देश की सर्वोच्‍च अदालत ने 1993 मुंबई हमलों के आरोपी याकूब अब्‍दुल रजाक मेमन की फांसी पर रोक लगा दी है. याकूब मेमन के वकील की दलीलों पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याकूब मेमन की फांसी पर खुली अदालत में विचार करने का ऐलान किया. इससे पहले याकूब तीन बार फांसी से बचने का प्रयास कर चुका है.


सु्प्रीम कोर्ट ने रोकी याकूब मेमन की फांसीसुप्रीम कोर्ट ने 1993 मुंबई सीरियल बम धमाकों के आरोपी याकूब अब्दुल रजाक मेमन की फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी है. दरअसल कोर्ट ने याकूब मेमन की फांसी पुर्नविचार याचिका को खुली अदालत में कंसीडर करने का फैसला लिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने याकूब मेमन की खुली अदालत में सुनवाई की मांग वाली अर्जी पर सीबीआई को भी नोटिस जारी किया है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आर एम लोढा ने 2 सितंबर को आदेश दिया था कि किसी भी मृत्युदंड प्राप्त कैदी की मौत की सजा पर पुर्नविचार बंद कमरे की बजाए खुली अदालत में किया जाएगा. इससे पहले जज अपने चैंबर में बैठ कर इस तरह के मामलों पर सुनवाई कर पाते थे. कोर्ट ने दिया था एक महीने का टाइम
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2 सितंबर के फैसले में फांसी की सजा पाए कैदियों को एक महीने में रिअप्लाई करने की राहत दी थी. कोर्ट ने कहा था कि जिन कैदियों की फांसी पुर्नविचार याचिका खारिज हो चुकी है ऐसे कैदी एक महीने के अंदर दुबारा से सुनवाई की याचिका दे सकते हैं. गौरतलब है कि इस राहत का फायदा उठाते हुए मेमन के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से फांसी पर खुली अदालत में पुर्नविचार करने की रिक्वेस्ट की. क्यूरेटिव याचिका नही दाखिल करने का फायदाइस मामले में याकूब मेमन ने पुर्नविचार याचिका के बाद क्यूरेटिव याचिका दर्ज नही कराई थी. इस मामले में जरूरी बात यह है कि अगर याकूब मेमन का वकील क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर देता तो मेमन को इस अवसर का फायदा नही मिल पाता. याकूब मेमन सुप्रीम कोर्ट के 2 सितंबर वाले फैसले का फायदा उठाने वाला दूसरा शख्स है. इससे ठीक पहले निठारी हत्याकांड के आरोपी सुरेंद्रर कोली ने फांसी से कुछ घंटों पहले ही इस फैसले के तहत 29 अक्टूबर तक अपने आपको बचाया हुआ है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra