ईश्वर शरण पीजी कॉलेज के छात्रों ने आधा दर्जन से अधिक पुरास्थलों का किया शैक्षणिक भ्रमण

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PRAYAGRAJ: ईश्वर शरण पीजी कॉलेज के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा परास्नातक और स्नातक के विद्यार्थियों को कोरांव तहसील के अंतर्गत बेलन घाटी स्थित आधा दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण प्रागैतिहासिक (प्री हिस्टोरिकल) पुरास्थलों का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया. गौरतलब है कि भारतीय प्रागैतिहास में बेलन घाटी का स्थान बेहद महत्वपूर्ण है. यहां चार से पांच दशक पूर्व इविवि के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रो. जीआर शर्मा व उनकी सहयोगी टीम द्वारा पुरातात्विक सर्वेक्षण, उत्खनन तथा भूतात्विक अन्वेषण कार्य कराया गया था. इस दौरान विद्यार्थियों को बेलन घाटी के इतिहास व महत्व को समझाया. साथ ही प्रागैतिहासिक पुरास्थलों के सर्वेक्षण एवं उत्खनन की बारीकियों से अवगत कराते हुए प्रशिक्षण भी दिया था.

ये रहीं खास बातें

-छात्र-छात्राओं को हनुमानगंज की 150 मीटर से अधिक ऊंची कोस्कन गाढ़ा की पहाडि़यों पर उच्च पूर्वपाषाण तथा मध्यपाषाण कालीन प्रागैतिहास शैलचित्रों का दर्शन कराया गया.

-शिलाश्रयों की दीवारों व छतों पर पशुओं, वनस्पतियों के साथ मानवीय क्रियाकलापों का अंकन मौजूद है.

-पुरास्थल डैया का भ्रमण कराया गया. जहां 18 मीटर ऊंचे अनुभाग से प्रस्तरयुगीन संस्कृति के निम्न पूर्वपाषाण काल से लेकर नवपाषाण काल तक का क्रमिक विकास दिखता है.

-पुरास्थल चोपनी मांडो पर उसके तीन सांस्कृतिक उपकालों के विषय में जानकारी दी गई.

-विद्यार्थियों ने नवपाषाण कालीन पुरास्थलों कोल्डिहवा तथा महगढ़ा के भी दर्शन किए.

-ज्ञातव्य है कि कोल्डिहवा से ही चावल (धान) की खेती (धान की किस्म (ओरईजा सतिवा इंडिका के प्राचीनतम प्रमाण (लगभग 7000 ई.पू.) मिले हैं.

-इन दोनों पुरास्थलों को विश्व के प्राचीनतम गांव होने का भी गौरव प्राप्त है.

-विद्यार्थियों के दल को कोटिया, मोरहना पहाड़, बटाऊबीर आदि स्थलों का भी भ्रमण कराया गया.

-विद्यार्थियों ने सभी पुरास्थलों पर जीपीएस प्रणाली का प्रयोग किया.

-बेलन घाटी के लोहंदा नाले के तृतीय ग्रेवल के उच्च पूर्वपाषाण काल से हड्डी की बनी हुई मातृदेवी की एक मूर्ति प्राप्त हुई थी.

-इसे पूरे विश्व में कला की प्रथम अभिव्यक्ति के रूप में माना जाता है.

वर्जन

इस शैक्षणिक भ्रमण में विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रागिनी राय, कृष्णा सिंह तथा डॉ अश्वनी राय ने भी छात्र-छात्राओं को बेलन घाटी के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की.

डॉ. जमील अहमद, पुराविद

Posted By: Vijay Pandey