सोचिए कैसा हो अगर इस वीकेंड कैरिओके सेट मिल जाये इसी के साथ हेलीकॉप्टर पर उड़ान भरने को भी मिल जाए तो... आपकी ऐसी ही ख्वाहिशों को अब पूरा कर रहा है मटरफ्लाई स्टार्टअप।


features@inext.co.inKANPUR: कई नए आइडियाज और प्रोडक्ट्स के साथ लोगों की हाईटेक होती जा रही लाइफस्टाइल में उनके शौक भी बढ़ रहे हैं, लेकिन लिमिटेड अर्निंग के साथ हर कोई अपनी सभी बड़ी ख्वाहिशों को पूरा नहीं कर सकता। ऐसे लोगों की मदद करने के साथ मुंबई के अक्षय भाटिया लेकर आए हैं अपना स्टार्टअप मटरफ्लाई के नाम से। इसके तहत वह लोगों को उनकी इच्छा के अनुसार महंगी से महंगी चीजें भी रेंट पर प्रोवाइड कराते हैं। किराए पर अपने मन की चीज को लेकर उन्हें इस्तेमाल करने के बाद ये लोग उसको मटरफ्लाई को वापस कर देते हैं। यहां से हुई थी रियल शुरुआत


27 वर्षीय अक्षय ने अपना करियर एक बैंकर के रूप में शुरू किया था। इस जॉब पर काम करने के दौरान उन्हें खुद का स्टार्टअप शुरू करने का आइडिया आया, तो 2015 में उन्होंने खाना शेयर करने के प्लेटफॉर्म के रूप में एक ऐप की शुरुआत की। ये ऐप खाने के शौकीनों को होम शेफ से जोड़ता था। कुछ महीनों में ही उन्हें समझ आ गया कि सप्लाई की समस्या के कारण ये काम ज्यादा नहीं चल पायेगा। अपने पहले स्टार्टअप की कमियों से उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि दूसरा आइडिया ढूंढ निकाला जो पहले से ज्यादा इनोवेटिव था और लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाला था। यहां से मिला आइडियाअपने स्टार्टअप की रिसर्च के दौरान अक्षय ने पाया कि लोगों के घरों में करीब 30,000 रुपए तक के आसपास का सामान बिना किसी काम के स्टोर में पड़ा रहता है। ये वो सामान होता है जो कभी लोग अपना शौक पूरा करने के इरादे से खरीद तो लेते हैं, लेकिन फिर उसमें इंट्रेस्ट न पाकर उसको स्टोर रूम में रख देते हैं। अक्षय का ये स्टार्टअप इन लोगों के बहुत काम आया। ऐसे बढ़ाई टीमएक प्रॉपर आइडिया के साथ अक्षय ने मटरफ्लाई की शुरुआत जनवरी 2017 में की। उस वक्त इनके पास एक बेहद छोटी टीम थी, जिसमें केवल तीन लोग थे। इनमें एक एंड्रॉयड डेवलपर और एक सीटीओ शामिल था। वहीं 2019 तक बढ़ते-बढ़ते इस स्टार्टअप में एक लॉजिस्टिक टीम को मिलाकर 15 एमप्लॉयज हैं।ऐसे बनते हैं ये औरों से डिफरेंटहमारे आसपास कई लोग मिलेंगे जो जरूरत पडऩे पर हमें मेडिकल से लेकर कई और चीजों को भी किराए पर उपलब्ध कराते हैं, लेकिन मटरफ्लाई इनसे अलग है। यहां

पांच सेग्मेंट्स में लोगों को सामान प्रोवाइड कराया जाता है। ये हैं घरेलू सामान, फोटोग्राफी (कैमरा, लेंस, ड्रोन आदि), गेमिंग, हाउस पार्टी का सामान (स्पीकर, मशीनें, एलईडी टीवी, कैरीओके सेट), इलेक्ट्रॉनिक्स (लैपटॉप, फ़ोन, प्रोजेक्टर), लग्जरी प्रीमियम रेंटल्स (याच, विंटेज कारें, हेलीकॉप्टर) और बाहर ले जाने का सामान (जूते, वॉकिंग स्टिक, लाईट, टेंट, ट्रेकिंग बैगपैक)। ये थे चैलेंजेसइस स्टार्टअप को लेकर सबसे पहला चैलेंज था लोगों को रेंटल वेबसाइट्स का इस्तेमाल करने के लिए मनाना। इसके बाद उन्हें क्वालिटी का भी ध्यान रखना था। 72000 हैं यूजर्स मटरफ्लाई को आज लगभग 72,000 लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। हर महीने 3,500 लोग इससे सुविधाएं लेते हैं। हर महीने इस संख्या में 20 प्रतिशत का इजाफा हो रहा है और 55 प्रतिशत लोग इसे बार-बार इस्तेमाल करते हैं। Success Story:'चिंपल्स' का ड्रीम प्रोजेक्ट बना बच्चों का टैब स्कूल, इस तरह होती है पढ़ाईSuccess Story: 'क्योरवेदा' के पास हेल्थ का नेचुरल सीक्रेटऐसे पहुंचाया अंतर

अक्षय बताते हैं कि लोगों के ऐसी चीजों के खरीदने और रेंट पर लेने की कीमत में बहुत बड़ा अंतर होता है। एक कॉन्सोल की कीमत 30,000-40,000 रुपए के बीच होती है, जबकि रेंट पर ये 800 से 1,500 में ही लिया जा सकता है। यहां मिलेगा ये ऐप अक्षय का ये मटरफ्लाई ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। इनसे सामान लेने के लिए कस्टमर को एक रेंट एग्रीमेंट बनवाना होता है और वोटर आई कार्ड, पैन व आधार कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट देने होते हैं। इसके अलावा 6,500 से 10,000 तक की सिक्योरिटी डिपोजिट जमा होती है।

Posted By: Vandana Sharma