काल्विन हॉस्पिटल का इनीशिएटिव, स्कूल-कालेज में सुसाइड प्रिवेंशन सेल गठित करने की पहल

PRAYAGRAJ: छात्रों में बढ़ रही सुसाइड की घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाने के लिए काल्विन हॉस्पिटल ने स्कूल-कॉलेज में सुसाइड प्रिवेंशन सेल गठित करने की पहल की है. सुझाव दिया गया है कि टीचर और स्टाफ का एक सेल गठित किया जाय जो स्टूडेंट्स की जरूरत के अनुसार काउंसिलिंग करे.

काल्विन हॉस्पिलटल करेगा हेल्प

कॉलेज या स्कूल में गठित होने वाले सुसाइड प्रिवेंशन सेल को हर संभव मदद मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत काल्विन हॉस्पिटल की तरफ से मुहैया करायी जायेगी. मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान, नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. इशान्या राज और मनोसामाजिक कार्यकर्ता जयशंकर पटेल इस इनीशिएटिव का हिस्सा बनेंगे और स्कूल-कॉलेज में जाकर गाइड करेंगे.

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यह होगा सेल का काम

ऐसे छात्रों पर नजर रखेंगे जिसके विहैबियर में अचानक चेंज आ रहा हो

ऐसे स्टूडेंट्स पर नजर रखेगा जिनके मा‌र्क्स अचानक बहुत लो हो गए हों

संस्थानों में कोई ऐसा कारण है जो छात्रों को सुसाइड के लिए प्रेरित करे, को ट्रेस करेगा

हेल्पलाइन तैयार

डिप्रेशन से गुजर रहा कोई भी छात्र सुसाइड प्रिवेंशन हेल्प लाइन नंबर 7705979478 या ईमेल आईडी dmhpallahabad@gmail.com पर संपर्क कर सकता है.

काल्विन हॉस्पिटल के कक्ष संख्या 207 और 13 में सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को पर्सनल काउंसिलिंग.

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इन घटनाओं ने किया सोचने पर मजबूर

1.

एमएनएनआईटी में बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र अनिल सिंह ने इसी महीने संदिग्ध हालात में हॉस्टल के वॉशरूम में फांसी लगाकर जान दे दी.

2.

28 अगस्त 2017 को ट्रिपल आईटी के पूर्व प्रोजेक्ट स्टाफ परमात्मा यादव ने अपने कमरे में आत्महत्या कर ली थी.

3.

05 अप्रैल 2018 को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एएन झा छात्रावास के अन्त:वासी एसएस पॉल ने हॉस्टल के कमरे में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगाकर जान दे दी. वह गोल्ड मेडलिस्ट था.

4.

जनवरी 2019 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रजनीकांत यादव ने अपने कमरे में आत्महत्या कर ली. सुसाइड नोट के मुताबिक उसने मौत की वजह हास्ॅटल न मिल पाना बताया.

कॉलेजों में होने वाली सुसाइड की घटनाओं को सीरियसली लेने का वक्त आ गया है. हॉस्पिटल की मेंटल हेल्थ प्रोग्राम टीम को कॉलेजेस में सुसाइड प्रिवेंशन सेल बनाने और इसको संचालित करवाने के आदेश दिए गए हैं. इससे छात्रों को गलत रास्ते पर जाने से बचाया जा सकेगा.

-डॉ. वीके सिंह,

एसआईसी, काल्विन हॉस्पिटल

जिन शिक्षण संस्थानों में सुसाइड के मामले अधिक हैं वहां टीम पहले सम्पर्क कर रही है. बाकी संस्थानों को भी सेल के गठन में सहायता करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. हमारी ओर से काउंसिलिंग प्रदान की जाएगी.

-डॉ. राकेश पासवान,

मनोचिकित्सक व प्रभारी, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम

Posted By: Vijay Pandey