- ऑनलाइन की राह पर चली यूनिवर्सिटी में वाई-फाई न होने पर उठे सवाल

- ऑब्जेक्टिव सिस्टम पर भी स्टूडेंट्स को आपत्ति

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने यूजी में ऑफ लाइन का इंट्रेंस का विकल्प दे दिया, फिर भी विवादों का सिलसिला थमा नहीं। स्टूडेंट्स न सिर्फ ऑब्जेक्टिव सिस्टम पर भी सवाल उठा रहे हैं, बल्कि यूनिवर्सिटी पर तंज भी कस रहे हैं। ऑनलाइन की राह पर चली यूनिवर्सिटी का कैंपस वाई-वाई न हो पाना भी इस मुद्दे में शामिल हो गया है। स्टूडेंट्स का कहना है कि कैंपस वाई-फाई नहीं और दे रहे हैं ऑनलाइन इंट्रेंस की व्यवस्था।

टेक्निकल इश्यूज पर मंथन

नेक्स्ट सेशन से यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन इंट्रेंस के टेक्निकल इश्यूज पर मंथन का दौर जारी है। ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन का विकल्प मांगने वाले स्टूडेंट्स का कहना है कि कैम्पस को अभी तक वाई फाई नहीं किया जा सका। जबकि पीएम नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत यह काम जरूरी है। ऐसे में प्रवेश परीक्षाओं में एक लाख के आसपास आवेदन करने वाले स्टूडेंट्स की परीक्षा ऑनलाइन कैसे होगी।

टीचर्स भी बच्चों के साथ

टीचर्स के एक बड़े तबके का भी मानना है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने बड़ा चेंज किया है। इसका पूरा प्लान प्लान एकेडमिक काउंसिल और एक्जक्यूटिव काउंसिल के सामने रखा जाना चाहिए। यह तो काउंसिल की स्वायत्ता पर नकेल कसने जैसा है। कुछ शिक्षकों का यह भी मानना है कि पीजी और क्रेट जैसी बड़ी प्रवेश परीक्षा में रिटेन एग्जाम को खत्म करके ऑब्जेक्टिव करना भी गलत है। इससे मेधा का सही आंकलन नहीं हो पाएगा।

डिसीजन को तोला, बेबाकी से बोला

- किसी भी बड़े इश्यू पर एकेडमिक काउंसिल एंड एक्जक्यूटिव काउंसिल में डिस्कशन जरूरी है। ग्रामीण परिवेश के स्टूडेंट्स के लिए सभी परीक्षाओं में ऑफलाइन एग्जाम की मांग जायज है।

प्रोफेसर ए सत्य नारायण, डीन आर्ट्स एंड मेम्बर एकेडमिक काउंसिल

जहां प्रवेश परीक्षाओं में एक लाख परीक्षार्थियों की संख्या हो, वहां सभी के लिए एकाएक कम्प्यूटर की व्यवस्था कैसे होगी। इसके लिए एडमिनिस्ट्रेटिव एवं मैनेजमेंट लेवल पर तैयारी के लिए खूब मेहनत करनी होगी।

प्रो। सीके द्विवेदी, एक्स। डायरेक्टर पीजीएटी एंड मेम्बर एकेडमिक काउंसिल

काउंसिल को अवायड नहीं किया जा सकता। यही यूनिवर्सिटी में कोई डिसीजन लेती है। यहां की परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षार्थियों को परीक्षा का दोनो विकल्प दिया जाना जरूरी है।

प्रो। आरएस यादव, मेम्बर एक्जक्यूटिव काउंसिल

मेरे ख्याल से दोनों ही आप्शन मिलने चाहिए। शुरुआत में इसे अपनाकर आगे धीरे धीरे केवल ऑनलाइन की ओर बढ़ा जा सकता है। इससे यूनिवर्सिटी और छात्र दोनो को सहुलियत होगी।

डॉ। सुनील कांत मिश्र, प्रेसिडेंट इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ

मेरे विचार से यूजी के बाद की प्रवेश परीक्षाओं में कम्प्यूटर बेस्ड एग्जाम से दिक्कत नहीं होनी चाहिए। फिर भी अगर विरोध हो रहा है तो डिस्कशन के लिए काउंसिल की बैठक एक सशक्त मंच है।

प्रो। रामकृपाल, प्रेसिडेंट इलाहाबाद यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन

डिजिटलाइजेशन समय की डिमांड है। इसे बढ़ाने में शहरी छात्रों की मुख्य भूमिका होती है। हमें इसे अपनाना होगा। वरना दूसरों की तुलना में हम पिछड़ जाएंगे। डिसीजन हो चुका है तो तैयारी पर फोकस करना चाहिए।

डॉ। एम। मैसी, प्रिंसिपल ईसीसी एंड मेम्बर एकेडमिक काउंसिल

ऑनलाइन सिस्टम से सभी तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी। इससे नकल की भी संभावनाएं खत्म होगी। यह उच्च शिक्षा के लिए जरूरी कदम है।

जेपी गर्ग, डायरेक्टर एसएससी सेंट्रल रीजन

परिवर्तन समय का नियम है। ऑनलाइन एग्जाम का कान्सेप्ट आज नहीं तो कल अपनाना ही है। लेकिन पहली दफा शुरूआत में चैलेंजेस भी कम नहीं होंगे। इसके लिए तैयारियों में छोटी सी चूक भी भारी साबित होगी।

एसके सिंह, सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन

Posted By: Inextlive