- केजीएमयू में सीपीएमएस पर सीएजी ने उठाए सवाल

- बिना जरूरत के खरीद लिया गया लिनियर एक्सीलरेटर

- अब तक सिर्फ कम्प्यूटर रजिस्ट्रेशन की हो पाई शुरूआत

LUCKNOW: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में करोडों रुपये खर्च करने के बावजूद सिंगल विंडो सिस्टम का कार्य पूरा न होने पर सीएजी ने प्रश्न खड़ा कर दिया है। चार साल पहले पेशेंट्स के रजिस्ट्रेशन से लेकर डिस्चार्ज करने की प्रासेस को कम्प्यूटराइज करने के लिए शुरू हुए काम में म्.क्ब् करोड़ खर्च हो गए लेकिन काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया। यहां तक कि लोकल एरिया नेटवर्क (लैन) भी नहीं बिछ पाया। अब तक सिर्फ रजिस्ट्रेशन ही कम्प्यूटर से शुरू हो पाया है। इसके अलावा सीएजी ने लिनियर एक्सीलरेटर खरीदे जाने पर भी प्रश्न उठाया है। कहा गया है कि जब इसको लगाने की जगह ही नहीं थी तो करोड़ो रुपए क्यों खर्च किए।

क्यों लगाया गया लिनियर एक्सीलरेटर

सीएजी ने संस्थान में लिनियर एक्सीलरेटर खरीदे जाने पर ही आपत्ति जताई है। पिछले लगभग भ् वर्ष पहले लगभग क्0 करोड़ की मशीन संस्थान में खरीद कर मंगा ली गई। लेकिन इसको लगाने के लिए जगह ही नहीं थी। सीएजी का सवाल है कि जब संस्थान में मशीन लगाने की जगह नहीं थी तो इसे क्यों खरीद लिया गया। अभी भी यह मशीन लग नहीं पाई है। और संस्थान के अधिकारी शताब्दी फेज टू में इसके लिए बंकर बना रहे हैं। यह मशीन कैंसर मरीजों के इलाज में मील का पत्थर साबित होगी। लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने इसकी खरीददारी में जल्दबाजी की।

ख्0क्ख् में मिली थी स्वीकृति

प्रदेश सरकार ने केजीएमयू में सिंगल सेंट्रल पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम (सीपीएमएस) के लिए मार्च ख्0क्ख् में म्.9फ् करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। जिसके बाद शासन ने म्.क्भ् करोड़ जारी भी कर दिए। जिसमें से केजीएमयू अधिकारियों ने ख्0क्ब् तक भ्.ख्ब् करोड़ रुपये खर्च कर दिए लेकिन यूपी इलेक्ट्रॉनिक कार्पोरेशन (यूपीसीएल) काम को पूरा नहीं कर पाई। सूत्रों के अनुसार संस्थान में एक ही काम के लिए तीन-चार बार लोकल एरिया के लिए तार बदले गए। अगर संस्थान में इसकी जांच की जाए तो यह सामने आ जाएगा। लापरवाही से मई ख्0क्ब् में सर्वर में रूम में आग भी लग गई। इसमें बहुत से महत्वपूर्ण उपकरण भी जल गए और काम पूरी तरह ठप हो गया। जिसके बाद सीपीएमएस का साफ्टवेयर बनाने की जिम्मेदारी भी प्राइवेट कम्पनी को दे दी गई।

बिना एमओयू दिया गया काम

यूनिवर्सिटी प्रशासन पर यह भी आरोप लगे हैं कि मेसर्स लूड फैंटसी को कार्यदायी संस्था बनाया और बिना एमओयू किए ही उन्हें कार्य दे दिया गया। साफ्टवेयर डेवलप करने का काम ख्009 में दिया गया था लेकिन अब तक मरीजों की पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी की जांचे भी आनलाइन नहीं हो पाई है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार अनुसार इस पर लगभग 90.ब्भ् लाख रुपये इस पर खर्च किए गए हैं।

लिनियर एक्सीलरेटर के बारे में पूछा गया है कि इसे लगाने की जगह नहीं थी तो उसे क्यों खरीदा गया? अब इसे लगाने की व्यवस्था की जा रही है। सीपीएमएस को लेकर सीएजी कोई आपत्ति नहीं है।

प्रो। रविकांत, वीसी केजीएमयू

Posted By: Inextlive