Jamshedpur: इंसान के जीवन के लिए जिस तरह ऑक्सीजन की जरूरत है उसी तरह आज की सोसायटी के लिए सुफिज्म की जरूरत है. पॉलिटिक्स हमें अलग-अलग मानकर एक करने की कोशिश करता है जबकि सुफिज्म हम सभी को एक मानकर एक करने की कोशिश करता है. जरूरत है खुसरो नानक कबीर और औलिया को जानने की. ऐसा ही कहा पटना स्थित ओरिएंटल कॉलेज के अरेबिक डिपार्टमेंट के प्रो एसएस शमीमुद्दीन मुनेमी ने. वे करीम सिटी कॉलेज में ‘सुफिज्म: नीड फॉर द स्ट्रेंथनिंग ऑफ नेशनल एंड रिलीजियस यूनिटी’ टॉपिक पर ऑर्गेनाइज हुए यूजीसी स्पांसर्ड दो दिवसीय नेशनल सेमिनार के इनॉगरल सेशन में बोल रहे थे.

Youth जानें Sufism को
प्रो मुनेमी ने कहा कि सुफिज्म सभी रिलिजन को एक साथ चलने की सीख देता है। आज के भाग दौड़ वाली लाइफ और
एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में कहीं न कहीं भाईचारा पीछे छूटता जा रहा है।
ऐसे में सुफिज्म से उसे हासिल किया जा सकता है। उन्होंने यूथ से अपील करते हुए कहा कि उन्हें सुफिज्म के बारे में जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुफिज्म को जो स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। सिनेमा में सुफी संगीत के कॉमर्सियलाइजेशन पर भी वे दुखी दिखे। उनका कहना था कि इंडिया यूथ की कंट्री है और यूथ जिसे एक्सेप्ट कर ले उसकी जीत तय है। ऐसे में अगर यूथ सुफिज्म के करीब आ जाए तो निश्चित तौर पर इसके लिए अच्छा होगा। इस मौके पर कई पेपर भी पढ़े गए। सेमिनार के गेस्ट ऑफ ऑनर थे एएमयू के डॉ सनौल्लाह मीर और डॉ लतीफ हुसैन। सेमिनार के संयोजक थे डॉ अशरफ बिहारी और संचालन किया अहमद बद्र और अकील अहमद ने। वोट ऑफ थैंक्स दिया डॉ अकील अहमद ने।

दमा दम मस्त कलंदर पर झूमे ऑडियंस
केसीसी कैंपस में ऑडियंस ने सैटरडे की शाम सुफियाना म्यूजिक का जमकर लुत्फ उठाया। इस मौके पर कॉलेज की बीकॉम सेकेंड इयर की स्टूडेंट हरविंदर कौर ने दमा दम मस्त कलंदर गाया तो सोहेल ने अल्लाह हू से सबका मन मोहा। म्यूजिक टीचर चंदन ब्रह्मा ने कैसे खेल रचो मेरे दाता गाया। इस मौके पर कॉलेज के पिंसिपल डॉ मो। जकारिया के अलावा काफी संख्या में स्टूडेंट्स, फैकल्टी मेंबर्स और स्टाफ प्रेजेंट थे।

Report by: amit.choudhary@inext.co.in

Posted By: Inextlive