- अंधेरे से नहीं बल्ब से डरते हैं निगम वाले और पटनाइट्स की अंधेरे के बीच से होकर गुजरना हो गई है आदत

- हजारों स्ट्रीट लाइट लगने को तो लग गई, पर जलती एक भी नहीं और धरी रह गई स्ट्रीट लाइट की कई प्लानिंग

- पब्लिक को आए दिन होती है प्रॉब्लम, कंप्लेन के बाद भी कोई सुनने को तैयार नहीं

PATNA : दिन में जिन गाडि़यों की वजह से शहर जाम रहता है। शाम और रात में वही गाडि़यां सड़क से अंधेरा दूर भगाती है। अगर बीआईपी एरिया को छोड़ दें तो शहर की कोई सड़क आपको नहीं मिलेरी जिस पर स्ट्रीट लाइट जलती हो। बेली रोड से लेकर तमाम लिंक रोड, ओवर ब्रिज तक अंधेरे में डूबा रहता है। राजेंद्र नगर, कंकड़बाग, डॉक्टर्स कॉलोनी से हजारों बार इसकी कंप्लेन की गई, इसके बाद भी कुछ नहीं हो पाता है। यही नहीं निगम कर्मी भी इन अंधेरी सड़कों पर चलते हैं। बावजूद इसके उन्हें अंधेरे से नहीं बल्कि बल्ब से डर लगता है। क्योंकि पोल पर लगने वाला बल्ब कभी भी फ्यूज हो सकता है। अगर उसकी लगातार मॉनिटरिंग कर बल्ब की खरीदारी की जाती है तो फिर निगरानी जांच में फंसने का डर रहता है। क्योंकि वहां जवाब देना होता है कि बल्ब कैसे फ्यूज कर गया। इस वजह से बल्ब की खरीदारी नहीं हो पाती है और पूरा शहर अंधेरे में डूबा रहता है।

एक महीना भी नहीं चलता

निगम सोर्सेज की मानें तो सीएफएल एक महीना भी नहीं चल पाता है। कई दफा बोर्ड की ओर से सीएफएल बल्ब दिए गए जिसे विभिन्न एरिया में लगाया भी गया। लेकिन वो एक महीने बाद खराब हो गया। इसके बाद उस एरिया में अंधेरा पसरा रहता है। फिर अगली बार जब बोर्ड की बैठक होती है और उसमें बल्ब मिलता है तो उस एरिया में दुबारा लगाया जाता है।

मेंटेनेंस के लिए कोई तैयार नहीं

यही नहीं स्ट्रीट लाइट का मेंटेनेंस लेने के लिए कोई तैयार नहीं रहता है। कई दफा निगम की ओर से प्राइवेट कंपनी और होर्डिग वालों को मेंटेनेंस पर लेने के लिए कहा गया। लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। लिहाजा निगम के जिम्मे होने की वजह से ऑफिसर्स ने इस पर अब ध्यान तक देना बंद कर दिया है। इस वजह से आए दिन अंधेरे में पटना डूबा रहता है। लेकिन निगम इस बेफिक्री के साथ रहता है कि अगर लगातार स्ट्रीट लाइट बनती रही तो मुसीबत और भी बढ़ जाएगी।

सब्जी मंडी में रहता घोर अंधेरे

राजेंद्र नगर ओवर ब्रिज, मीठापुर ओवर ब्रिज, सहित तमाम ओवर ब्रिज अंधेरे में डूबा रहता है। इसके नीचे चलने वाली सब्जी की मंडी भी अंधेरे में डूबी रहती है। यहां रोशनी बैट्री वाले बल्ब से होती है। क्योंकि कई महीनों से स्ट्रीट लाइट नहीं जलती है। ऐसे में पटनाइट्स को हर वक्त ठगे जाने या जेब कटने का डर रहता है।

हाई मास्ट छोड़ दें तो अंधेरा ही अंधेरा

मलाही पकड़ी चौराहे पर एक हाई मास्ट लाइट को छोड़ दें तो पूरी सड़क अंधेरे में डूबी रहती है। डाक्टर्स कॉलोनी की हालत और भी बुरी है। टूटी-फूटी सड़क पर आए दिन अंधेरे की वजह से हादसा होता रहता है। कंकड़बाग के सुशांत ने बताया कि स्ट्रीट लाइट एक जलती है तो दूसरी दो किलोमीटर बाद दिखती है। वह भी प्रॉपर नहीं जलती है।

नौ बजे के बाद अंधेरे का राज

अगर आप हड़ताली चौक से आर ब्लॉक या फिर राजापुर पुल की ओर जाते हैं तो नौ बजे तक जो चकाचौंध दिखती है वो गाडि़यों और शॉप की लाइट से होती है। नौ बजे के बाद जैसे ही शॉप्स बंद होते हैं। पूरी सड़क पर अंधेरे का राज हो जाता है। बोरिंग रोड की राखी ने बताया कि कोचिंग में अगर देर हो गई और रात के नौ बजे गए तो उसके बाद आने जाने में डर लगता है।

Posted By: Inextlive