दिखाया गया है जो एक बेफ्रिक और कर्तव्यों से दूर रहने वाला है। उसे किसी की परवाह ही नही है, लेकिन जब उसके ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ आने की बारी होती है तो वह फिर से उन जिम्मेदारियों से बचने की सोचने लगता है।

पराड़कर परिवार में सुरु को देखा

नाटक के मंचन में उस बेफिक्र इंसान का नाम अरुण दिया गया है। एक दिन अरुण घूमता फिरता पराड़कर परिवार की बेटी सरस्वती यानि सुरु को देखता है, और उस परिवार में घुसने की तरकीब ढूंढने लगता है। सुरु एक बहुत सीधी साधी सुशील लड़की है, लेकिन अरुण झूठ फरेब से खुद को अतिथि बताकर उस घर में घुस जाता है। उधर सुरु की शादी की चिंता और अतिथि की खातिरदारी में माहौल उलझ जाता है।

शादी फिक्स हुई तो प्यार हो गया

सुरु के पिता उसकी शादी को लेकर बहुत चिंता में रहते हैं क्योंकि सुरु को कोई पसंद ही नहीं करता था। इसी उलझन और अतिथि की खातिरदारी में सुरु को अरुण से प्यार हो जाता है। लेकिन तब तक सुरु के घर वाले उसके लिए लड़का देख लेते हैं जो सुरु को पसंद भी कर लेता है, लेकिन सुरु शादी से इनकार कर देती है। जिसके बाद उसके पिता सुरु पर बहुत गुस्सा करते हैं और मारपीट भी करते हैं, लेकिन सुरु नहीं मानती है। जब सुरु की मां उसकी शादी अरुण से करने की सोचती हैं तो अरुण जिम्मेदारियों से बचने के लिए वहां से भाग जाता है। और सुरु की याद में 12 साल तक भटकता रहता है।

Posted By: Inextlive