फेस्टीव सीजन्स और खास मौकों पर धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की भीड़ देश में आम बात है लेकिन कई बार भगदड़ मचने से रंग में भंग हो जाता है. आज गायत्री महाकुंभ में भगदड़ मचने से कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई. आइए नज़र डालते हैं पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक स्थलों पर मची भगदड़ की घटनाओं पर.


जनवरी, 2011- सबरीमाला: भगदड़ में 100 की मौत मार्च, 2010- उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कृपालु महाराज के आश्रम में मची भगदड़ में 60 लोगों की जान गई.जनवरी, 2010- कोलकाता के पास चल रहे गंगासागर मेले में मची भगदड़ से कम से कम सात तीर्थयात्री मारे गए हैं.दिसंबर, 2009- गुजरात में धौराजी के श्रीनाथजी मंदिर में भगदड़ मचने से नौ लोगों की मौत हो गई और 15 से ज़्यादा घायल हैं.सितंबर, 2008- राजस्थान के चामुंडा मंदिर में मची भगदड़ में 224 लोगों की मौत हो गई थी.अगस्त, 2008 - हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भूस्खलन की अफ़वाह के बाद भगदड़ मच गई. इसमें 145 लोगों की मौत हो गई.
नवंबर, 2006 - उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में चार लोगों की मौत हो गई और 18 घायल हो गए. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि अधिकारियों ने मंदिर का दरवाज़ा खोलने में देर कर दी जिसके कारण भगदड़ मच गई.जनवरी, 2005 - महाराष्ट्र के दूरवर्ती मंढारा देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 265 लोग मारे गए. सँकड़ा रास्ता होने के कारण हताहतों की संख्या बढ़ गई. मृतकों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की थी.


अगस्त, 2003 - नासिक में कुंभ मेले के दौरान मची भगदड़ में 30 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई.1986 - हरिद्वार में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में 50 लोगों की मौत हो गई.1954 - इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ का भयान मंजर देखने को मिला. इसमें लगभग 800 लोगों की जानें गईं.

Posted By: Kushal Mishra