PATNA : सुपर 30 के एक्सपोज होने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास प्रतिदिन सोशल मीडिया पर पब्लिक के कमेंट आ रहे हैं। हर कोई आंनद की चुप्पी पर सवाल खड़ा करते हुए उनसे सुपर 30 के इस साल के आईआईटी क्रैक करने वाले स्टूडेंटस की जानकारी मांग रहा है। लोगों का आरोप है कि आनंद कुमार की चुप्पी उनके सुपर खेल को उजागर करती है। लोगों का कहना है कि आम पब्लिक तब तक उनसे सवाल करेगी जब तक उन्हें आनंद कुमार से जवाब नहीं मिल जाता है।

सुनिए सुपर 30 की कहानी

उत्तराखंड के उज्जवल कुमार का कहना है कि मैं भी सुपर 30 से धाख्ेा खाया हूं। एक रिलेटिव के लिए गया था। सुना था कि सुपर 30 में सिर्फ 30 बच्चों को सेलेक्ट कर फ्री में तैयारी कराई जाती है लेकिन सच जानकर हैरान हो गया। सुपर 30 के नाम पर बड़ा कारोबार चलता है जो अन्य कोचिंग वालों की तरह ही स्टूडेंटस को लूटने वाला है। मेरे रिलेटिव के लिए बोला गया कि रामानुजम में

एडमिशन लेने के बाद उसमें से सुपर 30 का चयन होगा।

यह सब बड़ा फर्जीवाड़ा है और इस पर अंकुश नहीं लगा तो हर साल पूरे देश से स्टूडेंटस को ऐसे ही फंसा कर उनसे पैसा वसूली का काम किया जाएगा। आनंद कुमार अगर सही होते और उनकी संस्था में पारदर्शिता होती तो वह सामने आते और 30 में आईआईटी क्रैक करने वाले 26 स्टूडेंटस का नाम बताते। आनंद कुमार से पूरा देश आज सवाल कर रहा है लेकिन मै दो साल पूर्व जब वहां गया था तब सवाल किया था। सुपर 30 में कितने स्टूडेंटस कहां से सेलेक्ट हुए इसकी जानकारी मुझे भी नहीं मिल पाई थी।

आनंद कुमार का बड़ा नाम है और वह इसी नाम के सहारे बच्चों को अपने जाल में फंसाते हैं। हर बच्चे का सपना इंजीनियर बनने का होता है और इस सपने का फायदा उठाता है आनंद कुमार का सुपर 30. बच्चे इस चक्कर में यहां तक पहुंचते हैं और फिर उनका एडमिशन रामानुजम में हो जाता है और धीरे धीरे सपना टूट जाता है।

रमेश कुमार

 

सुपर 30 के नाम पर लाखों स्टूडेंट्स का कैरियर आनंद कुमार ने बर्बाद कर दिया है। आनंद कुमार सुपर 30 का ख्वाब दिखाकर बच्चों का सपना लूटने का काम कर रहे हैं। इस पर सरकार को अंकुश लगाना चाहिए। आनंद कुमार इंटरनेशनल लेबल पर लोगों को मूर्ख बना रहे हैं। सुपर 30 नहीं सुपर धोखेबाज है संस्था।

शंकर झा

सुपर 30 का सच उजागर हुआ है। स्टूडेंट्स के साथ ऐसा छल नहीं होना चाहिए। यहां तो सपना दिखाकर उसे तोड़ने का काम किया जाता है। पारदर्शिता होती तो ऐसा मामला सामने नहीं आता क्योंकि तब कोई विवाद ही नहीं होता।

मनोज ठाकुर

 

मैं वहां का स्टूडेंट रहा हूं। जब भी कोई विदेशी गु्रप सुपर 30 देखने आता था रामानुजम के पास चल रहे हॉस्टल के स्टूडेंट्स को दिखाया जाता था। बच्चों को जबरन अपने घर सुपर 30 का बच्चा बनकर आने को कहते थे।

राकेश

 

ऐसे शिक्षकों का चेहरा बेनकाब होना चाहिए जो किसी खास स्टूडेंटस को ध्यान देकर पास कराने का दावा करके हजारों स्टूडेंटस को धोखा देते हैं। कन्हैया कुमार

 

सुपर 30 के नाम पर हर साल सैकड़ों स्टूडेंटस का कैरियर बर्बाद हो रहा है। स्टूडेंटस को लगता है कि सुपर 30 में सेलेक्ट होना आसान है और वह इससे इंजीनियर बन जाएंगे। लेकिन इस सपने से कॅरियर खराब हो रहा है। स्टूडेंटस को सुपर 30 का सपना छोड़ पढ़ाई करना चाहिए।

अनिल

Posted By: Inextlive