- 10 नवंबर को एक टीम ने किए थे 87 ऑपरेशन, 11 नवंबर को दो टीम ने 84

- एक पीडि़ता द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच में हुए चौंकाने वाले खुलासे

टूंडला : नसबंदी अभियान में नियम एवं कानून को ताक पर रखा जा रहा है। टूंडला में 11 नवंबर को हुए ऑपरेशन की एक पीडि़ता द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद जब पड़ताल की गई, तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। 11 नवंबर को जिस दिन ऑपरेशन किए गए थे, उस दिन 10-20 नहीं, टूंडला सीएचसी पर 84 ऑपरेशन किए गए थे।

चौंकाने वाले आंकड़े

11 नवंबर को सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक ऑपरेशन हुए। यानी तकरीबन नौ घंटे। अब अगर 15 मिनट के हिसाब से भी देखें तो एक टीम एक घंटे में चार तथा दो टीम एक घंटे में आठ ऑपरेशन ही करेंगी। नौ घंटे अगर चिकित्सकों ने बगैर रुके एवं कुछ खाए-पिए भी ऑपरेशन किए हों, तो भी दस बजे से सात बजे तक 72 ऑपरेशन बैठते हैं।

एक दिन पहले 87 ऑपरेशन

जबकि इस दरम्यान चिकित्सकों ने कुछ ब्रेक भी लिया होगा। मरीज को टेबल पर लिटाने एवं ऑपरेशन के बाहर बाहर ले जाने में भी वक्त लगा होगा। इसके बाद भी यहां 72 के बजाए 84 ऑपरेशन कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। अगर मात्र दो सर्जन थे तो फिर क्या किसी अन्य ने ऑपरेशन किए? चौंकाने वाली बात यह है 10 नवंबर को सीएचसी पर होने वाले ऑपरेशन की संख्या 87 बताई जा रही है, जबकि उस दिन यहां पर मात्र एक टीम थी। सूत्रों की माने तो इस दिन ज्यादा ऑपरेशन होने पर डॉक्टर ने जब दूसरे दिन दूसरी टीम की मांग की, तब टीम को यहां पर तैनात किया।

5 से 10 मिनट के 150 रुपये

लक्ष्य पूर्ति के खेल में चिकित्सक समय का ध्यान नहीं रखते। टीम में शामिल चिकित्सकों को प्रति ऑपरेशन की दर से मेहनताना भी मिलता है। एक सर्जन अगर एक दिन में 40 ऑपरेशन करता है तो ऑपरेशन पर मुश्किल से पांच से दस मिनट का भी वक्त नहीं लगता। प्रति ऑपरेशन की दर से 150 रुपये मिलते हैं। ऐसे में 40 ऑपरेशन पर चिकित्सक को छह हजार रुपये से ज्यादा मेहनताना मिलता है।

सीएमओ डॉ। एनएल यादव का कहना है कि ''एक ऑपरेशन में अधिकतम आधा घंटे का वक्त लगता है। कम से कम 15 मिनट लगते हैं। सर्जन केवल ऑपरेशन करता है। बाकी कार्य अन्य स्टाफ करता है। ऐसे में एक मरीज के बाद सर्जन तुरंत दूसरे का ऑपरेशन करता है। वक्त कम लगता है.''

Posted By: Inextlive