Gorakhpur : देश के डिफरेंट एरियाज में आए दिन हो रहे बम धमाके सैकड़ों की मौत लेकिन कोई सुराग नहीं? फलां सिटी में बिजनेसमैन का अपहरण मगर पुलिस खाली हाथ. आखिर ऐसा क्या हो गया है कि घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है? क्या इंडिया की सिक्योरिटी एजेंसी पूरी तरह से फेल हो चुकी हैं? आपके दिलों में इस तरह के सवाल तो जरूर उठते होंगे मगर जवाब आज भी किसी के पास नहीं हैं. आई नेक्स्ट ने भी जब इन तमाम पहलुओं को लेकर इनवेस्टिगेशन की तो इन सबके बीच सबसे बड़ा विलेन अपने साथ ही पाया. जी हां हम बात कर रहे हैं मार्केट में फेक आईडी पर धड़ल्ले से बिक रहे सिम की जिन्हें बेचने वाले इस बात की जरा भी फिक्र नहीं करते कि वह किसे और किस मकसद के लिए सिम एलॉट कर रहे हैं. यही सिम बात में बड़ी घटनाओं में जिम्मेदार पाए जाते हैं लेकिन आईडी फेक होने की वजह से अपराधियों का कोई सुराग नहीं लग पाता है.


बस रुपए दें और ले जाएं सिम


मार्केट की अगर बात करें तो इस वक्त सिटी में सैकड़ों मोबाइल और सिम की शॉप होंगी। इनमें से मैक्सिमम जगह ऐसी हैं, जहां पर फेक आईडी या बगैर आईडी दिए ही सिम आसानी से मिल जाएंगे। इसके लिए आपको परेशानी भी नहीं उठानी पड़ेगी। हां अलबत्ता, उनकी डिमांड के हिसाब से पैसे जरूर चुकाने पड़ेंगे। शॉपकीपर्स को इस बात से कतई मतलब नहीं है कि सिम परचेज करने के बाद आप उसका क्या और किस वे में यूज करेंगे, उनका सिम बिक गया बस उनका मकसद पूरा हो गया। यही वजह है कि यहां पर जान की कीमत महज चंद रुपए होकर रह गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मोबाइल कंपनियां अपने कस्टमर्स बनाने के लिए नए सिमों पर तरह-तरह के ऑफर्स देती रहती हैं और नए सिमों को बेचने पर दुकानदारों को मोटा कमीशन भी मिलता है। इन्हीं कमीशन के चक्कर में दुकानदार बिना आईडी प्रूफ लिए ही सिम देने को तैयार हो जाते हैं, वहीं आईडी के तौर पर उनके पास पहले से मौजूद डॉक्युमेंट लगा देते हैं। आई नेक्स्ट के स्टिंग में शॉपकीपर्स की मनमानी को आसानी के साथ समझा जा सकता है।रिपोर्टर - एक सिम चाहिएशॉपकीपर - मिल जाएगा

रिपोर्टर - एक प्रॉब्लम है?शॉपकीपर - क्या?रिपोर्टर - मेरे पास कोई आईडी प्रूफ नहीं हैशॉपकीपर - कहां रहते हो?रिपोर्टर - हॉस्टल मेंशॉपकीपर - 100 रुपए का मिलेगारिपोर्टर - एक्टिवेट तो हो जाएगा ना?शॉपकीपर - हां हो जाएगा, सिर्फ एक्टिवेशन के लिए वेरिफिकेशन कराना पड़ेगारिपोर्टर - कैसे होगा वेरिफिकेशन?शॉपकीपर - घबराओ नहीं?उसके बाद शॉपकीपर ने ड्रॉर में से एक स्लिप निकाली और रिपोर्टर को सौंपते हुए बोला कि इसमें जो नाम और पता लिखा है उसे इस नंबर पर कॉल कर वेरिफाई करा लेना सिम एक्टिवेट हो जाएगा।रिपोर्टर और शॉपकीपर के बीच हुई बातचीत से इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि महज चंद रुपयों के लिए शॉपकीपर्स किस तरह अपना ईमान बेच दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर फेक सिम सेलिंग को रोकने के लिए ट्राई द्वारा बनाए गए रूल की वह काट भी कर चुके हैं। इस तरह धड़ल्ले से यूज किए जाने वाले फेक सिम और लगातार बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए की जाने वाली कोशिश किस तरह से कामयाब होगी? यह एक बड़ा सवाल है।क्या है ट्राई की रूलिंग

