जेईई के नए पैटर्न की वजह से छात्र नाराज हैं। उन्हें उसका पुराना पैटर्न ही ज्यादा सही लगता है जानें क्यों...

परसेंटाइल काउंट के नए तरीके से छात्र नाराज

पुराने पैटर्न को स्टूडेंट्स ने बताया सही तरीका

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PRAYAGRAJ: जेईई मेन का रिजल्ट सोमवार की देर रात जारी हो गया. नेशनल टेस्ट एजेंसी की ओर से आयोजित किए गए जेईई मेन में इस बार के रिजल्ट और उसके आधार पर बनी मेरिट ने छात्रों को परेशानी में डाल दिया है. पुराने और नए पैटर्न से परसेंटाइल काउंट करने का डिफरेंस यह हुआ कि पुराने पैटर्न पर 10000 रैंक सिक्योर करने वाला छात्र नए पैटर्न में 30000वीं रैंक पर पहुंच गया है. नए परसेंटाइल फॉर्मूले पर स्टूडेंट्स ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि पूरा पैटर्न बेहतर था. उनका कहना है कि नेशनल टेस्ट एजेंसी के नए तरीके से स्टूडेंट्स को बेहतर परसेंटाइल और रैंक हासिल करने में ज्यादा दिक्कत होगी. दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत में इस बार जेईई में शामिल हुए छात्रों का कहना है कि नए तरीके से अच्छे स्टूडेंट्स की रैंक भी काफी कम हो गई है. इसकी पूरी जिम्मेदारी परसेंटाइल व रैंक निकालने के नए तरीके पर जाती है.

क्या है नया तरीका

नेशनल टेस्ट एजेंसी की ओर से जनवरी और अप्रैल में दो बार जेईई मेन का आयोजन किया गया.

स्टूडेंट्स को दोनों ही परीक्षाओं में शामिल होने के लिए कहा गया था.

दोनों परीक्षाओं में बेहतर रैंक और परसेंटाइल के आधार पर स्टूडेंट्स को कालेज एलॉट किया जाना है.

जिस परीक्षा में स्टूडेंट्स का परफार्मेस बेहतर होगा, उसकी परसेंटाइल और रैंक को एडमिशन के समय काउंट किया जाएगा.

उदाहरण से समझें

किसी सेशन में किसी छात्र ने 80 नम्बर हासिल किये तो उसके सेशन में स्टूडेंट्स का परसेंटाइल 100 होगा.

दूसरे सेशन में अगर कोई 99 नम्बर पाता है, तो उसका परसेंटाइल 100 होगा.

इस प्रकार अलग-अलग सेशन में परसेंटाइल और रैंक का तरीका डिफरेंट होगा.

इससे एवरेज और मेडोरियस स्टूडेंट्स के बीच का फर्क सिर्फ सेशन के आधार पर बदल जाएगा.

पुराने नियम के अनुसार एक साथ सभी स्टूडेंट्स एग्जाम में शामिल होते थे.

रिजल्ट के दौरान एक बराबर आधार पर स्टूडेंट्स का परसेंटाइल व रैंक काउंट किया जाता था.

पहले एक पेपर होता था. रैंक जनरल बनती थी. इस बार दो बार जेईई मेन हुआ. सभी सेशन में अलग-अलग पेपर हुए. ऐसे में रैंक और परसेंटाइल में बड़ा अंतर देखने को मिला. ऐसे में पहले के नियम ही अधिक बेहतर थे.

मो. सूफियान अंसारी

पहले का नियम स्टूडेंट्स के लिहाज से बेहतर था. पहले नियम के अनुसार अच्छे और कमजोर स्टूडेंट्स के बीच का अंतर देखने को मिलता था. लेकिन नए नियम में सेशन के आधार पर डिसाइड होने वाले परसेंटाइल से कोई अंतर ही नहीं रह गया. इस बार परीक्षा में मेरे 183 मा‌र्क्स है, जिसके बार मेरी 30,000 रैंक आयी है. पुराने नियम के अनुसार इतने ही मॉ‌र्क्स पर स्टूडेंट्स की रैंक 10,000 तक ही होती थी.

शिखर श्रीवास्तव

सीबीएसई की ओर से आयोजित होने वाले जेईई मेन के नियम अभी की तुलना में बेहतर थे. दो बार एग्जाम कराने को लेकर जो स्टूडेंट्स की उम्मीद थी. वह नए नियम ने खत्म कर दी. दो बार एग्जाम की वजह से कट ऑफ बढ़ गया. स्टूडेंट्स को बेहतर कालेज में एलांट होने में नुकसान होगा.

प्रकाश प्रिथू सिंह

Posted By: Vijay Pandey