हास्टल को लिस्ट न मिलने पर छात्र को नहीं मिल रहा था कमरा

बड़े भाई ने केपीयूसी के सुपरिंटेंडेट व मकान मालिक के खिलाफ दर्ज करायी रिपोर्ट

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन के लापरवाह रवैये का शिकार बीए प्रथम वर्ष का एक छात्र बन गया। डीएसडब्लू ऑफिस की ओर से हॉस्टल में कमरा एलॉट होने की लिस्ट ही जारी नहीं की गयी। नतीजा उसे परीक्षा शुरू होने से चंद महीने पहले भी कमरा नहीं मिल पाया। आरोप है कि उसे हॉस्टल के सुपरिंटेंडेंट के साथ मकान मालिक से भी खरी-खोटी सुननी पड़ रही थी। इससे क्षुब्ध होकर उसने फांसी पर लटक कर जान दे दी। मृतक के भाई ने दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी है।

आजमगढ़ से आया था पढ़ाई करने

आजमगढ़ के बरदह थाना क्षेत्र के गोठांव गांव के रहने वाले कैलाश यादव के चार बेटे हैं। सबसे बड़ा साकेत यादव, दूसरे नम्बर पर रविकांत, तीसरे नंबर पर शाशिकांत व चौथे नम्बर पर रजनीकांत था। पिता मुम्बई में प्राइवेट जाब करते हैं। मां चंदा देवी रविकांत, साकेत के साथ घर पर ही रहती है। शशिकांत यूपी पुलिस में कानुपर में तैनात है। रजनीकांत इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बीए प्रथम वर्ष का छात्र था। यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने के बाद उसने हास्टल के लिए आवेदन किया था। कमरा एलॉट नहीं हुआ तो वह अल्लापुर में पप्पू पटेल के यहां किराए का कमरा लेकर रहने लगा। मंगलवार को उसने कमरे में नायलॉन की रस्सी से फांसी लगा ली। इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। उसका फोन न लगने पर परिवार के लोग परेशान थे। भाई शशिकांत ने भी कई बार फोन ट्राइ किया लेकिन नहीं लगा, तो उसने अपने परिचित को रजनीकांत के कमरे पर जाकर देखने को कहा। कमरे पर पहुंचे शख्स ने देखा कि दरवाजा अंदर से बंद है। आवाज लगाने पर कोई जवाब भी नहीं दे रहा है। यह उसने शशिकांत का बताया तो उसने जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने कमरे का दरवाजा खोला तो रजनीकांत फांसी पर लटक रहा था।

सामान समेटने पहुंचे तो मिला सुसाइड नोट

भाई की मौत की जानकारी पाकर परिवार के सभी सदस्य रोते बिलखते पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। यहां किसी यह नहीं पता था कि आखिर रजनीकांत ने अपनी जीवन लीला क्यों समाप्त की। सभी आंखों में आंसू टपक रहे थे। परिजन नहीं चाहते थे कि उसका पोस्टमार्टम हो। लेकिन, पुलिस का कहना था कि पोस्टमार्टम जरूरी है। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने उसकी बॉडी परिजन को सौंप दी। मृतक के भाई शशिकांत ने बताया कि वह रजनीकांत के कमरे पर उसका सामान लेने पहुंचा, तो उसके एक सुसाइड नोट मिला। इसमें भाई ने लिखा था कि केपीयूसी के वार्डन व मकान मालिक उसे परेशान कर रहे थे। कमरा कब मिलेगा जानने के लिए वह केपीयूसी पहुंचा तो हॉस्टल सुपरिंटेंडेट हौसिला प्रसाद सिंह ने उसे डपट दिया और गाली देते हुए कहा कि तुम कहीं जाकर मर आओ। उसने लिखा कि इसी से क्षुब्ध होकर सुसाइड का फैसला लिया है।

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कोई ऐसा कदम दुबारा न उठाये

भाई की मौत से दु:खी शशिकांत का कहना था कि आगे कोई छात्र ऐसी गलती न दोहराए, इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन को चाहिए कि वह दोषी कर्मचारियों को बर्खास्त करे। पुलिस ने इस मामले में भाई की तहरीर पर दो नामजद लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी है।

मृतक के भाई ने केपीयूसी के वार्डन हौसला प्रसाद सिंह व मकान मालिक पप्पू पटेल के खिलाफ तहरीर दी है। दोनों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। जांच की जा रही है। लाश को परिजन लेकर घर चले गए है।

-निशिकांत राय,

इंस्पेक्टर जार्ज टाउन

डीएसडब्लू ऑफिस से मेरिट लिस्ट ही नहीं आयी थी तो कमरा कैसे एलॉट कर देता। मृतक का भाई इस हॉस्टल में रह चुका है, इसलिए वह भी कमरे के बारे में पूछने बराबर आता था। मैने इस तरह का कुछ भी नहीं बोला जिससे वह कोई आत्मघाती कदम उठाये।

हौसिला सिंह

सुपरिंटेंडेट, केपीयूसी हॉस्टल

Posted By: Inextlive