सिम एक्टिवेशन के लिए ट्राई ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को कई डायरेक्शन दे रखे है। इसमें सबसे पहला यह कि सिम एलॉटमेंट के दौरान सबसे पहले वह कस्टमर से सीएएफ भरवाएं। इसमें भी कस्टमर जो आईडीप्रूफ प्रोवाइड कर रहा है, उसको ओरिजनल से तो मैच कराएं ही साथ ही फिजिकली भी कस्टमर से उसे मिला लें। इसके साथ ही सीएएफ में दी गई सभी प्लेसेज पर अपने सामने सिग्नेचर कराएं। पूरा फॉर्म फिल होने के बाद आईडी प्रूफ और फोटो पर भी सिग्नेचर करवाएं। इसके बाद फॉर्म वेरिफिकेशन के लिए मोबाइल ऑपरेटर के पास जाएगा, जिसके बाद फॉर्म की एंट्री होगी। एंट्री के दौरान अगर फॉर्म में कोई खामी पाई जाती है तो उसे मोबाइल ऑपरेटर उसे रिजेक्ट कर सकता है। अगर यह प्रॉसेस कंप्लीट हो जाती है तो उसके बाद कस्टमर्स को टेलीवेरिफिकेशन कराना पड़ता है, जिसके बाद सिम एक्टिवेट होता है। इस पूरी प्रॉसेस में 2 से 7 दिनों का वक्त लगता है।क्या हो रहा है खेल
मार्केट में धड़ल्ले से बिक रहे सिम की जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पड़ताल की तो चौंका देने वाले मामले सामने आए। इसमें सबसे बड़ी बात यह कि फेक सिम को शॉपकीपर्स पहले से ही फेक आईडी देकर एक्टिवेट करा लेते हैं। इसका नेम, फादर नेम, अड्रैस, सिम नंबर और मोबाइल नंबर को एक स्लिप पर नोट कर अपने पास रख लेते हैं। जब कोई कस्टमर फेक सिम लेने पहुंचता है तो वह पैसा लेकर वह सिम उसे सौंप देते हैं और टेलीवेरिफिकेशन के लिए उसे अपने पास मौजूद स्लिप दे देते हैं। ऐसे में वेरिफिकेशन प्रॉसेस भी सक्सेजफुली कंप्लीट हो जाती है।डीजीपी हुए सख्तफेक आईडी के थ्रू लगातार सिम की हो रही बिक्री से आला अधिकारी काफी नाराज हो चुके हैं। फेक आईडी के थ्रू सेल होने वाले सिमकार्ड पर रोक न लगा पाने पर डीजीपी देवराज नागर भी काफी नाराज हैं। उन्होंने इस संबंध में ट्राई और टेलीकॉम मिनिस्ट्री को लेटर लिखकर रूल्स का सख्ती के साथ पालन कराने के लिए कहा है। डीजीपी हेडक्र्वाटर ने लखनऊ में कुछ दिन पहले प्रदेश में काम कर रही टेलीकॉम कंपनीज के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, इसमें आईजी एसटीएफ भी शामिल थे। इस दौरान यह बात सामने आई थी कि कई कंपनियों के रिप्रेजेंटेटिव ने डीजीपी हेडक्वार्टर से मिले आदेश का कड़ाई से पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे कि फेक आईडी पर सिम की बिक्री पर रोक नहीं लग पा रही है।report by : syedsaim.rauf@inext.co.in

Posted By: Inextlive