Summer vacation को कभी बच्चों के लिए मस्ती टाइम माना जाता था. स्कूल में exam over होने के बाद सभी बच्चों के अपने plans होते थे कि summer vacation में दादी नानी के पास जाएंगे या हिल स्टेशन. पर अब सिचुएशन अलग है. इस बार कुछ स्कूलों ने बच्चों को इतना homework दे दिया है कि इसे देखकर बच्चे तो बच्चे parents को भी पसीने आ रहे हैं.


Lucknow: शहर के एक मिशनरी स्कूल के केजी में पढऩे वाली अथर्व को मस्ती करने के लिए स्कूल की छुट्टी का इंतजार था, लेकिन उसे नहीं पता था छुट्टी की यह खुशी वो पूरी तरह इंज्वाय नहीं कर पाएगा क्योंकि जितने दिन के लिए स्कूल बंद हुआ उससे डबल उसे होमवर्क करना है. यह सिर्फ अथर्व की ही बात नहीं स्कूल से छुट्टी यानी बच्चों की मस्ती.कोई नानी दादी के घर तो कोई पेरेंट्स के साथ हिल स्टेशन पर लेकिन अब छुट्टियों का मतलब हो गया है होमवर्क. बच्चों के इस एक्सट्रा बर्डन से पेरेंट्स भी परेशान हैं. दोनों के लिए ही वेकेशंस अब टेंशन बन गए हैं. जबकि यशपाल कमेटी की रिपेार्ट कुछ और ही कहती है. शहर के कई स्कूल इस रिपोर्ट को फालो कर रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं.प्रिंसिपल ने मिलने से मना किया


सेंटफ्रंासिस स्कूल 50 दिनों के लिए समर वेकेशन के लिए बंद हो गया है. 10 तारीख को केजी के बच्चों को होमवर्क दिया जाता है. बच्चों को लिखने के लिए 291 पेजेज दिये गये. बच्चा जब घर आता है उसके पेरेंट्स उसकी नोटबुक देखते हैं तो वो भी हैरान रह जाते हैं. उनके बच्चे को 5 से 6 पेजेज रोज लिखने होंगे. अगर वो नहीं करता है तो उसका काम पूरा नहीं होगा.इसकी जानकारी पेरेंट्स ने चाइल्ड हेल्प लाइन, चाइल्ड लाइन को दी जहां से 11 मई को एक लेटर लिखकर यह संज्ञान में डाला गया कि बच्चों पर होमवर्क का इतना प्रेशर ठीक नहीं, लेकिन हेल्पलाइन के डायरेक्टर के अनुसार प्रिंसिपल ने मिलने से भी मना कर दिया. आखिर यह कैसी वेकेशन?सालभर स्कूल में क्लास वर्क और होमवर्क के बीच पढ़ते छोटे छोटे बच्चों को अब छुट्टी की खुशी से ज्यादा होमवर्क का टेंशन झेलना पड़ रहा है. बड़े बच्चे जहां छुट्टियों में पेरेंट्स से घर पर नेट लगवाने की बात कर रहे हैं तो छोटे बच्चे छुट्टी के बावजूद दिन दिन भर पढ़ाई कर रहे हैं.सीएमएस गोमती नगर ब्रांच में क्लास नाइंथ में पढऩे वाली इशिता ने बताया कि उसे इस बार वेकेशंस में अपना प्रोजेक्ट पूरा करना है जिसके लिए उसने घर पर नेट लगवाया है. यानी पढ़ाई का प्रेशर छुट्टी में भी हावी है. कई स्कूलों ने किया है चेंज

ऐसा नहीं है कि सभी स्कूल छोटे बच्चों को होमवर्क के बोझ से दबा रहे हैं. यशपाल रिपोर्ट आने के बाद कई स्कूलों ने अपने फार्मेट में काफी चेंज किये हैं. लोरेटो कांवेन्ट में बच्चों को ए टू जेड तक लेटर्स का अभ्यास के अलावा घूमने और खेलने पर जोर दिया गया है. स्टडी हाल में बच्चों को होमवर्क के नाम पर क्रियेटिव एक्टविटीज में पार्टीसिपेट करने की सलाह दी गई है.वहीं कुछ स्कूलों में सिर्फ जितना पढ़ाया गया उसे रिवाइज करने की सलाह दी गई है. हम संस्था की चेयरपर्सन डा. संगीता ने बताया कि कई स्कूल रूल्स फालो कर रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं. जिसमें सेंटफ्रांसिस की हमारे पास शिकायत पेरेंट्स के थ्रू आई है. स्कूलों को समझना होगाचाइल्ड लाइन के डायरेक्टर अंशुमाली शर्मा के अनुसार बच्चों को स्कूलों में जरुरत से ज्यादा होमवर्क दिया जा रहा है यह शिकायत पहले भी हमारे पास कई बार आई थी. लेकिन अब ज्यादातर स्कूलों ने इस पैटर्न को चेंज करके होमवर्क में काफी कमी कर दी है. अब जहां इस बात को संज्ञान में नहीं लिया जा रहा हैं हम उन्हें फिर से लेटर लिखेंगे और यशपाल कमेटी की रिपोर्ट को फालो करने की बात कहेंगे. क्या कहती है रिपोर्ट

नेशनल एडवाइजरी यशपाल कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार स्टूडेंट्स पर बर्डन कम करने के जितने भी प्वांइट उठाए गये हैं उसमें होमवर्क भी शामिल है और रिपोर्ट के अनुसार बच्चे जिस तरह से होमवर्क करते आए हैं उसमें बदलाव की जरुरत है. प्राइमरी क्लासेस में बच्चों को होमवर्क मिलना ही नहीं चाहिए और अपर प्राइमरी और सेकेंडरी क्लासेस में अगर होमवर्क दिया जाए तो नॉन टैकस्चुअल एण्ड टेक्स्टबुक के. अगर घर पर काम करना बहुत जरुरी हो तो वो रोटेशन के बेसेस पर अवलेबल हो. Reported By : Zeba Hasan

Posted By: Vivek Srivastava