RANCHI : रिम्स में प्राइवेट एंबुलेंस चालकों की मंगलवार से शुरु हुई अनिश्चितकालीन स्ट्राइक के पहले ही दिन मरीज व उनके परिजन हलकान रहे। एक तरफ एंबुलेंस खड़ा था तो दूसरी तरफ डेड बॉडी ले जाने के लिए परिजन वाहन की तलाश में इधर-उधर भागते फिर रहे थे। वहीं, जिन मरीजों को डिस्चार्ज किया गया था, उसे ले जाने के लिए भी जब एंबुलेंस नहीं मिला तो उसे ले जाने के लिए ऑटो अथवा अन्य वाहन को ढूंढना पड़ा। प्राइवेट एंबुलेंस चालकों की स्ट्राइक से वैसे मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई तो इलाज के सिलसिले में दूर-दराज अथवा दूसरे शहरों से आए थे।

नहीं मिले डायरेक्टर

अपनी मांग को लेकर प्राइवेट एंबुलेंस चालक रिम्स डायरेक्टर से मुलाकात करने पहुंचे। दो घंटे इंतजार के दौरान कई बार डायरेक्टर को सूचना दी गई। इसके बावजूद डायरेक्टर ने उन्हें मिलने के लिए नहीं बुलाया। इसके बाद एंबुलेंस चालकों ने आनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया।

संस्थाओं के एंबुलेंस को भगाया

स्ट्राइक को लेकर प्राइवेट एंबुलेंस चालक के तेवर इतने उग्र थे कि वे रिम्स में मौजूद विभिन्न संस्थाओं अथवा चैरिटेबिल ट्रस्ट के एंबुलेंस भी लेने से मरीजों को रोक दिया। उन्होंने इन संस्थाओं के एंबुलेंस चालकों को हॉस्पिटल से खदेड़कर भगा दिया। ऐसे में एंबुलेंस के लिए मरीज व उनके परिजनों को पूरे दिन तक परेशानियों का सामना करना पड़ा।

क्यों स्ट्राइक पर हैं एंबुलेंस चालक

रिम्स मैनेजमेंट ने हॉस्पिटल कैंपस को एन्क्रोचमेंट फ्री करने के लिए नया फरमान जारी किया है। इसके तहत एंबुलेंस को जहां-तहां खड़ी करने पर रोक लगा दी गई है। एंबुलेंस के लिए जो पार्किग स्पेस प्रोवाइड कराया गया है, वह थोड़ी दूरी पर है। इसी के विरोध में ही प्राइवेट एंबुलेंस चालक अनिश्चितकालीन स्ट्राइक पर चले गए हैं।

पोस्टमार्टम के बाद घंटों पड़ा रहा शव

हॉस्पिटल में मंगलवार को भी दर्जनों डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए लाया गया था। पोस्टमार्टम के बाद भी शव वहां घंटों तक यूं ही पड़ा रहा। इसकी वजह डेड बॉडी ले जाने के लिए एंबुलेंस का उपलब्ध नहीं होना था। इस बाबत परिजनों का कहना था कि बिना एंबुलेंस के वे डेड बॉडी को यहां से नहीं ले जाएंगे।

डिस्चार्ज के बाद एंबुलेंस का घंटों इंतजार

एंबुलेंस चालकों की स्ट्राइक ने मरीज व उनके परिजनों को खासा परेशान किया। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी मरीज को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल रहा था। ऐसे में कुछ लोग अपने मरीज को ऑटो में ढोकर ले गए।

नवजात की मौत, नहीं मिला एंबुलेंस

एक नवजात की मौत के बाद परिजन हाथों में लेकर एंबुलेंस के इंतजार में बैठे रहे। लेकिन, कहीं से भी उन्हें गाड़ी नहीं मिली। रिम्स के एंबुलेंस रूम में भी वह चक्कर लगा आए, लेकिन वहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। ऐसे में बच्चे के शव के साथ परिजन घंटों हॉस्पिटल में ही बैठे रहे।

रिम्स के वाहन भी नहीं मिले

रिम्स में मरीजों की सुविधा के लिए 9 सरकारी गाडि़यां हैं। एक टाटा सुमो एंबुलेंस, दो बड़ी एंबुलेंस, एक मारुति वैन के अलावा एक शव वाहन है। इसके अलावा चार कार्डियक एंबुलेंस रिम्स के पास है। लेकिन, इसका लाभ भी मरीजों को नहीं मिल पाता है। जरूरत पड़ने पर कभी कभार रिम्स के एंबुलेंस से मरीजों को उनके घर भेज दिया जाता है।

Posted By: Inextlive