सौ किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ़्तार वाली गाड़ियों के बारे में सुनते ही एक रोमांच का अनुभव आपको होता होगा. लेकिन कल्पना कीजिए उस कार के बारे में जो सोलह सौ दस किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से फर्राटा भरेगी.


आपको भले यकीन ना हो लेकिन ब्रिटिश इंजीनियरों की टीम उस कार को तैयार करने में जुटी है जो एक हजार मील (सोलह सौ दस किलोमीटर) प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ पाएगी.इसे ब्लड हाउंड सुपर सोनिक कार का नाम दिया गया है. इसे तैयार करने में यूरोफ़ाइटर- टायफून जेट इंजिन का इस्तेमाल किया गया है. उम्मीद की जा रही है कि ये सुपर सोनिक कार नार्दन कैप, दक्षिण अफ़्रीका में 2013 के अंत या फिर 2014 की शुरुआत में फर्राटा भरेगी.विंग कमांडर एंडी ग्रीन के नाम दुनिया भर में सबसे तेज गति से कार चलाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है. वे बीबीसी न्यूज़ की वेबसाइट के लिए ख़ास तौर पर ब्लडहाउंड प्रोजेक्ट के कामकाज से जुड़े अनुभव की डायरी लिख रहे हैं.रोमांच और रफ़्तार के इतिहास को बनते हुए देखना उनके लिए किस तरह का अनुभव है आप भी जानिए.सबसे तेज ड्राइवर की डायरी
सुपर सोनिक कार को तैयार करने में जुटे हैं करीब 200 विशेषज्ञइस डायरी के जरिए मैं आपको एक ब्रेकिंग न्यूज़ दे रहा हूं. हम ब्लडहाउंड सुपर सोनिक कार को अंतिम रूप दे रहे हैं. कुछ ही महीने में वो तैयार होगी और उम्मीद है कि साल के अंत तक वह फर्राटा भरने में कामयाब होगी.


करीब 200 तकनीकी विशेषज्ञ, प्रॉडक्ट स्पांसर और सप्लायरों की टीम दिन रात इसे तैयार करने में जुटी है.हम इस दौरान दक्षिण अफ्रीका के नार्दन कैप के मौसम का भी ख्याल रख रहे हैं, क्योंकि वहीं इस कार को दौड़ाना है.इस दौरान दक्षिण अफ़्रीका में बरसात का मौसम होता है, जो नवंबर से लेकर अप्रैल तक जारी रहेगा. मौसम हमारी योजनाओं पर पानी फेर सकता है.लिहाजा हमने अपने योजना में बदलाव किया है. हम ईजे 200 जेट इंजिन के कार का टेस्ट रन इसी साल अक्टूबर में करेंगे.पांच साल से तैयारीइस योजना पर काम करते हुए पांच साल पूरे हो गए, हजार मील प्रति घंटे की रफ़्तार को हासिल करने के दौरान समय कितनी जल्दी से बीत रहा है, इसका पता ही नहीं चल रहा है.इसके बाद 2014 की शुरुआत में रन वे टेस्टिंग करेंगे और अगले साल ईस्टर तक हम दक्षिण अफ़्रीका में इसे दौ़ड़ाएंगे.ये थोड़ा निराश करने वाला है, क्योंकि हम इस साल ये कारनामा नहीं दिखा पाएंगे, लेकिन दक्षिण अफ़्रीकी मौसम को देखते हुए ये एक ठीक फ़ैसला है.

इंजिन के टेस्ट और रनवे के लिए एक अच्छी खबर है. ब्रिटेन में ब्लडहाउंड के टेस्ट के लिए हमें एयरो हब न्यूक्यू कॉर्नवाल एयरपोर्ट के इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है.एयरो हब हमारी रॉकेट कार के टेस्ट के लिए शानदार जगह है. रन वे रन अक्टूबर में होना है.मैं इस एयरो हब से अच्छी तरह परिचित भी हूं. इसका रन वे 2.72 किलोमीटर लंबा है और शानदार है.इतना लंबा रने हमारी कार को रफ्तार देने और उसे रोकने के लिए काफी है. हम इसके लिए कॉर्नवाल काउंटी काउंसिल और न्यूक्यू एयरपोर्ट के अभारी हैं.टेस्ट रन की तैयारीदक्षिण अफ़्रीका में होने वाले टेस्ट रन के दौरान हम रॉकेट के ईंधन का इस्तेमाल करेंगे जिससे कार की स्पीड 800 मील प्रति घंटे तक पहुंच जाएगी.इस दौरान हमें कई चीजों का पता भी चलेगा. मसलन, सुपर सोनिक एयरोडायनामिक्स के बारे में हमें ज़्यादा आंकडे़ मिलेगें.ये निश्चित तौर पर एक नया वर्ल्ड लैंड स्पीड रिकॉर्ड भी होगा.हमारा दूसरा टेस्ट सेशन 2014 के आखिरी दिनों में या फिर 2015 की शुरुआत में होगा. तब हम इसमें हाइब्रिड रॉकेट ईंधन का इस्तेमाल करेंगे और उस दौरान हजार मील प्रति घंटे की रफ़्तार भरने की कोशिश करेंगे.इस दौरान हम कार में निश्चित तौर पर विश्व का सबसे बेहतर पंप मोटर इस्तेमाल करेंगे जिसका इस्तेमाल फार्मूला वन के इंजिन में होता है.
जहां तक तैयारी की बात है, हम लोग इस कार के सिस्टम के अहम पहलू पर काम कर रहे हैं. इसके जरिए हम कॉसवर्थ के इंजिन जो 11000 आरपीएम का है, उसे हम 18000आरपीएम तक बढ़ा रहे हैं.सुपरसोनिक में जंग नहीं लगेगीरॉकेट टेस्टिंग के बाद हम कार के चेसिस पर ध्यान देंगे. सभी मशीन को बनाने में कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है.हालांकि इस सुपरसोनिक कार को बनाने में सैकड़ों अवयवों का इस्तेमाल किया गया है, जो दर्जन भर कंपनियों से बने हैं. हमें इस बात का भी ख़ास ख्याल रखना पड़ा है कि वे एकदम सही आकार के हों ताकि हम उन्हें ठीक से फिट कर सकें.कार के नीचे की चेसिस तैयार है और उसे अंतिम रुप दिया जा रहा है. आपस में जोड़ने के लिए पहले इसे तीन हजार कीलों के माध्यम से जोड़ा जाएगा. इसके लिए कार में तीन हजार से ज़्यादा छेद भी करनी होगी.ये काम ब्रिस्टल के नेशनल काम्पोजिट सेंटर में 80 डिग्री तापमान में पांच घंटे के दौरान पूरा होगा. हम इससे पहले सभी अवयवों की मेटल कोटिंग कर रहे हैं, ताकि वह सुरक्षित रहे.
चेसिस हम टाइटेनियम की छड़ों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. इसका अलावा हम अल्यूमिनियम का इस्तेमाल कर रहे हैं. अल्यूमिनियम के ऑक्साइड की परत इतनी मोटी होगी कि उससे किसी भी तरह की जंग कार में नहीं लगेगी.इसके अलावा हम एक ख़ास अवयव की-फोस की पतली परत की कोटिंग भी करेंगे. ये ना केवल मेटल की सुरक्षा करेगा बल्कि इसके जरिए हम मेटल में आए किसी दरार को भी देख पाएंगे.ये सब कुछ ही सप्ताह में पूरा हो जाएगा. उसके बाद हम सब मिलकर एक इतिहास बनाएंगे.

Posted By: Bbc Hindi