अमरीका के केंद्रीय बैंक फ़ेडरल रिज़र्व के ब्याज दरों को मौजूदा निचले स्तर पर रखने की घोषणा के बाद एशिया और ऑस्ट्रेलिया के शेयर बाज़ारों में पिछले कुछ दिन की गिरावट के बाद फिर से उछाल आना शुरु हो गया है.


बुधवार को ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बाज़ारों में शुरुआती कारोबार में उछाल देखा गया। ऑस्ट्रेलियाई बाज़ार तीन प्रतिशत और न्यूज़ीलैंड का बाज़ार लगभग चार फ़ीसदी ऊपर शुरु हुआ। उधर भारतीय बाज़ारों में भी खुलते समय तेजी देखी गई है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक यानि सेंसेक्स खुलते ही क़रीब चार सौ अंक ऊपर की ओर भागा। ऐसी ही रफ़्तार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ़्टी की रही जो खुलते ही 92 अंकों का उछाल आया और ये 5,165 पर पहुंच गया।


उधर टोक्यो का निक्केई लगभग दो प्रतिशत ऊपर शुरु हुआ जबकि दक्षिण कोरियाई बाज़ार में शुरु में ही लगभग चार प्रतिशत का उछाल आया। मंगलवार को अमरीका का मुख्य शेयर सूचकांक डाओ जोन्स भी चार प्रतिशत ऊपर बंद हुआ है। ब्रिटेन के फ़ुटसी सूचकांक में मंगलवार को कोरबार के ख़त्म होने तक 1.9 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली। फ़्रांसीसी शेयर बाज़ार भी 1.6 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुआ.'अमरीका, यूरोप के बारे में चिंता कायम'

ग़ौरतलब है कि अमरीकी फ़ेडरल रिज़र्व ने कहा है कि कम से कम वर्ष 2013 तक ब्याज दरें वर्तमान स्तर पर ही बनी रहेंगी। अमरीका में ब्याज दर दिसंबर 2008 के बाद से ही शून्य से 0.25 प्रतिशत के बीच बनी हुई है। अमरीका में बेरोज़ग़ारी की दर लगातार नौ प्रतिशत से ऊपर ही है अमरीका के कर्ज़ के बारे में निवेशकों की चिंता कुछ हफ़्ते पहले शुरु हुई जब अमरीका के 14.3 खरब डॉलर के कर्ज़ की सीमा बढ़ाने के मुद्दे पर अमरीकी संसद में डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों के बीच ठन गई। उस समस्या का हल निकला ही था कि रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने अमरीकी की क्रेडिट रेटिंग को घटा दिया। इसी के साथ, इटली के 1.8 खरब यूरो के कर्ज़ और स्पेन के 326 खरब यूरो के कर्ज़ से निवेशकों में चिंता और अनिश्चितता का महौल पैदा हो गया।

पिछले हफ़्ते विभिन्न बाज़ारों में भारी विकवाली का दौर चला जो अब थमता नज़र आ रहा है। अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली संस्था इक्नॉमिक इंटेलिजेंस ग्रुप के रॉबिन ब्यू का कहना था, "फ़ेडरल रिज़र्व की घोषणा से कई निवेशकों को निराशा होगी कि उसने ख़ुद को ब्याज दरों तक ही सीमित रखा और उससे आगे बढ़कर घोषणा नहीं की है." उनका कहना था, "अमरीका की क्रेडिट रेटिंग घटने से जो तात्कालिक घबराहट थी, वह अब ख़त्म हो रही है। लेकिन अमरीका और यूरोप के बारे में दीर्घकालिक चिंताएँ कायम हैं क्योंकि उनके पास इन समस्याओं का समाधान करने की नीतियाँ नज़र नहीं आ रही हैं."

Posted By: Inextlive