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PATNA : विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) डिपार्टमेंट में कर्मचारियों का भारी टोटा है। ऐसे में विभाग क्या किसी मामले में फॉरेंसिंक जांच करेगा बल्कि खुद एफएसएल की ही फॉरेसिंक जांच होनी चाहिए। स्थिति ये है कि पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में कुल 374 पद स्वीकृत हैं। इसमें महज 96 पदों पर ही कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है। वहीं, 278 पद खाली हैं। हैरत की बात ये है कि तीनों सेंटर में निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद ही खाली है। यहां पर सहायक निदेशक को ही निदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। कर्मचारियों की कमी के कारण पटना के एफएसएल डिपार्टमेंट में 2200 से ज्यादा मौत का राज फाइलों में दफन है। इसमें सबसे ज्यादा विसरा के करीब 1400 और डीएनए के लगभग 35 मामले लंबित हैं।

काम के बोझ से दबा भागलपुर सेंटर

पटना मुख्यालय में लोड कम करने और समय पर केस का निराकरण के लिए भागलपुर और मुजफ्फुरपुर में भी एफएसएल सेंटर खोला गया था। मुजफ्फरपुर में जांच तो हो रही है लेकिन भागलपुर सिर्फ क्राइम सीन विजिट तक ही सीमित है। भागलपुर में कोई भी ‌र्क्लक नहीं है। इस कारण काम ठीक से नहीं हो पा रहा है। स्थिति ये है कि यहां के जांच भी पटना भेजे जा रहे हैं। इस कारण पटना मुख्यालय में लोड बढ़ गया है। क्लर्क नहीं होने से स्थापना, गोपनीय, भंडार कौन करेगा यह भी स्पष्ट नहीं है इस कारण लैब चालू नहीं हो पा रही है।

अब कौन करेगा फांसी के फंदे की जांच?

अपराध अनुसंधान विभाग विभाग द्वारा स्पष्ट आदेश है कि हिस्टो पैथॉलोजी (टिशू जांच) सिर्फ और सिर्फ पटना में होगी। हिस्टो पैथॅलोजी की जांच उन कांडों में महत्तवपूर्ण हैं जब कोई फांसी के फंदे पर लटका मिलता है या कोई आग में जला हुआ है। इन दोनों मामले में हिस्टो पैथॉलोजी के वैज्ञानिक जांच करते हैं कि संबंधित की मृत्यु फांसी से हुई है या हत्या कर फांसी पर लटका दिया गया है। पटना एफएसएल में इसके सिर्फ दो विशेषज्ञ हैं। इन दोनों की पदास्थपना भागलपुर में कर दिया गया है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि पटना मुख्यालय होने के बाद यहां पर अब जांच कौन करेगा?

क्यों महत्वपूर्ण है एफएसएल

पहले पुलिस जांच के लिए गवाह और मौके से सबूत जुटाती थी और कोर्ट में उसे साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करती है लेकिन केस को वैज्ञानिक तरीके से जस्टिफाई करने के लिए एफएसएल डिपार्टमेंट खोला गया। इसमें टीम सीन ऑफ क्राइम देखती और हर पहलुओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से साबित करने की कोशिश करती है। इसमें किसी बेकसूर की फंसने के बहुत कम चांस रहते हैं और आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत भी रहता। इस कारण एफएसएल डिपार्टमेंट का महत्व अभी काफी बढ़ गया है।

वायस सैंपल की जांच पड़ सकती है खटाई में

वायस की जांच भी पटना में होती है। पटना में फोन पर रंगदारी का बड़ा खेल चलता है। इसके साथ ही कई बार आरोपियों के कॉल रिकॉर्ड काफी महत्वपूर्ण होता है। इसकी जांच पूरे बिहार में सिर्फ पटना में होती है। इसके एक विशेषज्ञ का भी भागलपुर में पदास्थपना कर दिया गया है। ऐसे में वॉयल कॉल की जांच कैसे होगी यह एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है।

Posted By: Inextlive