-ब्रिडकुल को सौंपा गया है म्यूजियम संवारने का जिम्मा

देहरादून, हिंदी साहित्य में छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों में से एक सुमित्रानंदन पंत का बागेश्वर जिले के कौसानी स्थित राजकीय म्यूजियम का अब जीर्णोद्वार होगा। राज्य सरकार ने इसके लिए ब्रिडकुल को निर्माण कार्य का जिम्मा सौंपा है। इसके लिए टेंडर भी जारी हो चुके हैं। करीब 60 लाख रुपए की लागत से सुमित्रानंदन पंत का यह म्यूजियम अब नए लुक में नजर आएगा।

कौसानी में जन्मे थे पंत

छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म बागेश्वर जिले के कौसानी में 20 मई, 1900 को हुआ था। चंद घंटे बाद उनकी मां का निधन हो जाने के कारण उनका लालन-पालन उनकी दादी ने किया और उनका नाम गोसाई दत्त रखा। कौसानी के ही सरकारी स्कूल में उन्होंने 1905 में प्राइमरी कक्षा में प्रवेश लिया। इसके बाद वे 1910 में शिक्षा प्राप्त करने के लिए अल्मोड़ा के सरकारी स्कूल में चले गए। जहां उन्होंने अपना नाम सुमित्रानंदन पंत रख दिया। 1918 में वे अपने भाई के साथ काशी चले गए। उसके बाद वे इलाहाबाद चले गए। 1921 में असहयोग आंदोलन में कूदने के उपरांत उन्होंने महाविद्यालय की पढ़ाई छोड़ दी और घर पर ही हिंदी, संस्कृत, बांग्ला व अंग्रेजी भाषा साहित्य के अध्ययन में जुट गए।

म्यूजियम में मौजूद है लाइब्रेरी

जब वे चौथी कक्षा में पढ़ रहे थे, तब से ही कविता लेखन शुरू कर दिया। उन्हें पद्मभूषण, ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी जैसे देश के प्रमुख सम्मान से नवाजा गया। सुमित्रानंदन पंत के नाम पर कौसानी स्थित उनके पुराने घर को, जिसमें वे बचपन में रहा करते थे। सुमित्रानंदन पंत वीथिका नाम से एक म्यूजियम में परिवर्तित किया गया। जहां एक लाइब्रेरी भी है। इसके अलावा इस म्यूजियम में उनके व्यक्तिगत प्रयोग की वस्तुएं जैसे कपड़े, कविताओं की मूल पांडुलिपियां, छायाचित्र, पत्रों व पुरस्कारों को प्रदर्शित किया गया है। जहां हर साल कई शोधार्थियों के अलावा विजिटर्स देखने के लिए पहुंचा करते हैं। लेकिन कई सालों से सुमित्रानंदन पंत म्यूजियम जीर्ण-शीर्ण की हालत में है। अब इस म्यूजियम के जीर्णोद्वार का जिम्मा राज्य सरकार ने उठाया है। ब्रिडकुल अब इस म्यूजियम को 60 लाख रुपए की लागत से तैयार करेगा। ब्रिडकुल के जीएम ने बताया कि इसके लिए टेंडर भी जारी हो चुके हैं। बताया गया है कि कुछ महीनों में यह म्यूजियम पूरी तरह से अपडेट होगा।

Posted By: Inextlive