- लावारिस पशुओं के हमले में घायल होते लोग, कईयों की गई जान

GORAKHPUR: शहर में लावारिस हाल घूम रहे पशुओं के हमले आम बात हैं। आए दिन कोई न कोई राहगीर इनके हमले में घायल होकर अस्पताल पहुंचता है। पांच साल के भीतर शहर में सांड़ों के हमले में कई लोगों की जान जा चुकी है। जबकि छुट्टा पशुओं की वजह से शहर का ट्रैफिक प्रभावित होता है। चौराहों पर जुगाली करते पशुओं के अगल-बगल गुजरने पर लोगों को डर लगता है। गाय, बछड़ों और साड़ों के बीच होने वाली लड़ाई अक्सर लोगों के लिए मुसीबत बनती है। शहर के नए मेयर ने कुर्सी संभालने पर इस बात का दावा किया था कि नगर निगम क्षेत्र को छुट्टा पशुओं से मुक्त कराएंगे। नगर निगम के अभियान शुरू होने के बावजूद पूरी तरह से लावारिस पशु हटाए नहीं जा सके हैं। फिर भी शहर के लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही नगर निगम इस बात के मुकम्मल इंतजाम कर लेगा कि शहर की सड़कों पर छुट्टा पशुओं का भटकना रोका जा सके।

राहगीरों को करते घायल, थम जाता ट्रैफिक

शहर के भीतर छुट्टा पशुओं के हमले में दो साल के भीतर 20 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। जबकि पांच से अधिक लोगों ने अलग-अलग जगहों पर साड़ों के हमलों में जान गंवा दी है। शहर में छुट्टा पशुओं का आतंक कहीं पर भी देखा जा सकता है। खासकर, उन जगहों पर जहां सुबह के उजाले के साथ लोगों का आवागमन बड़ी संख्या में शुरू हो जाता है। सड़कों पर निकलने वाले लोगों को पशुओं से बचकर चलना पड़ता है। पता नहीं कब, रास्ते में कहां पर कोई पशु हमला कर दे। यदि पशु ने हमला नहीं किया तो उनकी आपसी लड़ाई में लोगों की जान पर आफत आ जाती है। पशुओं की वजह से शहर के भीतर ट्रैफिक थम जाता है। चौराहों पर जमा पशुओं की धमा-चौकड़ी से वाहनों में जोरदार टक्कर लगती रहती है। इसलिए लोगों को काफी परेशान होना पड़ता है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शहर में पशुओं की समस्या के समाधान के लिए धर-पकड़ की जा रही है। तीन-चार दिनों के भीतर करीब साढ़े नौ सौ पशुओं को फर्टिलाइजर स्थित कांजी हाउस में भेजा जा चुका है। नगर निगम का पशु पकड़ो दस्ता रोस्टर के अनुसार हर मोहल्ले में घूम-घूमकर पशुओं को पकड़ने में जुटा है। शहर में छुट्टा पशुओं की तादाद चार हजार से अधिक है। इनमें महज 970 पशुओं को पकड़ा जा सका है। जबकि 100 से अधिक खतरनाक साड़ों को काबू करने की चुनौती बरकरार है। शहर में छुट्टा पशुओं के पकड़े जाने की रिपोर्ट रोजाना बन रही है। विभिन्न मोहल्लों से सांड़ और गाय पकड़ने के लिए दो वाहनों का इंतजाम किया गया है। सीनियर अफसरों ने किराए पर गाड़ी लेकर सांड़ों को पकड़ने का निर्देश दिया है। फर्टिलाइजर कैंपस स्थित कांजी हाउस में पशुओं को रखा जाता है। इसके बाद उनको महराजगंज के मधवलिया में शिफ्ट कर दिया जाता है।

यहां छुट्टा पशुओं का आतंक

गोलघर

बैंक रोड

सिनेमा रोड

राप्ती नगर

सूर्य विहार

मोहद्दीपुर

सिविल लाइंस

मियां बाजार

जाफरा बाजार

साहबगंज

महेवा मंडी

असुरन चौक

कोट्स

शहर में आए दिन पशुओं के हमले की जानकारी मिलती है। सांड़ों के हमले में करीब 10 लोगों की जान जा चुकी है। पिछले कई साल से हम लोग सुनते आ रहे हैं कि पशुओं को पकड़ा जाएगा लेकिन इसका कोई असर नजर नहीं आता।

धीरज कुमार

छुट्टा पशुओं के मालिकों के खिलाफ कोई अभियान नहीं चलाया जाता। उन पर जुर्माना लगाने के अलावा एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए। इससे छुट्टा पशुओं को लावारिस हाल सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ने वाले मालिकों पर शिकंजा कसेगा।

- प्रदीप अग्रवाल

शहर में छुट्टा पशुओं की वजह से ट्रैफिक जाम लगता है। चौराहों पर बैठे पशुओं की लड़ाई में राहगीर घायल होते हैं। गली-मोहल्लों में छोटे बच्चों पर पशुओं के हमले का खतरा होता है। इसलिए शहर में जिधर भी निकलिए वहां पर छुट्टा पशुओं का खतरा मंडराता रहता है।

राकेश जुमनानी

हाल के दिनों में नगर निगम ने अभियान शुरू किया है। लेकिन शहर में इतने लावारिस पशु घूमते रहते हैं कि उनको पकड़कर प्रॉपर इंतजाम करना मुश्किल है। इस समस्या से निजात के लिए किसी बड़ी जगह पर पशुबाड़ा बनाया जाने की जरूरत है।

- नर्मदेश्वर द्विवेदी

Posted By: Inextlive