इंडिया के मोस्ट फर्टाइल ब्रेन को आखिर अपना लक्ष्य मिल ही गया. ड्रीम इंस्टीट्यूट में एडमिशन मिलने के बाद देश के कोने-कोने से स्टूडेंट्स अपने पैरेंट्स के साथ आईआईटी कानपुर पहुंच रहे हैं.


ट्यूजडे को ओरिएटेंशन प्रोग्राम के रूप में स्टूडेंट्स ने कैंपस के फस्र्ट प्रोग्राम का अटेंड किया। स्टूडेंट्स ने इंस्टीट्यूट की प्रेस्टीज के साथ-साथ अपने फ्यूचर को फील किया.

Feeling proud

बेटे की सक्सेज जर्नी की शुरुआत देखकर स्टूडेंट्स के पैरेंट्स भी खुद पर प्राउड फील कर रहे थे। कोलकाता, चेन्नई, मुम्बई, केरल, राजस्थान, दिल्ली और आंध्र प्रदेश से अपने बच्चों को छोडऩे आए पैरेंट्स थोड़ा उदास जरूर थे लेकिन खुद को आईआईटियन के पैरेंट्स होने की खुशी उनके चेहरों पर साफ दिखाई दे रही थी।

No space for immature

ओरिएंटेशन प्रोग्राम की शुरुआत ओथ टेकिंग सेरेमनी से हुई। स्टूडेंट्स ने एक सक्सेसफुल, डिसिप्लिंड और हार्ड वर्किंग आईआईटीयन होने का प्रॉमिस किया। प्रोफेसर एआर हरीश ने स्टूडेंट्स को इंस्टीट्यूट के रूल्स एंड रेग्यूलेशन के बारे में एक्सप्लेन किया। प्रोफेसर एके घोष ने एकेडमिक शिड्यूल के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बिना कम्यूनिकेशन के सक्सेस पाना मुश्किल है। ये इंस्टीट्यूट, यहां के लोग और माहौल सब कुछ नया है। इसलिए अपनी प्रॉब्लम को शेयर करना बहुत जरूरी है। डिपार्टमेंट ऑफ एरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर संजय मित्तल ने कहा कि इम्मेच्योर और इररिस्पॉन्सिबल स्टूडेंट्स के लिए आईआईटी में कोई जगह नहीं है।

Adjusting with the charge

आईआईटी में एडमिशन लेने वाले सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स साउथ इंडिया से हैं। इसलिए उन्हें यहां के वेदर, लैंग्वेज, कल्चर और ट्रेडिशन में एडजेस्ट करने में थोड़ी मुश्किल हो रही है। यही रीजन था कि ओरिएंटेशन प्रोग्राम के दौरान ही केरला से आई अनीता की हेल्थ खराब हो गई और वो उन्हें प्रोग्राम मिस करना पड़ा। बीटेक करने आई अनीता ने बताया कि वो फस्र्ट टाइम यूपी आई हैं, यहां का माहौल काफी अच्छा लेकिन गर्मी बहुत है। कोचीन से आई अनुश्री को भी यहां का माहौल बेहद पसंद आया है। अनुश्री ने बताया कि कैंपस में हर तरह की फैसिलिटीज है। लेकिन, यहां के माहौल में एडजस्ट होने में थोड़ा टाइम लगेगा। यहां के माहौल में जल्द से जल्द एडजस्ट होने के लिए हैदराबाद से मटीरियल सांइस से बीटेक करने आए गौरव 16 जुलाई को ही कैंपस आ गए थे।

सबसे पहले cycle

बच्चों को किसी चीज की कमी न रह जाए इसलिए पैरेंट्स ने कैंपस में बने शॉपिंग मॉल से उनकी हर जरूरत का सामान परचेज किया। ट्यूब लाइट, हैंगर, वॉशिंग पाउडर बाल्टी, बेड जैसी डेली यूज वाली हर चीज की खूब खरीदारी हुई। लेकिन सबसे ज्यादा डिमांड साइकिल की थी। साइकिल आईआईटी स्टूडेंट्स की लाइफ का अहम पार्ट है। इको फ्रेंडली एनवॉयरेमेंट के लिए कैंपस में सिर्फ साइकिल ही अलाउ है.

हर student के साथ guide

फस्र्ट टाइम बाहर से आए स्टूडेंट्स और पैरेंट्स कैंपस को अच्छी तरह से जान सकें और फील कर सकें इसके लिए उन्हें गाइड फैसिलिटी दी गई है। बेटे अभिमन्यू को कैंपस छोडऩे आए दिल्ली के अनिल और सरिता अरोड़ा ने बताया कि आईआईटी दिल्ली में एडमिशन न मिलने से कानपुर ही बेस्ट ऑप्शन था। चार साल के लिए बेटा अलग हो रहा है तो अजीब तो लग रहा है लेकिन खुशी भी है। बेटे को हॉस्टल भी मिल गया  है।

Bench पर गुजारी रात

कैंपस में स्टे करने की फैसिलिटी न होने से कुछ पैरेंट्स को परेशानी उठानी पड़ी। चंडीगढ़ से बेटी तरुणा को कैंपस छोडऩे आए ओमप्रकाश ने बताया कि बेटी को तो हॉस्टल मिल गया लेकिन उन्हें पूरी रात बेंच पर ही गुजारी। कैंपस के आसपास कोई अच्छा होटल भी नहीं मिला। फिर भी यहां का मौहाल और बाकी फैसिलिटीज बेहतर हैं। आंध्र प्रदेश से बेटी पल्लवी को छोडऩे आए जीजे राव और सरोज को भी होटल में स्टे करना पड़ा। उज्जैन से एमटेक करने आई रेणुका के पैरेंट्स ने एक गेस्ट हाउस में स्टे किया.

850 students appeard

आईआईटी रजिस्ट्रार संजीव कशालकर ने बताया कि ओरिएंटेशन प्रोग्राम में 850 स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया। करीब 500 पैरेंट्स भी सेशन का पार्ट रहे.

Posted By: Inextlive