-ध्वस्त हो जाएगा पीयू का 64 वर्ष पुराना सेंट्रल डिस्पेंसरी, सरकार और सीनेट के फैसले से आक्रोश

PATNA: पटना यूनिवर्सिटी के सेंट्रल डिस्पेंसरी का ध्वस्त होना तय है। इस निर्णय में परिवर्तन होने का अब कोई प्रश्न नहीं है। जबकि स्टूडेंट्स के द्वारा इस निर्णय का काफी विरोध किया जा रहा है। राज्य सरकार का निर्णय यह दर्शाता है कि स्टूडेंट्स की चिकित्सा से कहीं अधिक बड़ा विषय गाडि़यों की पार्किंग का है। उधर, पटना यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की मांग है कि इसके ध्वस्त होने से स्टूडेंट्स को जो डेडिकेटेड चिकित्सा सुविधा मिल रही है, वे भविष्य में इससे वंचित हो जाएंगे। इस डिस्पेंसरी पर पीयू के 20 हजार से अधिक स्टूडेंट्स के चिकित्सा सुविधा मिलती है। हर दिन यहां सैंकड़ों स्टूडेंट्स इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं।

फैसले पर उठ रहे सवाल

सेंट्रल डिस्पेंसरी को तोड़ने के फैसले को लेकर यह सवाल उठने लगा है कि स्वास्थ्य से अधिक पार्किंग को अधिक महत्व क्यों दिया जा रहा है। इस बारे में पटना मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि राज्य सरकार ने पटना मेडिकल कॉलेज को दुनिया का बड़ा हॉस्पिटल बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें 5000 बेड की क्षमता होगी। यहां चिकित्सा सुविधा के साथ ही पार्किंग की भी समुचित व्यवस्था करनी होगी। वर्तमान में इस मेडिकल कॉलेज में पार्किंग की भारी समस्या है।

30 परसेंट हिस्सा मिलेगा पीयू को

पीयू प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार डिस्पेंसरी की जमीन कुछ शर्तो के साथ दी गई है। इन सभी शर्तो को सरकार ने स्वीकार भी किया है। इसके तहत यहां बनने वाले मल्टी लेवल पार्किंग में 30 परसेंट हिस्सा पीयू को पार्किंग के लिए दिया जाएगा।

स्किन डिपार्टमेंट में होगी व्यवस्था

जब डिस्पेंसरी ही नहीं रहेगा तो छात्र इलाज के लिए कहां जाएंगे। इस सवाल का जबाव देते हुए पीयू वीसी डॉ रास बिहारी प्रसाद ने कहा कि सरकार से इस बारे में विस्तार से बात हुई थी। इसमें यह तय किया गया कि पीयू के छात्रों की मेडिकल सुविधा पटना मेडिकल कॉलेज के स्किन डिपार्टमेंट में दी जाएगी। इसके अलावा इस डिपार्टमेंट को बेहतर करने के लिए 80 लाख रुपए का ग्रांट भी स्वीकृत किया गया है। इसके साथ ही योग विद्या की पढ़ाई की सुविधा भी पहले की तरह मिलती रहेगी।

सरकार के सामने झुका पीयू

डीजे आई नेक्स्ट ने पीयू वीसी डॉ रास बिहारी प्रसाद सिंह से बात की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का पत्र मिला था कि डिस्पेंसरी की जमीन ट्रांसफर करें, नहीं तो अधिग्रहण किया जाएगा। सिंडिकेट की बैठक में डिस्पेंसरी की जमीन को हस्तांतरित करने का फैसला लिया गया।

पांच रुपए में सालभर इलाज

वर्तमान समय में मामूली मेडिकल सुविधा से भी प्राय: कई यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स वंचित ही रहते हैं। जबकि पटना यूनिवर्सिटी के इस सेंट्रल डिस्पेंसरी में प्रति स्टूडेंट्स मात्र पांच रुपए की राशि से साल भर इलाज किया जाता है। यहां सामान्य चिकित्सा के साथ-साथ योग विद्या की पढ़ाई होती है। यहां शिक्षकों और स्टाफ को भी मेडिकल सुविधा दी जाती है।

योगा थेरेपी से भी इलाज

इस डिस्पेंसरी की कई खासियत है। इसमें एक खास बात यह भी है कि यहां एलोपैथी व्यवस्था से इलाज के साथ ही योग विद्या की पढ़ाई भी होती है। साथ ही योगा थेरेपी से इलाज भी किया जाता है। यहां के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ बीएन मिश्रा ने कहा कि ऐसी चिकित्सा व्यवस्था वर्तमान में कई अस्पतालों में भी नहीं है। 64 वर्ष पुराने इस बिल्डिंग का शुभारंभ बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह के कर-कमलों से हुआ था।

यह स्टूडेंट्स के हित की हकमारी है। हमलोग इसका विरोध करते हैं। सरकार को यह फैसला वापस लेना होगा। अब चिकित्सा सुविधा में कोताही होगी।

-अंशुमन, पूर्व उपाध्यक्ष पूसू

सेंट्रल डिस्पेंसरी जितनी जगह में बनी है और जो सुविधा मिल रही है, उतनी ही सुविधा ाविष्य में ाी मिलती रहेगी। स्टूडेंट्स को परेशानी नहीं होगी।

-डॉ रास बिहारी प्रसाद सिंह, वीसी पटना यूनिवर्सिटी

Posted By: Inextlive