- गर्मी की छूट्टी शुरू होते ही आई समर कैंपों की बाढ़

- पंद्रह दिन में खिलाड़ी बनाने का दिया जा रहा झांसा

- कैसे एक माह में मास्टर हो सकता है आपका नौनिहाल

- समर कैंप में डांस, सिंगिंग, मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग

Meerut: एग्जाम टाइम फिनिश हो चुका है। अब टाइम है वेकेशंस में एक्स्ट्रा एक्टिीविटीज में पार्टिसिपेट करने का। डांस, सिंगिंग और मार्शल आर्ट आदि सिखाने के लिए समर कैंप आपका वेट कर रहे हैं। प्रचार माध्यमों से खुद को बेस्ट बताने की होड़ मची हुई है। ऐसे कैंपों की ओर से बाकायदा क्भ् दिनों में बच्चे को परफेक्ट बनाने की गारंटी भी दी जा रही है, लेकिन गौर करें तो सच्चाई कुछ और ही सामने आती है। क्या आपका बच्चा एक महीने में क्या किसी भी स्पर्धा में माहिर हो सकता है। सिर्फ भारी फीस वसूली के लिए शुरू हुए कैंपों का सच आपके सामने है।

एक महीने में कैसी कोचिंग

सिटी में छुट्टियों के सीजन को कैश करने के लिए हर कोई ताक में बैठा रहता है। समर कैंप के बहाने आकर्षित करने का खेल भी सालों पुराना है। लेकिन चौकाने वाली बात ये है कि पेरेंट्स इस बुने गए जाल में आसानी से फंस भी जाते हैं और अपने बच्चे की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उसका एडमिशन भी करा देते हैं। इसी जाल में लोगों को फंसा कर समर कैंप के नाम पर चांदी हो जाती है। सालों की मेहनत से सीखें जाने वाले क्रिकेट, मार्शल आटर्स, जूडो आदि को समर कैंप संचालक मात्र एक माह में सिखाने के दावे कर रहे हैं।

कितना बड़ा है बिजनेस

जहां तक इन गर्मियों की छुटिटयों में बिजनेस की बात करें, तो इसके लिए बहुत बड़ा खेल चलता है। कई प्राइवेट एकेडमी में मार्शल आर्ट, बॉक्सिंग, फुटबॉल, क्रिकेट, डांस, सिंगिंग के लिए समर कैंप आयोजित कराए जा रहे हैं। इसके लिए एक बच्चे से भ्00 से ख् हजार रुपए फीस ली जा रही है। जिससे ऐसे संस्थानों को मोटी कमाई हो रही है। इस समय सिटी में करीब एक हजार से अधिक समर कैंपों का आयोजन किया जा रहा है।

नहीं है ट्रेनर

सिटी में समर कैंप तो आयोजित किए जा रहे हैं। लेकिन चौकाने वाली बात ये है कि इन कैंपों में मैन ट्रेनर रेगूलर कोचिंग ही नहीं दे पाते हैं। समर के चलते बच्चों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे में एक मेन ट्रेनर का कोचिंग देना मुमकिन ही नहीं रहता है। जिससे फिर ट्रेनर के जूनियर ग्रुप में नौनिहालों को कोचिंग देते हैं। जिससे कोचिंग की एक्यूरेसी में काफी अंतर आ जाता है।

क्या करें पेरेंट्स

अगर आप एकेडमी ज्वाइन करने जा रहे हैं तो कुछ बातों का जरूर ख्याल रखें।

- एकेडमी में बच्चों की अधिक संख्या न हो इस बात का ख्याल करें

- सिखाने वाला ट्रेनर ही बच्चों पर ध्यान दे रहा है, इसका भी ख्याल करें

- फीस देने के बावजूद अगर बच्चे को फायदा नहीं मिल रहा तो ध्यान दें

- समर कैंप की जगह एक अच्छे प्रशिक्षक के पास भेजें तो बेहतर

- बेहतर होगा कि बच्चे को कुछ नए सिखाने और समझाने का प्रयास करे।

- गर्मी की छुट्टियों में सैर सपाटा भी बच्चे के लिए बेहतर होता है।

- बच्चों की पूरी लगन देखें, उस पर अपनी उम्मीद न थोपें।

एक्सपर्ट बोले

कोई भी क्रिकेट को एक महीने में नहीं सीख सकता है। उसके लिए उसे प्रॉपर ट्रेनिंग की जरूरत होती है। हां थोड़े बहुत शुरुआती स्किलस जरूर सीख सकते हैं।

-संजय रस्तोगी

कोच, मेरठ कॉलेज क्रिकेट एकेडमी

समर कैंप का यूज बच्चे में खेल के प्रति इंट्रेस्ट जगाने और उसे बनाए रखने के लिए तो किया जा सकता है, लेकिन एक प्रॉपर ट्रेनिंग देकर उसे कुशल नहीं किया जा सकता है। ऐसा केवल मार्शल आर्ट में ही नहीं किसी भी चीज को सीखाने में है।

-संजय हल्द्वानी, वुशू कोच

किसी को एक महीने में ट्रेंड किया ही नहीं जा सकता है। इसके लिए उसके साथ काफी मेहनत करनी पड़ती है। अगर वह बेसिक्स जानता है तो थोड़ा आसान जरूर हो जाता है।

-अशोक शर्मा

डायरेक्टर, डांस एकेडमी

बच्चों में इंटरेस्ट होता है, इसी वजह से समर कैंप आयोजित किए जाते हैं। इससे बच्चे अपने इंटरेस्ट को बूस्ट अप करके अपनी हॉबी का लुत्फ उठा सके। अब डांस सीखने वाला बच्चा क्रिकेट में जा ही नहीं सकता है।

- समीर, डायरेक्टर डांस एकेडमी

बच्चे खुद ही समर कैंप का हिस्सा बनना चाहते हैं। यही वजह है कि समर कैंप आयोजित होते आए हैं। इस कैंप में बच्चों को स्टार्टिग स्किल्स सिखाए जाते हैं।

- अमित, मार्शल आर्ट ट्रेनर

मेरा भतीजा क्रिकेट में इंटरेस्ट रखता था। छुटिटयों में उसकी जिद पर उसे एकेडमी ज्वाइन भी कराई, लेकिन एक महीने में उसे कोई फायदा नहीं मिला, लेकिन फीस पूरी ली गई।

- विपिन, कैलाशपुरी

मेरा भाई सिटी की एक बडे़ डांस इंस्टीटयूट में समर कैंप के लिए पूछने गया, जहां उसे काफी लंबी चौड़ी फीस बता दी गई। जहां तक क्00 प्रतिशत डांस सिखाने की बात थी, तो संस्थान इससे मुकर गया।

- विक्रांत, शास्त्रीनगर

कुछ ही दिनों में कोई भी ट्रेंड नहीं हो सकता है। ये बच्चों का चाव ही होता है, जिसके लिए पैरेंटस मजबूर हो जाते हैं। लेकिन फायदा कुछ नहीं निकलता है।

- रीना, सदर

Posted By: Inextlive