- आखिर कब तक चलेगा कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला

- कोख में ही मार दी जाती हैं मासूम बच्चियां, तो कहां से आएगी कन्याएं

आखिर कब तक चलेगा कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला

- कोख में ही मार दी जाती हैं मासूम बच्चियां, तो कहां से आएगी कन्याएं

Meerut :Meerut : पैदा होने से पहले ही उनका कत्ल कर दिया जाता है। अब तो रोकिए ये कन्या भ्रूण हत्या, आखिर कब तक चलेगी हैवानियत। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाज में कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। एक ओर जहां नवरात्र के इन नौ दिन हम कन्याओं का पूजन करने की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ एक बेटी को कोख में ही मार दिया जाता है। फिर कन्या पूजन पर उसी कन्या की कमी की बात करते हैं।

रोजाना क्8 सौ का कत्ल

हाल ही में प्रकाशित केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष ख्00क् से ख्00भ् के अंतराल में करीब म् लाख 8ख् हजार कन्या भ्रूण हत्याएं हुई हैं। इस लिहाज से देखें तो इन चार सालों में रोजाना क्800 से क्900 कन्याओं को जन्म लेने से पहले ही दफन कर दिया गया। समाज को रुढि़वादिता में जीने की सही तस्वीर दिखाने के लिए सीएसओ की यह रिपोर्ट पर्याप्त है। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाज में कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। गैरकानूनी और छुपे तौर पर कुछ इलाकों में तो जिस तादाद में कन्या भ्रूण हत्या हो रही है, उस पर सीएसओ की रिपोर्ट केंद्र सरकार के दावों को सिरे से खारिज करती है। महिलाओं से जुड़ी समस्या पर काम करने वाली संस्था सेंटर फॉर सोशल रिसर्च इस समस्या से काफी चिंतित है। संस्था काफी समय से सरकार से इस बीमारी को रोकने के लिए हस्तक्षेप की मांग करती आ रही है। उधर सरकारी तर्क में कहा गया है कि 0.म् साल के बच्चों का लिंग अनुपात सिर्फ कन्या भ्रूण के गर्भपात के कारण ही प्रभावित नहीं हुआ, बल्कि इसकी वजह कन्या मृत्यु दर का अधिक होना भी है। बच्चियों की देखभाल ठीक तरीके से न होने के कारण उनकी मृत्यु दर अधिक है। इसलिए जन्म के समय मृत्यु दर एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। क्98क् में 0.म् साल के बच्चों का लिंग अनुपात 9म्ख् था, जो क्99क् में घटकर 9ब्भ् हो गया और ख्00क् में यह 9ख्7 रह गया है। इसका श्रेय मुख्य तौर पर देश के कुछ भागों में हुई कन्या भ्रूण की हत्या को जाता है। उल्लेखनीय है कि क्99भ् में बने जन्म पूर्व नैदानिक अधिनियम नेटल डायग्नोस्टिक एक्ट क्99भ् के मुताबिक बच्चे के लिंग का पता लगाना गैर कानूनी है। इसके बावजूद इसका उल्लंघन सबसे अधिक होता है। सरकार ने ख्0क्क् व क्ख् तक बच्चों का लिंग अनुपात 9फ्भ् और ख्0क्म्-क्7तक इसे बढ़ा कर 9भ्0 करने का लक्ष्य रखा है। देश के फ्ख्8 जिलों में बच्चों का लिंग अनुपात 9भ्0 से कम है। जाहिर है, हमारे देश में बेटे के मोह के चलते हर साल लाखों बच्चियों की इस दुनिया में आने से पहले ही हत्या कर दी जाती है और सिलसिला थमता दिखाई नहीं दे रहा है।

डराते हैं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर जाए तो मेरठ जिले में अभी भू्रण हत्या जैसे अपराध रुक नहीं पाए है। यहां मेरठ के ग्रामीण इलाकों में इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक लगभग भ्00 भ्रूण हत्या के केस सामने आए हैं। वहीं शहरी इलाकों में यह संख्या क्00 के आसपास है। यह तो महज उन्हीं आंकड़ों की बात हो रही हैं, जो केस किसी न किसी कारण से सामने आए हैं, लेकिन अगर हम बात करें तो न जाने सैकड़ों ऐसे केस होंगे जो दवाब के चलते सामने ही नहीं आ पाए होंगे। यूपी में यह आंकड़ें तो हजारों में जाते हैं।

क्0 प्रतिशत महिलाएं हो गई हैं लुप्त

यूनिसेफ के अनुसार क्0 प्रतिशत महिलाएं विश्व की जनसंख्या से लुप्त हो चुकी हैं, जो गहन चिंता का विषय है। स्त्रियों के इस विलोपन के पीछे कन्या भ्रूण हत्या ही मुख्य कारण है। संकीर्ण मानसिकता और समाज में कायम अंधविश्वास के कारण लोग बेटा और बेटी में भेद करते हैं। प्रचलित रीति-रिवाजों और सामाजिक व्यवस्था के कारण भी बेटा और बेटी के प्रति लोगों की सोच विकृत हुई है। समाज में ज्यादातर मां-बाप सोचते हैं कि बेटा तो जीवन भर उनके साथ रहेगा और बुढ़ापे में उनकी लाठी बनेगा। समाज में वंश परंपरा का पोषक लड़कों को ही माना जाता है।

प्रधानमंत्री ने चिंता जताई थी

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में इस विषय पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था भ्रूण हत्या जैसी बुराइयों पर अंकुश लगाने में कानून अपना काम करता है, लेकिन समाज का भी दायित्व है कि वह इस दिशा में प्रयास करे। समाज में ऐसी सोच है कि बेटा होगा तो बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन पांच-पांच बेटे और बंगले होने के बावजूद मां-बाप को ओल्ड ऐज होम में रहना पड़ता है। 'बेटियों की बलि मत चढ़ाइए। जिनकी अकेली बेटी संतान के रूप में है तो वह अपने सपनों की बलि चढ़ा देती है, शादी नहीं करती और अपने मां बाप की सेवा करती है.' इसलिए सोच को बदलो बेटी को बचाओ, उसे हर संकट से बचाओ।

'मां के गर्भ में बेटी की हत्या, ये कितना बड़ा अपराध है। ख्क्वीं सदी के मानव का मन कितना कलंकित और पाप भरा है, इसे प्रदर्शित करता है। इससे हमें मुक्ति पानी होगी.'

-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,

Posted By: Inextlive